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November 22, 2024

वरिष्ठ रचनाकार शोभाराम शर्मा को मिलेगा 2023 का विद्यासागर साहित्य सम्मान, अनिल स्वामी भी होंगे सम्मानित

वर्ष 2023 का विद्यासागर साहित्य सम्मान वरिष्ठ रचनाकार शोभाराम शर्मा को दिया जाएगा। वहीं सामाजिक क्षेत्र में अनिल स्वामी (थपलियाल) को दिया जाएगा। सम्मान में प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो व सम्मान राशि प्रदान की जाएगी। प्रथम विद्यासागर साहित्य सम्मान वरिष्ठ कथाकार सुभाष पंत को और दूसरा स्व. शेखर जोशी को दिया गया था। यह सम्मान हिंदी के जाने माने कथाकार स्व. विद्यासागर नौटियाल की स्मृति में दिया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विद्यासागर नौटियाल सम्मान समिति और देहरादून के रचनाकारों की संस्था संवेदना के तत्वाधान में सम्मान समारोह 29 सितम्बर 2023 को देहरादून में आयोजित होगा। समारोह में देश के स्पेनिश भाषा के विशेषज्ञ डॉ. प्रभाती नौटियाल मुख्य अतिथि होंगे। मुख्य वक्ता के रूप में लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विद्यासागर साहित्य सम्मान समिति की तीन सदस्यीय चयन समिति में शामिल वरिष्ठ कथाकार सुभाष पन्त, कवि राजेश सकलानी और कथाकार नवीन कुमार नैथानी ने उत्तराखंड के समस्त जनपक्षधर रचनाकारों में से अंतिम रूप से सामने आए 9 रचनाकारों के समग्र साहित्य पर विस्तार से चर्चा विमर्श करने के बाद वर्ष 2023 के लिए विद्यासागर नौटियाल की परंपरा के सबसे उपयुक्त पात्र के रूप में शोभाराम शर्मा के नाम की घोषणा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शोभाराम शर्मा का पहला उपन्यास ‘धूमकेतु’ पचास के दशक में प्रकाशित हो गया था। तब वह राही सुंदरियाल नाम से लिखते थे। 90 की वय पार कर चुके शोभाराम शर्मा की अधिकांश कृतियां सृजन के कई दशक बाद प्रकाशित हुई हैं। बीते साल वर्ष 2022 में ही उनका एक कथा संग्रह “तीलै धारो बोला” प्रकाशित हुआ है। 2022 में ही उत्तराखंड की सबसे छोटी आदिम जनजाति राजी या वनरावतों पर लिखा उनका उपन्यास ‘काली वार-काली पार ’ प्रकाशित हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उनकी इस वर्ष प्रकाशित रचनाओं में नाटक संग्रह ‘मगर होलिका नहीं जली’ और चयनित व्यंग्य रचनाओं का संग्रह प्रकाशित हुए हैं। उनकी अन्य रचनाओं में ‘क्रांतिदूत चे ग्वेरा’ (चे ग्वेरा की डायरियों पर आधारित जीवनी), ‘अमरीका परदे के पीछे परदे के बाहर ’ , वीर चंद्र सिंह गढवाली के जीवन पर आधारित महाकाव्य ‘हुतात्मा। उत्तराखंड के पतनोन्मुख कत्यूरी वंश पर नाटक “महारानी जिया” (नाटक)। चीनी उपन्यास हरीकेन हिंदी अनुवाद अंधड़, साइबेरिया की चुकची जनजाति के पहले उपन्यासकार यूरी रित्ख्यू के उपन्यास का भी हिंदी अनुवाद ‘जब व्हेल पलायन करते हैं’ , मानक हिंदी मुहावरा कोश (दो भाग), वर्गीकृत हिंदी मुहावरा कोश, वर्गीकृत हिंदी लोकोक्ति कोश आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त वनरावतों पर उनका शोध प्रबंध ‘पूर्वी कुमांऊ तथा पश्चिमी नेपाल की राजी जनजाति (वनरावतों) की बोली का अनुशीलन ’ प्रकाशनाधीन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सामाजिक क्षेत्र में चयन समिति राजीव नयन बहुगुणा, जगदंबा प्रसाद रतूड़ी व डॉ. कमल टावरी, ने सर्वसम्मति से पांच नामों में अनिल स्वामी के नाम का चयन उनके द्वारा विगत पांच दशक से किए गए कार्यो एवम समाज के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वह उत्तराखंड आन्दोलन, गढ़वाल विवि आंदोलन, शराब विरोधी आन्दोलन, पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा के साथ आन्दोलन में बहुत सक्रिय रहे। श्रीनगर शहर में प्रगतिशील जन मंच के जरिए नगर की विभिन्न नागरिक सुविधाओं के लिये संघर्षों में उनका योगदान रहा है। वह लावारिस देह का दाह संस्कार, अस्पताल में गरीबो व असहाय लोगों को औषधि व मदद, रक्तदान में सामाजिक चेतना आदि ढेरों सामाजिक कार्य करते रहे हैं।
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