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November 12, 2024

कांग्रेस कार्यसमिति में काले कानून पर सोनिया ने केंद्र को घेरा, जी 23 नेताओं को दी नसीहत, अगले साल मिलेगा नया अध्यक्ष

कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में सांगठनिक चुनाव की रूपरेखा तैयार की गई। इसका ऐलान आज ही होने की संभावना है। माना जा रहा है कि पांच राज्यों में चुनाव के बाद सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।

कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में सांगठनिक चुनाव की रूपरेखा तैयार की गई। इसका ऐलान आज ही होने की संभावना है। माना जा रहा है कि पांच राज्यों में चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया होगी। पहले जिला, राज्य की इकाइयों का गठन होगा। फिर राष्ट्रीय चुनाव कराए जाने हैं। अध्यक्ष पद का चुनाव 21 अगस्त 2022 से सिंतबर 2022 तक होगा। यानी कि 2022 तक कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। बैठक में सोनिया गांधी ने जी 23 नेताओं को नसीहत दी। साथ ही कृषि कानूनों को लेकर केंद्र को घेरा।
जी 23 नेताओं को दी नसीहत
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में गतिरोध के बीच आज कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जी-23 नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि मैं पार्टी की स्थायी अध्यक्ष हूं और मुझसे बात करने के लिए मीडिया का सहारा लेने की जरूरत नहीं है। सोनिया गांधी ने पार्टी के भीतर आलोचकों खासकर ‘जी -23’ की ओर इशारा करते हुए “पूर्णकालिक और सक्रिय कांग्रेस अध्यक्ष” के रूप में अपनी स्थिति को रेखांकित किया। जी-23 के नेता लंबे समय से संगठन में व्यापक बदलाव और प्रभावी नेतृत्व के लिए चुनाव की वकालत कर रहे हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर आप मुझे बोलने की इजाजत दें तो मैं पूर्णकालिक और सक्रिय अध्यक्ष हूं। उन्होंने जी 23 नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि मैंने सदा स्पष्टवादिता की सराहना की है। मुझसे मीडिया के जरिये बात करने की जरूरत नहीं है। इसलिए हम सभी यहां खुली और ईमानदार चर्चा करते हैं, लेकिन इस चारदीवारी से बाहर जो बात जाए वो सीडब्ल्यूसी का सामूहिक फैसला होना चाहिए।
एकता और पार्टी हित सर्वोपरि
सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस के पुनरुद्धार के लिए आत्मसंयम और अनुशासन की जरूरत है। सोनिया गांधी ने कहा कि पूरा संगठन कांग्रेस को दोबारा खड़ा करना चाहता है, लेकिन इसके लिए एकता और पार्टी के हितों को सर्वोपरि रखने की जरूरत है। सबसे बढ़कर, इसके लिए आत्म-नियंत्रण और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
अत्याचारों के खिलाफ उठाई आवाज
सोनिया गांधी ने किसान आंदोलन, महामारी के दौरान राहत एवं सहायता तथा समाज के निचले तबके के खिलाफ अत्याचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मैं इन मुद्दों को प्रधानमंत्री के सामने उठाया था। जैसे डॉक्टर मनमोहन सिंह जी और राहुल गांधी ने किया। मैं समान विचारधारा वाले दलों से बातचीत कर रही हूं। हमने राष्ट्रीय मुद्दों पर संयुक्त बयान जारी किए हैं और संसद में भी अपनी रणनीति में समन्वय स्थापित किया है।
किसान आंदोलन पर केंद्र को घेरा
उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत में किसान आंदोलन की चर्चा करते हुए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को काला कानून बताया और कहा कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों पर हुई बर्बरता ने बीजेपी की मानसिकता उजागर कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम किसानों और किसान संगठनों द्वारा जारी आंदोलन की पृष्ठभूमि में मिल रहे हैं। संसद के माध्यम से ‘तीन काले कानून’ को पास हुए एक साल से अधिक का समय हो गया है। हमने उन्हें विधायी जांच के अधीन करने की पूरी कोशिश की, लेकिन मोदी सरकार उन्हें पारित कराने पर तुली हुई थी ताकि कुछ निजी कंपनियों को फायदा हो सके।
लखीमपुर खीरी की घटना भाजपी की मानसिकता
सोनिया गांधी ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने तुरंत अपना विरोध शुरू कर दिया और तब से अब तक बहुत कुछ झेला है। लखीमपुर-खीरी की चौंकाने वाली घटना भाजपा की मानसिकता को उजागर करती है कि वो कैसे किसानों को धोखा देती है? उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को चिंताजनक बताते हुए कहा कि आर्थिक सुधार के नाम पर मोदी सरकार के पास एक ही विकल्प बचा है- बेचो, बेचो, और बेचो। उन्होंने कहा कि दशकों से बड़े प्रयास से निर्मित राष्ट्रीय संपत्तियों को मोदी सरकार में बेचा जा रहा है।
बेचो बेचो के सिंगल प्वाइंट एजेंडे से खतरा
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के न केवल रणनीतिक और आर्थिक उद्देश्य हैं, बल्कि इसके सामाजिक लक्ष्य भी हैं। उदाहरण के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का सशक्तिकरण और पिछड़े क्षेत्रों का विकास करना भी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्देश्य है, लेकिन यह सब मोदी सरकार के बेचो, बेचो, बीचो के सिंगल प्वाइंट एजेंडे से खतरे में है।
महंगाई पर नाराजगी
कांग्रेस अध्यक्ष ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों खासकर खाद्य और ईंधन तेल की कीमत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी पर नाराजगी जाहिर की। कहा कि क्या देश में किसी ने कभी सोचा था कि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक होगी और डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के करीब होगा। गैस सिलेंडर की कीमत 900 रुपये होगी और खाना पकाने का तेल 200 रुपये लीटर होगा। यह पूरे देश के लोगों के लिए जीवन पर आघात है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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