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December 16, 2024

श्री गुरूनानक जी का प्रकाशोत्सव आज, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी शुभकामना, जानिए नानकजी का जीवन दर्शन

आज गुरु पर्व यानि श्री गुरु नानक देव प्रकाशोत्सव का दिन है। सिख समुदाय की ओर से इस दिन को विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। गुरुद्वारों में विशेष आयोजन किया जाता है। इस दिन एक अलग तरह का उत्साह का माहौल होता है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरु नानक जी के प्रकाशोत्सव एवं कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए इस प्रकाश उत्सव पर प्रदेशवासियों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि की भी कामना की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि गुरु नानक जी ने समाज में ऊंच नीच, भेदभाव, वैमनस्यता को दूर करने तथा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि गुरु नानक जी द्वारा दिए गए सामाजिक समरसता, एकता, शान्ति एवं सौहार्द का संदेश आज पहले से भी अधिक प्रासंगिक हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रोशनी से जगमगाते हैं गुरुद्वारे
दिवाली के कुछ दिन बाद ही एक और रोशनी का पर्व आता है ‘गुरु पर्व’ आता है। गुरु पर्व यानि श्री गुरु नानक देव प्रकाशोत्सव दिन। गुरु नानक जी का जन्म 1469 को तलवंडी में हुआ था, जो आज के दौर में पाकिस्तान में है। इस दिन धरती पर खुद भगवान ने जन्म लिया था। आज भी गुरु नानक के दिखाए हुए मार्ग पर उनके अनुयायी चल रहे हैं। इस दिन दुनिया के किसी भी कोने में कोई गुरुद्वारा है तो वो जरूर जगमगाएगा। हर तरफ रोशनी ही रोशनी होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

निकाली जाती हैं झांकिया
शब्द पाठ के मोहित कर देने वाले सुर मंत्र मुग्ध कर देते हैं। नगर कीर्तन किये जाते हैं, झांकियां निकाली जाती हैं। हर तरफ माहौल भक्तिमय होता है। वैसे तो गुरु पर्व पूरे देश में ही मनाया जाता है, लेकिन पंजाब में इसकी रौनक देखने वाली होती है। कई दिन पहले ही गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। प्रकाशोत्सव वाले दिन जगह जगह लंगर लगाए जाते हैं। गतका खेला जाता है। कलाबाजियां दिखाई जाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गुरु नानक देव का जीवन
जब गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ तभी पता चल गया था कि वो कोई साधारण बालक नहीं हैं। उनके पैदा होते ही पूरा घर रोशनी से भर गया था। गुरु जी के पिता बाबा कालूचंद्र और माता त्रिपाता जी ने उनका नाम नानक रखा। थोड़े बड़े हुए तो पंडित हरदयाल के पास भेजा गया, लेकिन गुरु जी ने ऐसे ऐसे सवाल पूछ लिये जिनके जवाब पंडित भी नहीं जानते थे। सभी लोग नतमस्तक हो गए। नानक जी सांसारिक विषयों से ज्यादा आध्यातमिक विषयों की तरफ रहते थे। उन्होंने आध्यात्मिक चिंतन शुरू कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चमत्कार
एक बार बाबा नानक जी भैंसे चराने गए थे, लेकिन वहां पर ध्यानमग्न हो गए। भैंसों ने आस पास के खेतों की सारी फसल चर ली। गांव के लोग सरपंच रायबुलार के पास पहुंचे। गुरु नानक से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि घबराओ मत, उसके ही जानवर हैं, उसका ही खेत है, उसने ही चरवाया है। उसने एक बार फसल उगाई है तो हजार बार उगा सकता है। मुझे नहीं लगता कोई नुकसान हुआ है। जब लोग दोबारा खेत गए तो हैरान रह गए। फसलें पहले की तरह लहलहा रही थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चेहरे पर फन फैलाकर खड़ा हो गया सांप
एक बार गुरु नानक ध्यान में लीन हो गए तो खुले में ही लेट गए। सूरज तप रहा था जिसकी रोशनी सीधे उनके चेहरे पर पड़ रही थी। तभी अचानक एक साँप आया और बालक नानक के चेहरे पर फन फैलाकर खड़ा हो गया। जमींदार रायबुलार वहाँ से गुजरे। उन्होंने इस अद्भुत दृश्य को देखा तो आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उन्होंने नानक को मन ही मन प्रणाम किया। इस घटना की स्मृति में उस स्थल पर गुरुद्वारा मालजी साहिब का निर्माण किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

व्यापार के लिए दिए गए पैसों को गरीब और संत पर कर दिया खर्च
जब गुरु नानक जी 12 वर्ष के थे उनके पिता ने उन्हें 20 रूपए दिए और अपना एक व्यापार शुरू करने के लिए कहा ताकि वे व्यापार के विषय में कुछ जान सकें। पर गुरु नानक जी ने उस 20 रूपये से गरीब और संत व्यक्तियों के लिए खाना खिलने में खर्च कर दिया। जब उनके पिता ने उनसे पुछा – तुम्हारे व्यापार का क्या हुआ? तो उन्होंने उत्तर दिया – मैंने उन पैसों का सच्चा व्यापार किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कई भाषाओं के थे ज्ञानी
अपने बाल्य काल में श्री गुरु नानक जी नें कई प्रादेशिक भाषाएँ सिखी जैसे फारसी और अरबी। उनका विवाह वर्ष 1487 में हुआ और उनके दो पुत्र भी हुए । बाद में गुरु नानक देव तीर्थ स्थानों पर दर्शन के लिये निकल गए।
ईश्वर एक है
श्री गुरु नानक देव जी ने ‘ईश्वर एक है’ की बात कही। नानक जी ने सिखाया कि उसकी उपासना सब धर्मों के लिये एक है। गुरु नानक जी ने दस सिंद्धांत भी दिये।
कई कार्यक्रम होते हैं आयोजित
गुरु पर्व के दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गुरुद्वारों में अखंड पाठ होते हैं। सड़क किनारे छबीलें लगाई जाती हैं। सिख निहंग अपने गतका कौशल दिखाते हैं। स्कूलों में बच्चे शबद गाते हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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