पंजाब में बगावती तेवर वाले सात विधायक उत्तराखंड पहुंचे, इनमें चार मंत्री भी शामिल, पढ़िए क्या है पूरा मामला
पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सत्ता को लेकर खींचतान जारी है। जब चार कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री सिंह को हटाने की खुले तौर पर कल वकालत कर डाली थी। साथ ही उन पर आरोप लगाए कि वह कुछ प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं। इस बीच पंजाब सरकार के चार कैबिनेट मंत्रियों समेत सात कांग्रेस विधायकों के उत्तराखंड पहुंचने की सूचना है। वे कड़ी सुरक्षा के बीच राजधानी देहरादून में हरिद्वार बाइपास स्थित एक होटल में ठहरे हुए हैं। होटल के कर्मचारियों ने बताया कि करीब 12 बजे कांग्रेस के पंजाब प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ इनकी बैठक होनी है। फिलहाल, किसी को भी अंदर आने की अनुमति नहीं है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत एक बार फिर पंजाब कांग्रेस के संकट को लेकर सक्रिय हो गए हैं। रावत पंजाब के प्रभारी हैं, लिहाजा इस राजनीतिक घटनाक्रम में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। इस सिलसिले में रावत से मिलने पंजाब के सात विधायक उत्तराखंड पहुंचे हैं।
आपको बता दें कि पंजाब में मंगलवार को 30 कांग्रेस विधायकों के मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल देने के बाद देहरादून में कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत के आवास पर हलचल बढ़ गई। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, इस संबंध में हरीश रावत का कहना है कि उनकी कोशिश रहेगी कि विधायकों में असंतोष के मामले का समाधान उनके ही स्तर पर हो जाए, लेकिन जरूरत हुई तो उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलवाया जा सकता है। इसमें गलत कुछ भी नहीं है कि विधायक पार्टी अध्यक्ष से मिलना चाहते हैं। हरीश रावत के मुताबिक ये बगावत नहीं है। उन्होंने अपनी व्यथा बताई है। उन्होंने कहा कि राजनीति में इस तरह की घटनाएं साधारण ही होती हैं। सूत्रों के मुताबिक रावत देहरादून से पंजाब के राजनीतिक हालात पर नजर रखे हुए हैं। पार्टी विधायकों के साथ ही पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू से भी उनकी फोन पर बात हुई है। मुख्यमंत्री कै. अमरिंदर सिंह समर्थक विधायकों से भी उन्होंने बात की।
सत्ता को लेकर खींचतान तेज
गौरतलब है कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सत्ता को लेकर खींचतान मंगलवार को उस वक्त तेज हो गई, जब चार कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री सिंह को हटाने की खुले तौर पर वकालत करते हुए कहा कि वह कुछ प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं। सिद्धू को भी मुख्यमंत्री सिंह के करीबी माने जाने वाले पंजाब के मंत्रियों और विधायकों के एक समूह द्वारा निशाना बनाया गया, जिन्होंने सिद्धू के दो सलाहकारों की कथित राष्ट्र विरोधी एवं पाकिस्तान समर्थक टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि लगभग छह महीने में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले यह कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
सिद्धू के सलाहकार मालविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग कश्मीर और पाकिस्तान पर अपनी हालिया विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर विपक्ष और पार्टी के निशाने पर आ गए हैं। इससे पहले अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को अपने सलाहकारों पर लगाम लगाने के लिए कहा था और उनकी टिप्पणी को गलत बताया था, जबकि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को पूछा था कि क्या ऐसे लोगों को पार्टी में रखा जाना चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री को मंगलवार को प्रतिद्वंद्वी खेमे से खुले विद्रोह का सामना करना पड़ा। चार मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी और लगभग 24 विधायकों ने मंगलवार को यहां बाजवा के आवास पर मुलाकात की।
यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री को हटाने का प्रयास किया जा रहा है, बाजवा ने कहा कि यह प्रयास नहीं, बल्कि लोगों की मांग है। मुख्यमंत्री के नए चेहरे पर एक सवाल के जवाब में बाजवा ने कहा कि फैसला पार्टी आलाकमान द्वारा लिया जाएगा। बाजवा ने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने और राज्य की राजनीतिक स्थिति से उन्हें अवगत कराने के लिए समय मांगेंगे। उन्होंने कहा कि कड़े कदम उठाने की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत है, तो यह किया जाना चाहिए। बैठक के बाद, चन्नी ने मीडिया से कहा कि पार्टी के कई विधायक और मंत्री मंगलवार को यहां एकत्रित हुए और उन वादों को लेकर चिंता व्यक्त की, जिन्हें पूरा नहीं किया गया है। इन वादों में 2015 में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के मामलों में न्याय में देरी, मादक पदार्थ रैकेट में शामिल बड़े लोगों को पकड़ना और बिजली खरीद समझौतों को रद्द करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि बाजवा, सरकारिया, रंधावा और पंजाब कांग्रेस महासचिव परगट सिंह पार्टी आलाकमान से मुलाकात करेंगे। बाद में बाजवा, चन्नी, रंधावा और कुछ अन्य विधायकों ने पंजाब कांग्रेस भवन में सिद्धू से मुलाकात की। इसके बाद सिद्धू ने ट्वीट कर कहा कि-आपातकालीन बैठक के लिए तृप्त बाजवा जी का फोन आया। अन्य सहयोगियों के साथ उनसे पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में मुलाकात की। आलाकमान को हालात से अवगत कराउंगा। सिद्धू की नियुक्ति के साथ राज्य इकाई में असंतोष को खत्म करने के कांग्रेस के हालिया प्रयास विफल होते दिख रहे हैं और इस घटनाक्रम से राज्य इकाई में संकट और गहराने की आशंका है।
चन्नी ने कहा कि कई विधायक 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस द्वारा किए गए उन वादों को लेकर चिंतित हैं जिन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है। चन्नी ने कहा कि हमारे मुद्दे हल नहीं हो रहे हैं। हमें अब विश्वास नहीं है कि इन मुद्दों का समाधान किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कोटकपुरा पुलिस गोलीबारी की घटना में एसआईटी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से पूछताछ के बाद कुछ नहीं हुआ। चन्नी ने कहा कि- आज स्थिति ऐसी है कि मुख्यमंत्री (अमरिंदर सिंह) के साथ हमारे मुद्दों का समाधान नहीं हो रहा है और इसलिए हम पार्टी आलाकमान से मिलने जा रहे हैं।
इस बीच मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले नेताओं ने सिद्धू पर निशाना साधा। मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु, बलबीर सिंह सिद्धू और साधु सिंह धर्मसोत के साथ विधायक राज कुमार वेरका ने यहां एक संयुक्त बयान में कहा कि सिद्धू के नवनियुक्त सलाहकारों की टिप्पणी स्पष्ट रूप से-भारत के हितों के खिलाफ और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदेह थी। मंत्रियों और विधायकों के समूह ने सलाहकारों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व से सिद्धू को पार्टी के साथ-साथ देश के हित में अपने सहयोगियों पर तुरंत लगाम लगाने का निर्देश देने का आग्रह किया। पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि कश्मीर पर माली का बयान इस मुद्दे पर भारत की घोषित स्थिति से विपरीत और खतरनाक था और ऐसे बयान स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि गर्ग का बयान भी पाकिस्तान के समर्थन में प्रतीत होता है। पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक विवादास्पद और अत्यधिक आपत्तिजनक चित्र (स्केच) पोस्ट करने के लिए माली की निंदा की और इसे उनके पार्टी विरोधी रुख का एक और उदाहरण बताया।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।