राष्ट्रीय वेबीनार में छात्रों को बताए विज्ञान के रहस्य, जिज्ञासाओं का दिया जवाब
विज्ञान को समझने के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा ( रूद्रप्रयाग) की ओर से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड के निर्देशन एवं अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के तकनीकि सहयोग से राष्ट्रीय वेबीनार की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है।
कार्यक्रम में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखंड के अपर निदेशक डॉ. आर डी शर्मा ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता व मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. वर्मा का परिचय दिया। बताया कि हुए बताया कि डॉ. वर्मा देश के उन गिने चुने भौतिक विज्ञानियों में से हैं, जिन्हें देश के लाखों छात्र अपना प्रेरक मानते हैं। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर रहे डॉ. वर्मा ने कई पुस्तकों का लेखन भी किया है। उनकी गणना देश के शीर्ष भौतिक विज्ञानियों में होती है। वर्ष 2020 में उन्हे भौतिक विज्ञान में दिए अपने अद्वितीय योगदान के लिए देश का प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री प्रदान किया गया।
विज्ञान को समझाया, छात्रों के प्रश्नों के दिए जवाब
डॉ. वर्मा ने दैनिक जीवन में स्नान के लिए बिजली की मदद से गर्म किये जाने वाले पानी के गर्म होने की विधि व कारणों पर प्रकाश डाला। बच्चों से प्रश्न करते हुए कहा कि क्या कारण है कि बिजली की रॉड की मदद से पानी गर्म हो रहा है? बच्चों ने इस प्रश्न के जवाब में बताया कि इलेक्ट्रिक इनर्जी, हीट इनर्जी में बदलने पर पानी गर्म हो जाता है। उन्होंने बच्चों को उन्ही के घर में विज्ञान के विभिन्न नियमों को तथ्यपरक ढंग से समझाते हुए कहा कि बच्चों को विज्ञान को जानने – समझने व सीखने के लिए किसी भी घटना के कारणों पर प्रश्नचिह्न खड़े करने पड़ते हैं। इन्ही प्रश्नों के जवाब ढूंढने में हमारा सामना विज्ञान के उन सिद्धांतों से होता है, जो हम तब तक देख नहीं पाते जब तक कि हम क्यों? कैसे? जैसे प्रश्न स्वयं से नहीं करते।
उन्होने डिटर्जेंट से कपड़े साफ धुलने, कुकर में दाल जल्दी बनने, गैस सिलेंडर से अंत तक बराबर दबाव से गैस निकलने जैसे साधारण प्रश्नों को ऐसे ही अनेक प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए प्रेरित किया। साथ ही बताया कि विज्ञान कोई अलग से चीज न होकर हमारे ही आस पास, हमारे ही परिवेश में समाहित है। बस हमें उसे देखने और समझने के नजरिये की जरूरत है।
कार्यक्रम के अंत में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग के प्राचार्य हरि बल्लभ डिमरी ने डॉ. वर्मा का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा अवसर है कि देश के विभिन्न राज्यों के बच्चे दैनिक जीवन के विज्ञान को इतनी सूक्ष्मता से महसूस कर रहे हैं। कार्यक्रम में अलग अलग समय पर देश भर से हजारों विद्यार्थी, शिक्षक, शोध छात्र व विज्ञान में रूचि रखने वाले आम आदमी जुड़े।
आईआईटी दिल्ली के मार्कण्डेय दुबे तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. मुरली मनोहर वर्मा ने बताया कि शोध छात्रों ने भी कार्यक्रम में खूब रूचि ली। श्रृंखला की अगली कड़ी में डॉ. वर्मा के कई प्रोजेक्ट में सहायक रहे मैकेनिकल इंजीनियर अभिषेक दास “फन विद कैमिस्ट्री” पर अपने छोटे छोटे प्रयोगों से बच्चों को प्रेरित करते हुए अपने आस पास के जनजीवन में रसायन और रसायनों के प्रयोग के चमत्कार पर बात करेंगे। अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के सहयोग से अगली कड़ी का यह कार्यक्रम रविवार 17 अक्टूबर को शांय 4 से 5 बजे यूट्यूब लाइव पर प्रसारित होगा। इससे जुड़ने का लिंक- https://www.youtube.com/watch?v=EDlxFIzV1Fk है।
इनका रहा सहयोग
इस कार्यक्रम को सम्पन्न करने में मैकेनिकल इंजीनियरमुकुल राठी, डॉ. शैलेश त्रिपाठी (बी एम इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज इन्दौर (मप्र), डॉ. हेमलता यादव (विभागाध्यक्ष शिक्षा), पीयूष शर्मा, माधव गैरोला, अखिलेश घिल्डियाल, कमलेश जोशी, हेमंत चौकियाल, विजय कुमार ,विनोद कुमार राठौर, गोपाल प्रसाद कप्रवान, भानु प्रकाश, मनोज भाकुनी, अमृता नौटियाल, सुरेन्द्र डुंगरियाल, सुधीर चन्द्र कांति, विजय बमराड़ा, डॉ. हिमांशु पाण्डेय, निर्मल कुमार, न्योलिया, डॉ. अनिल कुमार मिश्रा, रोहित शर्मा, मनोज कुमार, के०बी०सकलानी, संजीव कुमार बडोला, राकेश पोखरियाल, राजेश जोशी, रेनू पवन भारत, विकास जावरी, डॉ. संजय कोठारी, अलख नारायण दुबे, अल्का चौधरी, सुयश बडोला, रामाश्रय सिंह चौहान, पंकज किशोर बिजल्बाण, संजय पाल सिंह बिष्ट, माधुरी खान, प्रदीप बहुगुणा, बलबंत सिंह रौतेला, अरविंद कठैत, महाबीर प्रसाद सेमवाल, जगदम्बा प्रसाद डोभाल, डॉ. बीरेन्द्र प्रसाद भट्ट, ललित मोहन पाठक, जितेन्द्र रावत, ओम प्रकाश भट्ट, विजय मोहन गैरोला,कुमार गौरव, रमेश चंद्र मैठाणी, सविता उनियाल, मनमोहन सिंह रावत,अरविंद कुमार गेजवाल,बीरल प्रताप, राजेश कुमार पाठक, गिरीश चन्द्र थपलियाल सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षक, छात्र, अधिकारी वर्ग सहित विज्ञान में रूचि रखने वाले अभिभावकों एवं विभिन्न राज्यों के कार्यक्रम समन्वयकों की विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिभागियों को 14 नवम्बर को उपलब्ध करवाये जाने वाले फीडबैक फार्म भरने के उपरांत त्रिहरी स्मार्ट सौल्युसन के सहयोग से ई-सर्टिफिकेट भी उपलब्ध करवाया जायेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।