बारिश शुरू और जंगल बसाने के लिए फेंके जा रहे हैं बीज बम

मानसून की बारिश शुरू होते ही जंगलों का दायरा बढ़ाने के लिए बीज बम के धमाके शुरू हो गए हैं। बीज हम को आवश्यकतानुसार उन खाली स्थानों पर फेंका जा रहा है, जहां जंगल बसाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बीज हम एक गेंद है। इसे बनाने के लिए पेड़ उपजाने के लिए बीज, मिट्टी, कम्पोस्ट, कागज की लुगदी को मिला कर छोटे छोटे गोले बनाए जाते हैं। गोलो के अंदर 2 बीज डाला जाता है। बीज क्षेत्र विशेष व बुआई समय के अनुरूप होता है। गोलो को तैयार कर छांव में रखते हैं। इसके 3-4 दिन बाद में इन्हें चयनित स्थान फेंका जाता है। ताकि गोलों में जो बीज हैं, वो पौधों में बदल जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में खेल खेल में पर्यावरण संरक्षण एवं मानव और वन्य जीवों के बीच बढ़े संघर्ष को कम करने के लिए पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी के की ओर से वर्ष 2017 से बीज बम अभियान चलाया जा रहा है। बीज बम अभियान में जन भागीदारी बढ़ाने एवं ज्यादा से ज्यादा लोग बीज बम के बारे में जाने समझे, इसके लिए संस्थान द्वारा वर्ष 2019 से 9जुलाई से 15 जुलाई तक बीज बम अभियान सप्ताह मनाया जाता है। विगत वर्षो की भांति इस वर्ष आज 9 जुलाई को उत्तराखण्ड एवं हिमाचल में विभिन्न जनसंगठनों, महिला स्वयं सहायता समूह ने बीज बम अभियान सप्ताह की शुरूआत की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीज बम अभियान अब देश का अभियान बन चुका है। मानव और वन्य जीवों के बीच बढ़ रहे संघर्ष का एक ही समाधान है कि जंगलों में वन्य जीवों के लिए भोजन, पानी की व्यवस्था हो। पानी के लिए जल कुण्ड और भोजन के लिए बीज बम। बीज बम अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने बताया कि आज नौ जुलाई को उत्तराखण्ड एवं हिमाचल में 250 स्थानों पर बीज बम अभियान सप्ताह मनाया गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।