उत्तराखंड की राजधानी दून में राज्यकर्मियों ने किया सचिवालय कूच, 20 सूत्रीय मांग को लेकर 10 नवंबर से करेंगे हड़ताल
उत्तराखंड के मान्यता प्राप्त 10 परिसंघों की संयुक्त रूप से गठित उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने वर्तमान में उत्तराखंड मंत्रीमंडल की ओर से राज्य कार्मिकों के भारत सरकार की तर्ज पर लिये गये डाउन ग्रेड वेतन के निर्णय को शीघ्र वापस लेने की मांग की। साथ ही दीर्घ अवधि से लम्बित 20 सूत्रीय मांग पत्र पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर आज परेड मैदान से गर्जना रैली निकाली। इससे पहले राज्य कर्मियों ने सितंबर माह में गेट मीटिंग कर जनजागरूकता अभियान चलाया था। फिर एक दिवसीय धरना भी परेड मैदान में दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज रैली जैसे ही सचिवालय पहुंची तो पुलिस ने बैरेकैडिंग पर उन्हें रोक दिया। इस पर कर्मचारियों ने सड़क पर ही जोरदार प्रदर्शन किया। रैली से पूर्व कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष इंजीनियर एसएस चौहान ने की। तथा संचालन शक्ति प्रसाद भट्ट तथा पंचम सिंह बिष्ट ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के सचिव संयोजक पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पूर्व समन्वय समिति के प्रान्तीय प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के साथ बैठक सम्पन्न हुई थी। इसमें मुख्यमंत्री ने जिन बिन्दुओं का समाधान एवं विसंगतियों के निराकरण का आश्वासन दिया था, वह विधानसभा चुनाव से पूर्व नही हो पाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके बाद उनका समाधान विधानसभा चुनाव के बाद पुनः सरकार बनने पर कराने का आश्वासन समन्वय समिति के पदाधिकारियों को दिया गया था. परन्तु लम्बित समस्याओं का समाधान करने के बजाय वर्तमान में उत्तराखंड शासन में बैठे सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा राज्य कार्मिकों को पूर्व से दिये जा रहे ग्रेडवेतन को भारत सरकार की तर्ज पर डाउन ग्रेड वेतन का निर्णय बिना ठोस तथ्यों के जल्दबाजी में मंत्रीमंडल से पारित करा लिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उक्त निर्णय से प्रदेश के लाखों कार्मिकों में उत्तराखण्ड शासन में बैठे अधिकारियों के प्रति अविश्वास की भावना पनपने के साथ ही बहुत बड़ा आकोश उत्पन्न हो गया है। संयुक्त कर्मचारी परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा कि समन्वय समिति द्वारा आंदोलन तथा पत्रों के माध्यम से न्यायोचित समस्याओं का समाधान करने के लिए दीर्घ अवधि से लगातार शासन से अनुरोध किया जाता रहा है। इसके बावजूद शासन स्तर पर किसी भी समस्या का समाधान न हो पाने के कारण समन्वय समिति को प्रदेश व्यापी चरणबद्ध आन्दोलन की घोषणा करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिनिस्ट्रियल फेडरेशन के महामंत्री मुकेश बहुगुणा ने कहा कि जिस प्रकार सरकारों ने पूर्व में पुरानी पेंशन हटा दी तथा कर्मचारियों को तोड़ने की कोशिश की गई, उसी प्रकार डाउनग्रेड के माध्यम से कर्मचारी संगठनों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सरकार से तुरंत पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की। चतुर्थवर्गीय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष नाजिम सिद्दीकी ने सरकार को चेतावनी दी कि मांगों को ना माने जाने पर आंदोलन को तेज किया जाएगा। रैली में कुमाऊं मंडल तथा गढ़वाल मंडल के काफी संख्या में कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बाद में सभा के अध्यक्ष इंजीनियर एस एस चौहान ने घोषणा की कि राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर के पश्चात 10 दिसंबर से सभी कार्मिक हड़ताल पर चले जाएंगे। इस मौके पर सचिव एवं संयोजक शक्ति प्रसाद भट्ट, उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे, उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के महासचिव मुकेश रतूड़ी, मिनीस्टीरियल फैडरेशन के प्रांतीय महामंत्री मुकेश बहुगुणा, विक्रम सिंह नेगी, कुलदीप कुमार, नाजिम सिद्दीकी, हरकेश भारती, निशंक सिरोही, विवेक रतूड़ी, राकेश रावत, दिनेश गुसाई, बीएस रावत, सुभाष देवलालियाल, शांतनु शर्मा, ओमवीर चौधरी, उर्मिला द्विवेदी, मुख्य संयोजक राजेंद्र जोशी आदि ने विचार रखे।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।