चांद की सतह पर मौजूद हैं जूते, मानव मल, गोल्फ बॉल, फोटो और हथौड़ा, जानिए कारण
इंसान जहां भी जाता है, वहां कचरा जरूर छोड़ जाता है। चांद पर भी यही बात लागू हुई। चंद्र अभियान के शुरू होने से लेकर अब तक चांद में इंसान की ओर से चांद की सतह पर काफी गंदगी फैला दी गई है। चांद की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने अपना काम करना शुरू कर दिया है। ये पहली बार नहीं है जब इंसानों की पहुंच चांद तक गई हो। चांद पर इंसान की नजर 1950 से रही है। रूस से उसी साल पहला यान लूना-1 चंद्रमा के नजदीक से गुजारा था। 63 सालों से पृथ्वी से चांद पर उपग्रह भेजे जा रहे हैं। तभी से उपग्रह की सतह पर मानव के पड़ते कदम ने कचरे का अंबार लगाना शुरू कर दिया था। अब तक 12 अंतरिक्ष यात्री और कई मिशन चांद पर भेजे जा चुके हैं। इंसान (अंतरिक्ष यात्री) वापस तो आ गए, लेकिन कचरा वहीं छोड़ आए। चांद पर मानव मल, इंसानी राख, फोटो फ्रेम, गोल्फ की गेंद समेत करीब 200 टन कचरा जमा हो चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंसान ने चंद्रमा तक पर कई चीजें छोड़ी हैं। इनमें पेशाब से भरे बैग से लेकर गोल्फ बॉल तक शामिल हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने जब मून मिशन की शुरुआत की तो, उस वक्त चंद्रमा पर जाने वाले इसके एस्ट्रोनोट्स ने बहुत सी चीजों को वहीं पर छोड़ दिया। इनमें से कुछ चीजों को मजबूरी में छोड़ना पड़ा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कहा जाता है कि इंसानों ने चांद की सतह पर 1.8 लाख किलोग्राम की अलग-अलग चीजें छोड़ी हुई हैं। इसमें से ज्यादातर चीजें खराब स्पेसक्राफ्ट और रॉकेट्स हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे स्पेसक्राफ्ट हैं, जिन्हें जानबूझकर चांद की सतह से क्रैश करवाया गया। हालांकि, इन सभी चीजों में कुछ ऐसी भी हैं, जो काफी अजीब हैं। जैसे गोल्फ बॉल, फोटो, पेशाब से भरे बैग। हम यहां यही बताने जा रहे हैं कि चांद पर क्या क्या चीजें छोड़ी गई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आर्मस्ट्रांग ने भी छोड़ा था कचरा
सबसे पहले चांद पर कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग और एडविन ‘बज’एल्ड्रिन थे। उन्होंने वापसी में अंतरिक्ष यान की बिना जरूरत वाली चीजें चांद पर ही छोड़ दी। अमेरिकी झंडे की ट्यूब, टीवी कैमरा और चांद से धूल-कंकड़ पत्थर उठाने वाले सभी उपकरण को वहीं छोड़ दिया था। उसके बाद अपोलो मिशन में लगभग 4 लाख पाउंड कचरा छोड़ा गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा के अपोलो मिशन के तहत जब एस्ट्रोनोट्स चांद पर गए, तो उन्होंने पेशाब और मल करने के बाद उसे बैग में इकट्ठा किया। नासा ने पेशाब-मल के लिए कुल मिलाकर 96 बैग दिए थे। जब मिशन समाप्त हो गया और एस्ट्रोनोट्स वापस लौटने लगे तो उन्होंने स्पेसक्राफ्ट का वजन कम करने के लिए इन बैगों को वहीं चांद की सतह पर छोड़ दिया। आज भी ये बैग चांद की सतह पर पड़े हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
झंडे और इंसानी राख
अब चांद पर छोड़ी गई सामग्री को धरती पर लाकर स्टडी करने की प्लानिंग की जा रही है। वहीं, 1969 के अपोलो मिशन से देश का झंडा लगाने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि, चांद पर हवा नहीं है तो ये झंडे आज भी वैसे ही बरकरार हैं। स्थलीय क्रेटरों का अध्ययन करने वाले भूविज्ञानी (Geo Scientist) ने राख लूनर प्रोस्पेक्टर के एक कैप्सूल में भेजी थी। ये आज भी चांद पर मौजूद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
12 जोड़ी स्पेस में पहनने वाले जूते
अपोलो 11 मिशन पूरा करने के बाद नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन ने न सिर्फ चांद की सतह पर पेशाब और मल से भरे बैग छोड़े, बल्कि उन्होंने कई सारी ऐसी चीजों को वहीं छोड़ दिया, जिनकी उन्हें जरूरत नहीं थी। इसमें 12 जोड़ी स्पेस में पहनने वाले जूते भी शामिल थे। इसके अलावा कैमरा, कुछ टूल्स और फिल्म भी शामिल थीं। उन्होंने अमेरिकी झंडा भी चांद की सतह पर लगाया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो गोल्फ बॉल
नासा के अपोलो 14 मिशन के तहत 1971 में एलन शेपर्ड चांद पर गए। वह अपने साथ गोल्फ किट लेकर चांद पर पहुंचे थे। चांद पर लैंड करने के बाद उन्होंने वहां गोल्फ खेला। उनके एक-दो शॉट भी काफी अच्छे रहे। उन्होंने बताया था कि चंद्रमा के कम ग्रेविटी वाले वातावरण में गोल्फ बॉल काफी दूर तक चली गई और उन्होंने उसे उठाने की जहमत भी नहीं उठाई। इसलिए आज भी चांद पर उनकी छोड़ी दो गोल्फ बॉल मौजूद हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एस्ट्रोनोट के परिवार की तस्वीर
अपोलो 16 मिशन के दौरान नासा एस्ट्रोनोट्स चार्ल्स ड्यूक ने चांद की सतह पर एक तस्वीर छोड़ी। इसमें चार्ल्स के अलावा उनकी पत्नी डोर्थी और उनके दो बेटे चार्ल्स और थॉमस थे। ड्यूक ने ये तो नहीं बताया कि उन्होंने चांद की सतह पर फोटो क्यों छोड़ी, लेकिन उन्होंने उसके पीछे एक मैसेज जरूर लिखा था। इसमें लिखा कि- ये पृथ्वी के एस्ट्रोनोट ड्यूक के परिवार की फोटो है। ड्यूक अप्रैल 1972 में चांद पर लैंड हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पंख और हथौड़ा
अपोलो 15 मिशन के तहत चांद पर गए एस्ट्रोनोट डेविड स्कॉट ने एक पंख और हथौड़े के साथ एक एक्सपेरिमेंट किया। उन्होंने पंख और हथौड़े को एक साथ गिराया। इस एक्सपेरिमेंट का मकसद ये पता लगाना था कि क्या पंख और हथौड़ा अलग-अलग समय पर चांद की सतह पर गिरते हैं। हालांकि, दोनों एक ही समय पर गिरे और तब से वहीं पड़े हुए हैं। उन्होंने गैलीलियो गैलिली से प्रभावित होकर ये एक्सपेरिमेंट किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
16वीं सदी में गैलीलियों ने हवा में विभिन्न भार वाले वस्तु की गति मापने के लिए एक प्रयोग किया था। इसके लिए उन्होंने पीसा की झुकी मीनार से एक हलकी और एक भारी वस्तु गिराई थी। इसी को साबित करने के सन 1971 में अपोलो-15 के अंतरिक्ष यात्री स्कॉट ने चंद्रमा की सतह पर एक पंख और एक हथौड़ा चांद की जमीन पर गिराए थे। इससे साबित हुआ था कि वहां गुरुत्वाकृषण है। इसीलिए दोनों वस्तु एक साथ चांद की सतह पर गिरे थे। इनका ये अपशिष्ट आज भी चांद पर मौजूद है।
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