अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं बालिका विज्ञान दिवस पर स्पेक्स ने महिलाओं को किया सम्मानित
स्पेक्स देहरादून एवं उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ( UCOST) के संयुक्त तत्वाधान में सनराइज एकेडमी में ग्रासरूट एवेयरनेस एण्ड टेक्निीकल इंस्टीट्यूट (गति संस्था) व मंथन संस्था के सहयोग से उत्तराखंड में “प्रथम महिला विज्ञानी सम्मान समारोह” - 2022 का आयोजन किया गया।
इसमें उत्तराखंड राज्य से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज में विज्ञान को संचारित करने का कार्य करने वाली महिलाओं को स्पेक्स द्वारा विज्ञान संचारक सम्मान -2022 से सम्मानित किया। स्पेक्स द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं विज्ञान दिवस पहली बार राज्य में मनाया जा रहा है। स्पेक्स विगत तीन दशको से विज्ञान संचार के क्षेत्र में मूख्य भूमिका निभा रहा है। तथा समय-समय पर विज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को प्रोत्साहित व सम्मानित करता रहा है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ0 गीता खन्ना, उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसन्धान केंद्र (USERC) की निदेश डॉ अनीता रावत, उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् देहरादून की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अपर्णा शर्मा, दयानंद वोमेन्स ट्रेनिंग कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ आरती दीक्षित, नारी शिल्प मंदिर महिला इन्टर कॉलेज की शिक्षिका मोना बाली प्राध्यापिका, सनराइज एकेडमी की प्रबंध संचालक पूजा पोखरियाल, गुडडी देवी ने दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
अतिथियों का स्वागत सनराइज एकेडमी की प्रधानाचार्या नीतू तोमर ने किया। प्राध्यापिका अंग्रेजी, नारी शिल्प मंदिर महिला इन्टर कॉलेज की प्राध्यापिका अंग्रेजी मोना बाली ने अंतर्राष्ट्रीय महिला एवं बालिका विज्ञान दिवस की भूमिका पर प्रकाश डाला। बताया कि यह दिवस वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 11 फरवरी को विज्ञान में महिलाओं और बालिकाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने के तौर पर अपनाया गया था। इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र महिला (UN-WOMEN) द्वारा इसको लागू किया गया। इसमें सरकारी एजेंसियों और संस्थानों के साथ-साथ नागरिक समाज का भी साथ रहा ताकि महिलाओं और बालिकाओं को विज्ञान के क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले, भागीदारी के लिए पूर्ण और समान रूप से बढ़ावा दिया जा सके।
उन्होंने बताया कि विश्व भर में 11 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय महिला और बालिका विज्ञान दिवस मनाया जाता है । इस दिन को मनाये जाने की वजह एक अध्य्यन भी रही । 14 देशों में कराए गए अध्ययन से पता चला कि विज्ञान से जुड़े क्षेत्र में बैचलर्स डिग्री, मास्टर्स डिग्री और डॉक्टर्स डिग्री करने वाली महिला छात्राओं का प्रतिशत पुरुषो की अपेक्षा कम हैं। यूनेस्को के आंकड़ों के (वर्ष 2014-16) के अनुसार, लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं उच्च शिक्षा में एसटीईएम (STEM : Science, Technology Engineering and Mathematics) से संबंधित क्षेत्रों का चयन करती हैं। इस क्षेत्र में महिलाएं और बालिकाएं भी आगे बढ़ सकें इसलिए इस दिन को मनाया जाता है ।
डॉ पारुल सिंघल ने अपने व्याखान में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं के योगदान पर चर्चा की। सम्मान प्राप्त करने वाली महिलाओं में जानीमानी समाज सेवी एवं बाल विशेषज्ञ एवं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ गीता खन्ना मुख्य अतिथि के तौर पर रही। उन्होनें सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मेडिकल के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। सभी लिंग जाति के लोगों को बिना किसी भेद-भाव के एक दूसरे को परस्पर प्रोत्साहित करना चाहिए।
इसके पश्चात उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसन्धान केंद्र (USERC) देहरादून की निदेश डॉ अनीता रावत ने कहा 11 फरवरी को विज्ञान में महिलाओं और बालिकाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाना एक नई दिशा देगा हम हमेशा ईश्वर के नारी स्वरूप की पूजा करते हैं, लेकिन हम अपने आस-पास महिलाओं के प्रति बहुत कम मात्रा में संवेदनशील है महिलाओं को स्वयं के भीतर की शक्ति को खोजना होगा। उन्होने सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने में महिलाओं के महत्व पर चर्चा की। उन्होनें इस दिवस पर सभी से यह प्रण लेने के लिए कहा की अपने भीतर के दीपक को प्रज्जवलित कर आगे बढना चाहिए।
डॉ अपर्णा शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् देहरादून, वैज्ञानिक बनने की अपनी यात्रा सांझा करते हुए बताया कि जैसे हर सफल पुरूष के पीछे एक महिला का हाथ होता है वैसे ही हर महिला के पीछे एक पुरूष की भूमिका भी होती है। जो आपको हर दम सहयोग प्रदान करते है एवं आप पर भरोसा रखते है।
दयानंद वोमेन्स ट्रेनिंग कॉलेज, देहरादून की प्राचार्या डॉ आरती दीक्षित ने बच्चों को सम्बोधित कर कहा कि आप अपने सहपाठियों को हमेशा प्रोत्साहित करें।
उत्तराखंड की प्रथम महिला जो वैज्ञानिक विधि से ई- कचरा न्यूनीकरण कर रोजगार प्राप्त कर रही ई-कचरा न्यूनीकरण केंद्र भोगपुर की संचालिका गुड्डी देवी सम्मिलित हैं। गुड्डी देवी वह महिला है जिन्हें विज्ञान का कोई तकनीकी ज्ञान नहीं था न ही वह ज्यादा शिक्षित महिला है बावजूद इसके उन्होंने विज्ञान से सम्बंधित तकनीकी ज्ञान को प्राप्त कर अपने लिए स्वरोजगार का मार्ग इसी में चुना इनके द्वारा डोईवाला विकासखंड के अधिकांश क्षेत्रों से एलईडी के खराब बल्ब, ट्यूबलाइट्स , झालरे व अन्य उपकरण रिपेरिंग के लिए आते हैं, जिन्हें उनके द्वारा बहुत ही कम खर्चे में रिपयर किया जाता है देखा जाए तो गुड्डी देवी द्वारा ई- कचरे का वैज्ञानिक विधि द्वारा निस्तारण किया जा रहा है यह उनके क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर रही हैं।
इस कार्यक्रम में कोविड-19 महामारी के विषय में विशेष जानकारी सत्र भी संचालित किया गया। जिसमे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में रसोई की भूमिका एवं ऐसे औषधि पौंधे जो घर में आसानी से उगाये जा सकते हैं। “इम्युनिटी गार्डन” के विषय में स्पेक्स से डॉ पारुल सिंघल ने अपने व्याखान में बताया। स्पेक्स से नीरज उनियाल एवं कुमारी चंद्रा आर्य ने सेनिटाइज़र बनाना, जाँच करना एवं मास्क का सही प्रयोग व रखरखाव के विषय पर विद्यार्थियों व अतिथियों को बताया गया। अंत में मोना बाली ने सभी आए हुए अतिथियों का कार्यक्रम में गरिमामय उपस्थिति के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सौम्या डबराल, राहुल मौर्य, अशोक कुमार, संजीव गुप्ता मंथन एवं गति संस्था के सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सनराइज एकडमी की अध्यापिका शिवांगी सिंह ने किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।