राज्य आंदोलनकारियों ने किया सीएम आवास कूच, पुलिस ने रास्ते पर रोका, कांग्रेसी दिग्गज भी हुए शामिल, कैबिनेट मंत्री जोशी ने मांगा समय
उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में दस फीसद क्षैतिज आरक्षण देने, सरकारी सेवाओं से हटाए गए आंदोलनकारियों की बहाली, गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर राजधानी देहरादून में बड़ी संख्या में आंदोलनकारियों ने सीएम आवास कूच किया। पुलिस ने हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया। इस पर उनकी पुलिस से धक्का मुक्की हुई और आंदोलनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। शाम करीब चार बजे पुलिस आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन ले गई। जहां से उन्हें निजी मुचलकों पर रिहा कर दिया गया।
एक दिन पहले उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद की बैठक में विपुल नौटियाल को केंद्रीय अध्यक्ष चुना गया था। इसके साथ ही आंदोलनकारियों ने रविवार को होने वाले सीएम आवास कूच का समर्थन किया था। रविवार को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के आह्वान पर सीएम आवास कूच को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राज्य आंदोलनकारी दून पहुंचे। दिलाराम चौक के पास से उन्होंने आवास के लिए कूच किया। मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी शासन व प्रशासन को पत्र भेजकर अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन इसकी अनदेखी की जा रही है।
पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी हुए प्रदर्शन में शामिल
उत्तराखंड कांग्रेस के शीर्ष नेता और पार्टी की केंद्रीय चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता प्रीतम सिंह भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए और उन्होंने आंदोलनकारियों को यह विश्वास भी दिलाया अगर कांग्रेस की सरकार सन 2022 में शासन में आती है आंदोलनकारियों की मांग को पूरा किया जाएगा। गैरसैंण को स्थाई राजधानी, भू कानून में व्यापक परिवर्तन कर उसे उत्तराखंड की आवश्यकता के अनुकूल बनाना, आंदोलनकारियों की नौकरियों को बहाल किया जाने जैसे सवालों पर भी दोनों नेताओं ने आंदोलनकारियों की मांगों का समर्थन किया। कहा कि जैसे ही कांग्रेसी शासन में आएगी, आंदोलनकारियों के तमाम मांगों को पूरा किया जाएगा। हरीश रावत ने तो यहां तक कहा कि आंदोलनकारियों की पेंशन में बढ़ोतरी होनी चाहिए और कांग्रेस की सरकार आते ही यह सुनिश्चित किया जाए।
प्रीतम सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि वे विपक्ष के नेता हैं और 23 तारीख से राज्य विधानसभा का सत्र प्रस्तावित है। 23 को तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश मृत्यु की वजह से सदन नहीं चल पाएगा, लेकिन 24 अगस्त को सबसे पहला मुद्दा विधानसभा में आंदोलनकारियों का उठाएंगे। साथ ही सरकार पर दबाव बनाएंगे कि निरस्त की गई नौकरियों को बहाल किया जाए। सरकार उनकी पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट जाए।
इस मौके पर राज्य सरकार के मंत्री गणेश जोशी, कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप, रविंद्र जुगरान, वीरेंद्र पोखरियाल, जगमोहन नेगी, मनीष कुमार, नरेंद्र सेठिया, प्रभात ध्यानी, मोहन सिंह रावत, अवतार सिंह बिष्ट, बाल गोविंद डोभाल, डॉ विजेंद्र पोखरियाल समेत अनेक नेताओं ने संबोधित किया। राज्य सरकार के मंत्री गणेश जोशी ने इस मौके पर आंदोलनकारियों से कल शाम 7:00 बजे तक का समय मांगा और कहा कि कल शाम 7:00 बजे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलवाने के लिए आंदोलनकारियों को मुख्यमंत्री आवास ले जाएंगे। आंदोलनकारी तत्काल इस पर कोई निर्णय न लें।
इधर धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि सरकार का जो प्रस्ताव है वह अच्छा प्रस्ताव है और बड़ी से बड़ी समस्याओं का निदान अंत में बातचीत के माध्यम से ही होता है। उन्होंने कहा कि 9 सूत्री ज्ञापन आज राज्य आंदोलनकारियों का मांगो का सबसे बड़ा दर्पण है। सरकार को चाहिए कि उसे इन मांगों को बेझिझक तत्काल पास कर देना चाहिए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।