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December 16, 2024

राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड की नई कार्यकारिणी के चुनाव अधर में, शिक्षक परेशान, नेताओं में खींचतान

उत्तराखंड में शिक्षकों के सबसे बड़े संगठन राजकीय शिक्षक संघ की नई कार्यकारिणी के चुनाव अधर में लटके हुए हैं। चुनाव में तकनीकी पेच फंसा हुआ है और इसके चलते चुनावों में देरी हो रही है।

उत्तराखंड में शिक्षकों के सबसे बड़े संगठन राजकीय शिक्षक संघ की नई कार्यकारिणी के चुनाव अधर में लटके हुए हैं। चुनाव में तकनीकी पेच फंसा हुआ है और इसके चलते चुनावों में देरी हो रही है। ऐसे में शिक्षक परेशान हैं और नेताओं में खींचतान है। संघ के चुनाव में कभी अर्धवार्षिक परीक्षा तो कभी कोरोना का साया रहा है। अब जाकर स्थिति सामान्य हुई तो अब आडिट रिपोर्ट और सदस्यता शुल्क के साथ कई अन्य पेच फंसे हुए हैं। इस संगठन से करीब 18 हजार शिक्षक जुड़े हैं।
इनका है ये कहना
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केके डिमरी के मुताबिक, वर्ष 2017 में संगठन के चुनाव हुए थे। संगठन का प्रांतीय अधिवेशन दो साल में होता है। ऐसे में वर्ष 2019 में चुनाव होने थे। किन्ही कारण से पंचायत चुनाव और अर्धवार्षिक परीक्षा आदि के चलते संगठन के कार्यकाल को सर्वसम्मति से एक सत्र तक बढ़ा दिया गया। इसका प्रांतीय कार्यकारिणी को अधिकार भी है। इस पर वर्ष 2020 में संगठन के चुनाव होने थे। वर्ष 2020 में बोर्ड परीक्षा के बाद चुनाव कराना तय किया गया। तभी कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया और चुनाव नहीं कराए जा सके। अब शासन ने कहा कि सभी संगठनों के चुनाव होने हैं। इसके अनुसार संगठन के पदाधिकारियों ने निदेशक से बात की। शिक्षा निदेशक ने कहा कि वर्ष 20-21 की आडिट रिपोर्ट के साथ ही 21-22 सदस्यता सूची उपलब्ध करा दो। इसके बाद 17 सितंबर को हल्द्वानी में संगठन की बैठक में तय किया निदेशक के पास जाएंगे। सात या आठ अक्टूबर अधिवेशन की प्रस्तावित डेट रखी गई। अभी तक ब्लाक, जिला और मंडलों से सदस्यता सूची और सदस्यता शुल्क जमा नहीं होने के कारण चुनाव अटका पड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रयास किया जाएगा कि जल्द आडिट रिपोर्ट और सदस्यता सूची देकर चुनाव कराए जाएंगे।
प्रांतीय कार्यकारिणी अस्तित्व में ही नहीं, तो पहले हों प्रांत के चुनाव
राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री डॉ. हेमंत पैन्यूली के मुताबिक, वर्ष 2019 में निदेशालय ने जनपद, ब्लाक व मंडलों में संगठन के अधिवेशन के लिए अवकाश पर रोक लगा दी थी। ब्लाक, जिला व मंडल स्तर पर हर दो साल में  अधिवेशन होता है। इस रोक के कारण तब से अब तक ब्लाक, जनपद व मंडल के चुनाव नहीं हुए। प्रंतीय अध्यक्ष ने चार अक्टूबर को प्रदेश की कार्यकारिणी को भंग कर दिया। साथ ही संयोजक मंडल बनाने की मांग निदेशक से की है। संयोजक मंडल का अभी तक गठन नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि संगठन के महामंत्री का कहना है ब्लाक, जनपद व मंडल के पहले चुनाव कराए जाएं। बाद में आम चुनाव होंगे। वहीं, आम शिक्षकों कहना है कि प्रांतीय कार्यकारिणी अस्तित्व में नहीं है। ऐसे में पहले प्रांत का चुनाव होना चाहिए। इस मांग को लेकर 11 अक्टूबर को शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा निदेशक से मिलेगा। शिक्षकों की मांग है कि निदेशालय स्तर पर संयोजक मंडल बनाकर पहले प्रांतीय चुनाव कराए जाएं। क्योंकि वर्तमान में प्रांतीय कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा कि संविधान में सदस्यता शुल्क का कोई उल्लेख नहीं है कि पैसा देकर सदस्यता ली जाए। फिर भी यदि शुल्क की बात पर अड़ंगा लगता है तो ब्लॉक, जिला व मंडल की कार्यकारिणी के सदस्यता शुल्क का पैसा निदेशालय की ओर से बताए गए अकाउंट पर जमा कराने को तैयार हैं। इस संबंध में हैमंत पैन्यूली ने समस्त शिक्षकों से सोशल मीडिया में एक अपील भी की है। जो इस प्रकार से है।
डॉ. हेमन्त पैन्यूली की वाल से
सम्मानित साथियों नमस्कार आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप सभी सकुशल होंगे। सर्वप्रथम आप सभी को सपरिवार नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं ढेरसारी शुभकामनाएं साथ ही यह भी विश्वास है कि सभी साथियों ने विद्यालयी शाखा स्तर पर कार्यकारिणी का गठन कर लिया होगा तथा सभी साथीयों ने संगठन के संविधानानुसार सदस्यता ग्रहण कर ली होगी। जिसकी सूचना आप सभी के द्वारा प्रत्येक स्तर को प्रेषित भी कर दी गई होगी ।
साथियों वर्तमान समय वैश्विक महामारी का है जिससे राजकीय शिक्षक संघ भी अछूता नहीं रह सका जिसके परिणाम निकल कर सामने आ रहे हैं। प्रांतीय चुनाव के कुछ समय बाद से ही संगठन में बिखराव की स्थिति उत्पन्न हो रखी है इस बात से आप सभी विज्ञ ही हैं।
साथियों वर्तमान समय में राजकीय शिक्षक संघ की विद्यालयी शाखा कार्यकारिणीयों को छोड़कर अन्य किसी भी स्तर की कार्यकारिणीयां अस्तित्व में नहीं है सभी का कार्यकाल पूर्व में ही समाप्त हो चुका है। अधिवेशन समय से होने चाहिए थे और नहीं हो पाए। मुझे नहीं लगता है कि कोई भी कार्यकारिणी अपना चुनाव नहीं करवाना चाहती है। सभी चाहते थे कि चुनाव समय से हों, परन्तु सबसे बड़ी समस्या जो उत्पन्न हुई, वह है अधिवेशन अवकाश की। जिसमें की निदेशक महोदय के पत्र सं0-2486-89 दि0- 02 दिसम्बर 2019 के अनुसार अधिवेशनों पर रोक लगायी है। जिस हेतु सभी ने लगी रोक को हटाने के लिए प्रयास किया, किंतु आज तक भी वह रोक नहीं हटी है। ऐसा भी नहीं है कि आदेश निर्गत होने की बाद अधिवेशन नहीं हुआ अधिवेशन हुआ है। कुमाऊं मंडल कार्यकारिणी का जिसका आदेश विधिवत विभाग द्वारा हुआ है, परंतु जब कोई अन्य कार्यकारिणी अवकाश हेतु आवेदन करती तो अवकाश नहीं मिल पाता। इसके चलते अन्य कार्यकारिणियां अपना चुनाव नहीं करा पाई।
लगातार सूचनाओं से प्रांतीय कार्यकारिणी को अवगत कराया गया, किंतु किसी ने प्रयास किया या नहीं किया इसकी जानकारी भी सार्वजनिक नहीं हो सकी। इस बीच प्रांत द्वारा कई बैठकें भी आहूत की गई प्रत्येक बैठक में ब्लाक और जनपदों के चुनाव कराने की बात हुई तो है परंतु आज तक भी अमल में नहीं आयी। इस बीच कई विद्वान साथियों ने संचार माध्यम से अवगत कराया है कि जब कार्यकाल ही समाप्त हो गया तो पदाधिकारी कैसे कार्य कर सकते हैं। कार्यकारिणी स्वतः ही भंग है तो कई विद्वान साथियों ने यह भी कहा कि जब तक अधिवेशन नहीं होते तब तक शिक्षकों के हित के लिए कार्य करते रहें। शायद सभी के हित की बात को महत्व दिया गया और कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी कार्यकारिणीयां कार्य करती रही।
इस बीच प्रांत का भी कार्यकाल समाप्त हुआ, फिर अपने अधिकारों का प्रयोग किया गया। वैश्विक महामारी के बीच गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी का भी कार्यकाल समाप्त हुआ स्थितियां अनुकूल न होने के कारण हम भी अपने चुनाव समय से नहीं करा पाए। वैश्विक महामारी को भी झेल दिया गया सबकुछ होने के बाद पुनः संगठन के अस्तित्व को बचाने के लिए संगठनों का चुनाव करवाना उचित है। इस हेतु शासन ने भी पत्र जारी किया। इसी क्रम में प्रांतीय महामंत्री द्वारा 4 अप्रैल2021 को हल्द्वानी में बैठक आहूत की गई। उसमें प्रांत के पदाधिकारी कुछ मौजूद नहीं थे। फिर भी निर्णय लिया गया कि यथाशीघ्र पहले प्रांत के चुनाव किये जांए। उसके बाद प्रांतीय पदाधिकारी ब्लॉक जनपद और मंडल के चुनाव संपन्न करवाएंगे। फिर भी बात हल्द्वानी तक ही सीमित रह गई।
पुनः कोविड19 ने दस्तक दी जिसके चलते कुछ महीने और बीत गये और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पुनः प्रांतीय अधिवेशन हेतु निदेशक महोदया का पत्र 8 एवं 14 सितम्बर को अलग-अलग जारी होता है। जिसमें उनके द्वारा पूर्व में निदेशालय से जारी पत्र का हवाला दिया जाता है तथा चुनाव संपन्न करवाने हेतु कुछ पत्र जातों की आवश्यकता हेतु सूचना मांगी जाती है। जिसे कि प्रांतीय पदाधिकारियों द्वारा पूर्ण किया जाना था। जिसमें प्रांतीय कार्यकारिणी का 2020-21 का ऑडिट एवं 2020-21 मे कुल सदस्यों के 50% से अधिक सदस्यता का प्रमाण जो कि 2020-21 मे 85% थी तथा अधिवेशन स्थल की सूचना के साथ-साथ प्रांतीय अधिवेशन में प्रतिभागियों की संख्या।
इसी क्रम में 17 सितम्बर 2021 को पुनः हल्द्वानी में बैठक हुई और वहां पर काफी जद्दोजहद के बाद प्रस्ताव तैयार हुआ कि 30 सितम्बर 2021 तक सदस्यता अभियान चलाया जाएगा और 07 एवं 08 अक्टूवर को अधिवेशन हल्द्वानी मे होगा।
यदि किसी को भी इस प्रस्ताव पर आपत्ती थी तो उसी दिन इसे समाप्त कर देना चाहिए था, किंतु आज समझ में आ रहा है कि संगठन को मोहरा बनाकर व्यक्तिगत लड़ाई को लड़ा जा रहा है। जिससे किसी भी सदस्य को लेना देना नहीं है। इस बीच महामंत्री ने मंडल, जनपद एवं ब्लॉकों से सूचना मांगी थी जो कि जरूरी भी थी।
सूचना शायद कुछ ने दी और कुछ ने नहीं दी। साथियों कष्ट सूचना से नहीं है, कष्ट है सूचना मांगने के समय से। यदि प्रांत को सूचना चाहिए थी तो 2018 से सूचना क्यों नहीं मांगी गई। इस पर विचार करना अति आवश्यक है। ऐसे समय पर सूचना मांगना जहां पर एक ओर आपने चुनाव की तिथि घोषित कर दी और दूसरी ओर सभी को सूचनाओं पर उलझा दिया। समय बीतता गया और अंत में निदेशालय को प्रांतीय महामंत्री ने अलग पत्र दिया तो प्रांतीय अध्यक्ष ने अपनी प्रांतीय कार्यकारिणी को भंग कर दिया।
शायद किसी एक की हठधर्मिता के कारण यही विकल्प रहा होगा इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। परन्तु उसके बाद सोशल मीडिया पर रोज संगठन को समाप्त करने की बात प्रसारित हो रही है। कोर्ट जाने की धमकी दी जा रही है। इससे यहां पर भस्मासुर वाली कहानी चरितार्थ हो रही है। जिसको सभी ने पढ़ा होगा। उसी संगठन को समाप्त करने की बात की जा रही है, जिसने हमें यह सम्मान, पहचान और आप सभी साथियों का प्यार दिया। इस बात को आप भी और हम भी कभी भी बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।
साथियों इस बात को सुनकर अत्यंत दुख हुआ और मन से एक आवाज आई कि हम यह कभी भी नहीं होने देंगे। इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है। साथियों महामंत्री ने अभी कुछ दिन पहले एक संवाद में स्पष्ट रूप से कहा था कि पहले ब्लॉक और जनपदों के चुनाव होने चाहिए उसके बाद प्रांत और मंडल के चुनाव होंगे। आप सभी सम्मानित साथियों से अनुरोध है कि सभी कार्यकारणीयों के चुनाव एक साथ हों और संगठन की मर्यादा बनी रहे। इसके लिए हम सभी को प्रयास करने चाहिए, जिससे मनमुटाव समाप्त हो सकता है। इस हेतु मैं डॉ. हेमन्त पैन्यूली एक संघनिष्ठ सदस्य की हैसियत से आप सभी सम्मानित भूत, वर्तमान , निवर्तमान पदाधिकारियों एवं संघनिस्ठ साथियों का आह्वान करता हूं कि दिनांक 11 अक्टूवर को निदेशालय में निदेशक महोदय से वार्ता हेतु उपस्थित होने की कृपा करेंगे जिससे आगे की गतिविधियों पर वार्ता हो सके। साथियों उम्र, पद और अनुभव से मैं आप सभी से बहुत छोटा हूं। हो सकता है मेरे विचारों से आप लोग सहमत न हों। आशा है आप मेरे विचारों को अन्यथा ना लें आप सभी के सम्मानित विचार और सुझाव सादर आमंत्रित हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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