उत्तराखंड के राज्य कर्मचारियों ने कहा- कम से कम 15 दिन तक लगाएं पूर्ण लॉकडाउन
उत्तराखंड में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की आनलाइन बैठक में कोरोना महामारी को लेकर शासन और प्रशासन की ओर से उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की गई। साथ ही इस बात पर जोर दिया गया कि कोरोना की चेन तोड़ने के लिए अभी भी ठोस और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए कम से कम 15 दिन का प्रदेश में पूरी तरह लॉकडाउन लगाना चाहिए।
परिषद के कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने ने बताया कि बताया कि बैठक में परिषद के प्रांतीय, मंडलीय एवं जनपदीय पदाधिकारियों के साथ संबद्ध घटक संघो के पदाधिकारियों ने प्रतिभाग कियाष चर्चा के दौरान कहा गया कि परिषद की ओर से पहले भी कम से कम 15 दिन तक के लिए कार्यालय बंद करने की की गई मांग की गई थी। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय एवं केंद्र सरकार की ओर से गठित टास्क फोर्स के साथ की देश एवं विदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी कम से कम 15 दिन के लॉकडाउन की सलाह दे रहे हैं। कोरोना की चेन तोड़ने के लिए ये जरूरी उपाय है।
बैठक में इस बात पर रोष ब्यक्त किया गया कि एक तरफ देहरादून प्रदेश के अन्य चिकित्सालयों में गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए स्थान नहीं मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के कार्यालयों में कर्मचारियों को उपस्थिति रहने के लिये बाध्य किया जा रहा है। ऐसे में यदि कर्मचारी संक्रमित होते हैं तो प्रदेश की स्थिति संभालनी मुश्किल हो जाएगी। साथ ही प्रतिदिन मृतकों की संख्या में वृद्धि होती रहेगी। इस संबंध में राज्य सरकार के अधिकारी आंख मूंदकर अनावश्यक रूप से कार्यालय खोलकर कोविड-19 के संक्रमण को बढ़ावा देने में अपना योगदान कर रहे हैं।
बैठक में इस बात पर भी रोष व्यक्त किया गया कि गोल्डन कार्ड का कोई भी लाभ प्रदेश के कार्मिकों व पेंशन धारकों को प्राप्त नहीं हो रहा है। यहां तक की वह अस्पताल भी इलाज करने से मना कर दे रहे हैं, जिनकी सूची राज्य स्वास्थ्य अभिकरण की ओर से जारी की गई है। ऐसी स्थिति में मांग की गई कि या तो गोल्डन कार्ड की व्यवस्था तत्काल सुधारी जाए। अन्यथा माह अप्रैल के वेतन से गोल्डन कार्ड की कटौती बंद कर दी जाए। बैठक में यह भी मांग की गई कि राज्य के उन कार्मिकों को 50 लाख के बीमे का कवर प्रदान किया जाए, जोकि आवश्यक सेवा के अंतर्गत अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।
वर्तमान में तमाम सारे विभागों में आवश्यक सेवा के कारण कार्मिकों को अपनी सेवा पर उपस्थित होकर कार्य करना पड़ रहा है। उनमें से बड़ी संख्या में कार्मिक संक्रमित होकर उससे प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे कार्मिकों को कोविड-19 के संबंध में समस्त आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाए। इससे कि ना सिर्फ वे संक्रमित होने से बच सकें, साथ ही वे परिवार को भी संक्रमण से बचा सके।
बैठक में राज्य कर्मियों को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 का टीका लगाए जाने की भी मांग की गई। बैठक के माध्यम से मुख्यमंत्री को यह सुझाव दिया गया कि प्रत्येक जनपद स्तर पर ऑक्सीजन बैंक की स्थापना की जाए। जनपद मंडल व प्रदेश स्तर पर कर्मचारी नेताओं के साथ-साथ अन्य सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों के समूह बनाए जाए। जो कि इस बात की देखरेख करें कि सरकार से जारी किए गए निर्देशों का परिपालन जमीनी स्तर पर पूर्ण रूप से किया जा रहा है या नहीं।
साथ ही यह भी मांग की गई कि मुख्यमंत्री एवं जनपदों के लिए नियुक्त प्रभारी मंत्रियों के साथ ही शासन के अधिकारी चिकित्सालयों का स्थलीय निरीक्षण कर वास्तविकता का संज्ञान लें। ताकी आवश्यकतानुसार सुधार की व्यवस्था करा सकें। बैठक में यह मांग की गई कि वर्तमान में प्रतिदिन कोविड-19 ते हुए संक्रमण के दृष्टिगत सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार से गठित टास्क फोर्स व देश व विदेश के सम्मानित स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में कोविड-19 की चेन को ब्रेक करने के लिए कम से कम 15 दिन तक समस्त कार्यालय बंद रखे जाए।
बैठक में ठाकुर प्रह्लाद सिंह, पीके शर्मा, एसपी भट्ट, कुंवर सामंत, हर्ष मोहन सिंह नेगी, बहादुर सिंह बिष्ट, मोहन जोशी, गिरजेश कांडपाल, तनवीर अहमद, बाबू खान, बरखूराम मौर्या, जगमोहन नेगी, गुड्डी मटूरा, आरपी जोशी, सोवन सिंह रावत, डॉ विनीता सिंह ,एस एस अधिकारी, हरीश नौटियाल ,चमन अस्वाल ,रविंद्र कुमार डॉक्टर रौतेला अहमद, ओमवीर सिंह, इंद्र मोहन कोठारी, अंजू बडोला, रेनू लांबा इत्यादि कर्मचारी नेताओं ने प्रतिभाग किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।