उत्तराखंड में छात्रों की समस्याओं के प्रति प्रदेश के राजनीतिज्ञ गंभीर नहीं: डॉ सुनील अग्रवाल
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसड इंस्टीट्यूटस उत्तराखंड के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय अनऐडेड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने छात्रों की समस्या को लेकर राजनीतिज्ञों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के राजनीतिज्ञ छात्रों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील और गंभीर नहीं है। इसीलिए उत्तराखंड में छात्रों की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुनील अग्रवाल ने एक बयान में कहा कि पिछले दो महीने से छात्र सीयूईटी एवं समर्थ पोर्टल के माध्यम से होने वाले प्रवेश मैं आने वाली समस्याओं से परेशान हैं। क्योंकि, सीयूईटी हो या समर्थ पोर्टल, दोनों ही व्यवस्थाएं बिना तैयारी के लागू की गई। इसके बारे में छात्रों को पहले जानकारियां नहीं दी गई। प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अधिकार छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए सीयूईटी की प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त सीयूईटी के लिए परीक्षा केंद्र प्रदेश से दूर अन्य प्रदेशों में बनाए गए थे। पर्वतीय छात्रों के परीक्षा केंद्र 300 किलोमीटर दूर तक रखे गए थे। ऐसे में भी काफी छात्र परीक्षा देने से वंचित रहे। इसी तरह से राज्य विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के लिए समर्थ पोर्टल में भी छात्र अभी तक प्रवेश नहीं ले पाए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि इस संबंध में प्रदेश के राजनीतिज्ञों का रवैया निराशाजनक है। वर्तमान में प्रदेश के पक्ष और विपक्ष के महत्वपूर्ण नेता, या सत्ता पक्ष में मंत्री, या विपक्ष के पूर्व मंत्री, या फिर प्रदेश के कॉलेजों में छात्रसंघ में जो पदाधिकारी रहे हैं और लंबे समय तक छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं, ये सब छात्रों की समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। उन्हें छात्रों को हो रही प्रवेश संबंधी समस्या पर गंभीरता दिखानी चाहिए थी, लेकिन अभी तक पक्ष हो या विपक्ष किसी भी राजनीतिज्ञ का अभी तक कोई सक्रिय योगदान छात्रों के हित में नजर नहीं आया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि ऐसे राजनीतिज्ञों को केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिलकर प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप यूजीसी को दिशा निर्देशित करने के लिए प्रयास करना चाहिए था। अफसोस की बात है कि प्रदेश के कई राजनीतिज्ञों के माननीय केंद्रीय मंत्री से निकट संबंधों के बावजूद कोई गंभीर प्रयास नजर नहीं आया। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में छात्र बिना सीयूईटी की परीक्षा दिए प्रवेश लेने के लिए परेशान हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसड इंस्टीट्यूटस उत्तराखंड के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय अनऐडेड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा तो पिछले कुछ समय से कोई निर्णय कभी किया ही नहीं जाता। इसलिए गढ़वाल विश्वविद्यालय के अधिकारियों से तो उम्मीद करना बेकार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रदेश के राजनीतिज्ञों को छात्र हितों के लिए आगे आकर प्रयास करने चाहिए। वरना छात्र इसी तरह से प्रवेश हेतु भटकते रहेंगे। उन्होंने बताया संगठन की ओर से इस विषय में लगातार केंद्र सरकार और राज्य सरकार से संपर्क कर छात्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं और सभी को छात्र हितों के प्रति संवेदनशील होकर अपनी जिम्मेदारियां समझनी चाहिए।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।