राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर क्रमिक अनशन जारी, जानिए क्या है मामला
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को दस फीसद क्षैतिज आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर पीड़ित राज्य आंदोलनकारी मंच का क्रमिक अनशन आज सातवें दिन भी जारी रहा।

राज्य आंदोलनकारियों ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने अगस्त 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश जारी किया था, लेकिन यह शासनादेश हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए 2018 में निरस्त कर दिया। उन्होंने बताया कि 2015 में कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में विधेयक पास कर आंदोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया और इस विधेयक को राज्यपाल के हस्ताक्षरों के लिए भेजा। राजभवन से यह विधेयक आज तक वापस नहीं आया। दूसरी ओर हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य आंदोलनकारी कोटे से सरकारी नौकरी पाए लोगों की नौकरी को खतरे में देखते हुए सरकार ने हाई कोर्ट के उस आदेश में मोडिफिकेशन के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। सरकार इन आंदोलनकारियों सेवा में बनाए रखने की कोर्ट से अनुमति मांग रही है। वहीं, आंदोलनकारी संगठन सभी आंदोलनकारियों को यह सुविधा के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने सरकार की मोडिफिकेशन एप्लीकेशन पर हाई कोर्ट में आपत्ति दर्ज की है।
आज उपवास पर विकास रावत पंकज रावत, रामकिशन उत्तरकाशी से शैलेंद्र राणा वीरेन्द्र रावत,विकास नगर से मनोज कुमार, राम किशन,अम्बुज शर्मा शैलेन्द्र रावत, क्रांति कुकरेती बैठे। वहीं, आंदोलन को समर्थन देने उक्रांद के प्रवक्ता शांति प्रसाद भट्ट, सुशील बौंठियाल, कुलदीप रावत, प्रेम सिंह नेगी, गजेंद्र डंगवाल, प्रभा नैथानी, प्रभात डंडरियाल, सुरेश नेगी, धर्मानन्द भट्ट, मोहन सिंह रावत, देवी प्रसाद जोशी, संजय किमोठी, राकेश सती, उमेश चन्द्र रमोला, विनोद असवाल आदि भी धरनास्थल पर पहुंचे।