सोशल मीडिया ने दर्द भी दिया और दवा भी, प्रियांक को सोशल मीडिया पर शोध के लिए पीएचडी की उपाधि
उत्तराखंड में कोविड से निपटने में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई। सोशल मीडिया ने दर्द भी दिया और दवा भी की, वाले अंदाज में भ्रामक सूचनाएं भी प्रसारित की और भ्रामक सूचनाओं से निपटने में लोगों की मदद भी की। ये तथ्य मीडिया एंड मास कम्युनिकेशन के शोधार्थी प्रियांक मोहन के शोध में सामने आये हैं। प्रियांक मोहन को देहरादून स्थित ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने पीएचडी की उपाधि से अलंकृत किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रियांक मोहन ने उत्तराखंड में सोशल मीडिया की कोविड प्रबंधन में भूमिका विषय पर प्रोफेसर डॉ. सुभाष गुप्ता के निर्देशन में यह शोध किया है। प्रो. गुप्ता के निर्देशन में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी से मीडिया एंड मास कम्युनिकेशन में शोध करके पीएचडी करने वाले वे सातवें स्कॉलर हैं। आभार व्यक्त करने पहुंचे डॉ प्रियांक को ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन प्रो. कमल घनशाला ने इस उपलब्धि पर बधाई दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रियांक को फाइनल डिफेंस में सफलता के बाद पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। फाइनल डिफेंस में बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी लखनऊ के पत्रकारिता विभाग के डीन प्रो. गोपाल सिंह एवं शिक्षविद प्रो. सुशील उपाध्याय बतौर एक्सपर्ट शामिल हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रियांक ने बताया कि रिसर्च में 64 फीसदी लोगों ने माना कोविड काल में राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग जागरुकता लाने में किया। अध्ययन में 93 फीसदी लोगों ने कहा कि कोविड जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए भविष्य में सोशल मीडिया का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। कोविड के दौरान फेसबुक और व्हाट्सऐप सबसे अधिक लोकप्रिय प्लेटफार्म के रूप में सामने आए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शोध में यह तथ्य भी सामने आया है कि कोविड काल में सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं सबसे बड़ी चुनौती रही है और खुद सोशल मीडिया इस चुनौती से निपटने में मददगार भी बना। फाइनल डिफेंस में प्रो. सुभाष गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक डॉ विजय पार्थसारथी, मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल सागर, फैशन डिजाइनिंग की विभागाध्यक्ष डॉ ज्योति छावड़ा, मास कॉम की विभागाध्यक्ष डॉ ताहा सिद्दकी, विभाग की पीएचडी कॉर्डिनेटर डॉ हिमानी बिंजोला भी शामिल हुए।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। यदि आप अपनी पसंद की खबर शेयर करोगे तो ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी। बस इतना ख्याल रखिए।

Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




