कोरोना की दूसरी लहर पड़ी कमजोर, लापरवाह हुए लोग, गंगा दशहरा स्थान को हरिद्वार में उमड़ने लगी भीड़
कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के साथ ही लोग फिर से लापरवाह होने लगे हैं। गंगा दशहरा के स्नान के लिए हरिद्वार में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है।

कोविड संक्रमण के चलते इस बार सिर्फ गंगा दशहरा के स्नान को प्रशासन ने सांकेतिक स्नान के रूप में अनुमति दी। साथ ही बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं की हरिद्वार एंट्री पर रोक लगाई गई। बावजूद इसके वे बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया जा रहा है।
वहीं, अस्थि प्रवाह घाट पर भी स्नान करने वालों की भीड़ लगी है। भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि, पुलिस ने मालवीय द्वीप और हर की पैड़ी क्षेत्र को पूरी तरह से खाली करा रखा है।
निर्जला एकादशी पर भी सील रहेंगी सीमाएं
कोरोना महामारी के चलते पुलिस प्रशासन ने दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं से गंगा स्नान के लिए हरिद्वार न आने की अपील की है। 21 जून को निर्जला एकादशी पर भी जिले की सभी सीमाएं सील रहेंगी। पुलिस प्रशासन के अनुसार हरकी पैड़ी समेत अन्य घाटों पर स्नान सांकेतिक होगा।
गंगा दशहरा स्नान का महत्व
पुराणों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए यह महापुण्यकारी पर्व माना जाता है। इस साल 2021 में गंगा दशहरा आज 20 जून को है। गंगा दशहरा के दिन सभी गंगा मंदिरों में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। वहीं इस दिन मोक्षदायिनी गंगा का पूजन-अर्चना भी किया जाता है। गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना करने के साथ ही दान-पुण्य करते हैं। कई लोग तो स्नान करने के लिए हरिद्वार जैसे पवित्र नदी में स्नान करने जाते हैं। इस बार कोरोनाकाल के चलते हरिद्वार में गंगा दशहरे में घाटों में स्नान की अनुमति नहीं है। इसलिए इस त्योहार को घरों पर ही मनाएं। घर पर ही गंगा स्नान कर पूजा पाठ कीजिए।
दान का महत्व
इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है। गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है। इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।