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September 10, 2025

अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर गढ़वाल सभा में गोष्ठी, वक्ताओं ने कहा- हमें उनके कृत्यों से सीखना होगा

अखिल गढ़वाल सभा भवन देहरादून में अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 82 वें बलिदान दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने सुमन के संघर्ष पर चर्चा की। साथ ही गुलामी और राजशाही के खिलाफ उनके संघर्ष की चर्चा करते हुए उनके आंदोलन से सीख लेने की सलाह दी। वक्ताओं ने कहा कि हमें सुमन के संघर्ष से सीखना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर गढ़वील सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना ने कहा कि सुमन जी ने मात्र 28 वर्ष की आयु में ही जनसरोकारों के लिये आमरण अनशन किया। उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में भी भूमिका निभाई। उपाध्यक्ष निर्मला बिष्ट ने कहा कि हमे सुमन के कृत्यों से बहुत कुछ सीखना होगा। धीरज सिंह नेगी जी ने अपने विद्यार्थी काल मे ही स्व. श्रीदेव सुमन के नाम से पुस्तकालय चलाया था। उन्होंने कहा सुमन के नाम पर डाक टिकट जारी करने का प्रयास हमने गढ़वाल सभा के माध्यम से किया था, जो उस समय नही हो पाया। उन्होंने मांग रखी कि उनके नाम पर डाक टिकट जारी होना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

साहित्यकार व सुमन के भांजे मुनिराम सकलानी ने बताया सुमन ने अपने क्रांतिकारी विचारों के तहत टेहरी रियासत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ 1939 में टेहरी प्रजामंडल की स्थापना की। मात्र 14 वर्ष की आयु में वे नमक सत्याग्रह में शामिल हुए। साहित्यिक क्षेत्र में उन्होंने सुमन सौरभ नामक कविता का संग्रह भी प्रकाशित किया। तीन मई 1944 को उन्होंने अपना आमरण अनशन शुरू किया और 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल के बाद 25 जुलाई 1944 को ये महान क्रांतिकारी सदा के लिए सो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राज्य आंदोलनकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता मोहन खत्री ने कहा कि अगले वर्ष हम इस विशेष दिन में स्वास्थ्य शिविर लगाएंगे। राकेश डंगवाल ने भी सुमन के संघर्ष से सीख लेने को कहा। जितेंद्र अंथवाल ने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि श्रीदेव सुमन जैसी विभूतियों को हमारी आने वाली पीढियां भी प्रेरणा ले। उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य जिलों में भी सुमन की मूर्तियां या स्मृतियां भी हों। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

चंद्र दत्त सुयाल जी ने सुमन के व्यक्तित्व पर बहुत भावुक गीत सुनाया।। इससे पहले मुनिराम सकलानी ने बताया सुमन ने अपने क्रांतिकारी विचारों के तहत टेहरी रियासत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ 1939 में टेहरी प्रजामण्डल की स्थापना की। मात्र 14 वर्ष की आयु में वे नमक सत्याग्रह में शामिल हुए। साहित्यिक क्षेत्र में उन्होंने सुमन सौरभ नामक कविता का संग्रह भी प्रकाशित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गढ़वाल सभा के महासचिव गजेंद्र भंडारी ने कहा कि सभा मुख्यमंत्री को प्रस्ताव देगी कि टिहरी झील का नाम सुमन सरोवर किया जाए। प्रस्तावित कर्णप्रयाग रेल का नाम चंद्र सिंह गढ़वाली एक्सप्रेस रखा जाय। गोष्ठी का संचालन उदय शंकर भट्ट ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर संतोष गैरोला, वीरेंद्र असवाल, अजय जोशी, दिनेश बौराई, सूर्य प्रकाश भट्ट, संजय डिमरी, प्रभात बर्थवाल, मोहन खत्री, हेमलता नेगी, रीता बिष्ट, सुजाता पाटनी,सरस्वती रतूड़ी, चंदा बडोनी, संतोष खेतवाल, हेमचंद सकलानी, सरदार जसप्रीत सिंन वालिया, कुलानंद नौटियाल आदि उपस्थित थे।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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