राज्यकर्मी बोले- सरकार समस्याओं पर गौर करे तो क्यों करेंगे हड़ताल, 50 प्रतिशत उपस्थिति की हो रोस्टर प्रणाली
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के हड़ताल की स्थिति में कर्मचारियों को बर्खास्त करने की चेतावनी को लेकर राज्य कर्मियों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की।
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हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के हड़ताल की स्थिति में कर्मचारियों को बर्खास्त करने की चेतावनी को लेकर राज्य कर्मियों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। कर्मचारियों ने कहा कि यदि सरकार समय समय पर मांगों को लेकर विचार करती रहे तो हड़ताल का कोई मतलब नहीं है। कर्मचारियों ने विभिन्न समस्याओं को उठाने के साथ ही कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कार्यालयों में 50 फीसद उपस्थिति को रोस्टर प्रणाली के तहत सुनिश्चित कराने की मांग की।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तराखंड के प्रदेश कार्यकारी महामंत्री अरूण पाण्डे ने बताया कि आज परिषद की हाईपावरकोर कमेटी की एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई। बैठक में माननीय की ओर से राज्य कर्मियों की हड़ताल पर बर्खास्तगी के सम्बन्ध में दिये गये निर्देश पर चर्चा की गई। बैठक में सर्वसम्मति से यह तय पाया गया कि यदि राज्य सरकार व शासन की ओर से समय-समय पर कर्मचारी संगठनों के साथ उनके मांगपत्र पर विचार करे तो हड़ताल का कारण नहीं बनेगा। संगठनों के साथ बैठक होनी चाहिए। बैठकों में बने सहमति के बिन्दुओं पर लिये गये निर्णयों का निर्धारित समयान्तर्गत अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही अनुपालन की समीक्षा भी की जाय। ऐसे में कोई कारण नहीं होगा कि राज्यकर्मी अपनी ही सरकार के विरूद्ध हड़ताल पर उतरेंगे।
बैठक में यह मांग की गई कि मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव की ओर से परिषद को दिये गये आश्वासन के अनुसार राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रदेश के कार्मिकों की लम्बित मांगों को लेकर बैठक बुलाई जाए। कई बिंदुओं में अधिकांश पर शासन व सरकार ने सहमति व्यक्त की है। साथ ही इस सम्बन्ध में शासनादेश भी निर्गत किये गये हैं। इनके अनुपालन की समीक्षा के लिए तत्काल एक बैठक आयोजित की जाय।
समीक्षा बैठक में समस्त लम्बित बिन्दुओं की समीक्षा के उपरान्त सरकार व शासन की ओर से दिये गये निर्देशों के अनुपालन में निष्क्रिय पाये जाने वाले अधिकारियों के प्रति दंडात्मक कार्यवाही की मांग की गई। बैठक में कहा गया कि शासन व सरकार के स्तर पर किये गये समझौतों के मुताबिक शीघ्र साकारात्मक कदम उठाना चाहिए।
बैठक में 10, 16 एवं 26 वर्ष की सेवा पर एसीपी के अन्तर्गत पदोन्नत वेतनमान देने, पदोन्नति में शिथिलिकरण का लाभ देने, विभिन्न विभागों में लम्बित पदोन्नतियों को समयान्तर्गत दूर करने, गोल्डन कार्ड की व्यवस्था में संगठनों की मांगानुसार सुधार करने, उपनल एवं समस्त आउटसोर्सिंग, संविदा, दैनिक वेतनभोगी कार्मिकों की समस्याओं का निराकरण, वेतन विसंगति के लम्बित प्रकरणों के निस्तारण, स्थानान्तरण एक्ट में 50 वर्ष की महिला कार्मिकों एवं 52 वर्ष के पुरूष कार्मिकों को छूट प्रदान करने आदि की मांग दोहराई गई।
बैठक में यह भी मांग की गई कि कोविड-19 के बढते हुए प्रकोप के दृष्टिगत कार्मिकों की सुरक्षा के लिए 50 प्रतिशत उपस्थिति की रोस्टर प्रणाली लागू की जाय। एवं साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर सहित समस्त कार्मिकों को रु. 50.00 लाख के बीमा से आच्छादित किया जाय। बैठक में ठा. प्रहलाद सिंह, नन्दकिशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भट्ट, चौधरी ओमवीर सिंह, बृजेश कांडपाल, गुड्डी मटुडा, पीके शर्मा, सुनील देवली, आईएम कोठारी, हर्षमोहन नेगी आदि कर्मचारी नेताओं ने प्रतिभाग किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।