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December 26, 2024

पहला नवरात्र आज, कीजिए मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए मां के इस रूप का महत्व, कैसे लगाएं भोग

आज 17 अक्तूबर से नवरात्रि आरंभ हो गए। घर-घर मां की चौकी सजाकर उनका पूजन किया जाना है। नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, नवरात्रि में भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए विविध प्रकार से उनकी पूजा-आराधना करते हैं। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यहां इसके बारे में बता रहे हैं डॉक्टर आचार्य सुशांत राज।
उन्होंने बताया कि नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों को पूजा जाता है। माता दुर्गा के इन सभी नौ रूपों का अपना अलग महत्व है। माता के प्रथम रूप को शैलपुत्री, दूसरे को ब्रह्मचारिणी, तीसरे को चंद्रघण्टा, चौथे को कूष्माण्डा, पांचवें को स्कन्दमाता, छठे को कात्यायनी, सातवें को कालरात्रि, आठवें को महागौरी तथा नौवें रूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है।
शैलपुत्री−
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।।
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। शैल का मतलब होता है पर्वत। ये पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। जिसके कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री प्रकृति की देवी हैं। इनके पूजन से साधक को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। यह वृषभ पर आरूढ़, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में पुष्प कमल धारण किए हुए हैं। यह नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। नवरात्रि पूजन में पहले दिन इन्हीं का पूजन होता है। प्रथम दिन की पूजा में योगीजन अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना शुरू होती है।
भोग के बगैर अधूरी है पूजा
इन्हें भोग में गाय का शुद्ध घी अर्पित करना चाहिए। इससे रोगों से मुक्ति मिलेगी।
सनातन धर्म में कोई भी पूजा भोग के बिना अधूरी मानी जाती है। इसलिए किसी भी देवी-देवता की पूजा करते समय भोग लगाना अनिवार्य है। सभी देवी-देवताओं को उनके प्रिय भोग लगाने से वे प्रसन्न होते हैं। वैसे तो भक्तों के द्वारा श्रद्धा और भक्ति भाव से अर्पित किया गया रूखा-सूखा भोजन भी मां को प्रिय होता है। फिर भी नवरात्रि के नौ दिनों तक आप मां को उनका प्रिय भोग लगाकर प्रसन्न कर सकते हैं।


नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शिव मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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