शिक्षक विजय प्रकाश रतूड़ी की गढ़वाली में शिव स्तुति कविता-शिव की सच्ची पूजा करी
शिव की सच्ची पूजा करी।
शिवजी शिवजी शिवजी शिवजी,
ॐ नमः शिवाय।
सत्यं शिवम् सुंदरम,
मन मा बसाया।
पर सुण्याल बात मेरी,
शिव की सच्ची पूजा करी।
झुट्टि पूजा करीतैं,
भस्मासुर बण्या ना।
राजा भगीरथ बणीतैं,
गंगा तैं संवार्या।
गंगा तैं सुरार्या।
शिवजी शिवजी शिवजी शिवजी,
ॐ नमः शिवाय।
सत्यं शिवम् सुंदरम मन मा बसाया।
शिवजी का भक्तु देखी,
चिंता मिटगि मेरी।
शिवजी का भक्त ह्वैगि,
खड़ा डेळि डैळि।
शिवजी का भक्त ह्वैगि,
खड़ा डेळि डेळि।
समाजो कु जैर अब त,
क्वी भि देलु पेयी।
बार बार महादेव तुम,
नीलकंठ बण्यां ना।
नीलकंठ बण्यां ना
शिवजी शिवजी शिवजी शिवजी,
ॐ नमः शिवाय।
सत्यं शिवम् सुंदरम मन मा बसाया।
कवि का परिचय
नाम-विजय प्रकाश रतूड़ी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओडाधार
विकासखंड भिलंगना, जनपद-टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।