उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मजदूरों और किसानों के महापड़ाव का दूसरा दिन, स्कीम वर्करों ने लिया हिस्सा
1 min readकेन्द्रीय ट्रेड यूनियनों तथा संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में महापड़ाव के आज दूसरे दिन स्कीम वर्करों ने भी इसमें हिस्सा लिया। ये महापड़ाव देहरादून में पं. दीनदयाल पार्क में आयोजित किया जा रहा है। इसमें केंद्र सरकार की कारपोरेटपरस्त नीतियों का जमकर विरोध किया गया। साथ ही सिलक्यारा टनल फंसे मजदूरों को निकालने में हो रही देरी पर चिन्ता व्यक्त की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर आयोजित जनसभा में वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2014 से निरन्तर केन्द्र की मोदी सरकार की ओर से लगातार किसान, मजदूरों व आमजन के खिलाफ जनविरोधी कानून बनाये जा रहे हैं। इसके खिलाफ निरन्तर आन्दोलन चल रहा है। जीवन के हरेक क्षेत्र उधोग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार, सार्वजनिक प्रतिष्ठान पर एक के बाद हमले ने वर्षों से देश और प्रदेश के मूलभूत ढांचें में बुनियादी परिवर्तन कर कारपोरेट के लिये रास्ता खोल दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महापड़ाव की मुख्य मांगे
-चार श्रम कोड वापस लेने ,ठेका प्रथा बन्द करने ,असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा की गारन्टी।
– खाद्य सुरक्षा की गारन्टी, पेट्रोलियम पदार्थों, रसोई गैस मूल्यवृद्धि वापस ली जाए।
-सार्वजनिक वितरण प्रणाली मजबूत करने तथा इसका दायरा बढ़ाया जाए।
-गन्ने का मूल्य 500 रूपये प्रति क्विंटल करने।
-जंगली जानवरों से फसलों एवं जानमाल की सुरक्षा के साथ मुआवजे की गारन्टी।
-प्रस्तावित बिजली बिल वापस लेने तथा बिजली प्री पेड स्मार्ट मीटर का प्रस्ताव वापस लेने।
-काम के अधिकार कौ मौलिक अधिकार घोषित करने। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-किसानों की कर्ज माफी घोषित करना।
-संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला बन्द किया जाए।
-कारपोरेटपरस्त बीमा योजना समाप्त करते हुए फसलों के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा योजना स्थापित करने।
-वनाधिकार अधिनियम को कढ़ाई से लागू किया जाए।
-राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 26 हजार लागू हो।
-सभी आवासहीनों को आवास दिया जाए।
-नियमित रूप से श्रम सम्मेलन हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– सभी के लिये मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ, पेयजल, स्वच्छता का अधिकार हो। नई शिक्षा नीति वापस ली जाए।
-उपनल, संविदा व ठेका कर्मियों को हाई कोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार समान काम का समान वेतन, भत्ते की सुविधा, वर्षो से कार्यरत इन श्रमिकों नियमित किया जाए।
-गढ़वाल मंडल विकास निगम को पीपीपी मोड में देने पर रोक लगे।
-उत्तराखंड में केंद्रीय संस्थानों में कार्यरत संविदा, ठेका मजदूरों के शोषण पर रोक लगाई जाए। इनके निकालने पर रोक लगाई जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज पड़ाव की अध्यक्षता सीटू के प्रांतीय सचिव राजेन्द्र सिंह नेगी, महामंत्री महेन्द्र जखमोला, इ्न्टक के अध्यक्ष एपी अमोली, बिरेन्द नेगी, एटक के महामंत्री अशोक शर्मा, उपाध्यक्ष समर भण्डारी, किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सजवाण, महामंत्री गंगाधर नौटियाल, एक्टू के केके बोरा, किसान एकता केंद्र के तेजेन्द्र ने संयुक्त रूप से की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली, आशा वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष शिवा दुबे, महामंत्री चित्रा, जानकी चौहान, कर्मचारी नेता समदर्शी बडर्थ्वाल, एस एस नेगी, अनिल कुमार, प्रवीण, जगदीश कुड़ियाल, किशन गुनियाल, जीडी डंगवाल, सुरेन्द्र अग्रवाल, जगदीश मेहंदीरता, एस एस रजवार, किसान नेता माला गुरूंग, भगवान सिंह राणा, दमयंती नेगी, कमरूद्दीन , राजेन्द्र पुरोहित, भूपाल सिंह रावत, गिरिधर पण्डित, जगदीश कुकरेती, बिक्रम सिंह पुंडीर, भगवन्त पयाल, रविंद्र नौडियाल, हरिओम पाली, रामसिंह भण्डारी, जयकृत कण्डवाल, हरजिंदर सिंह, बलबीर सिंह, मनमोहन सिंह, सुरेन्द्र रावत, चिन्तामणि थपलियाल, मामचन्द, इन्दु नौडियाल, नुरैशा, रजनी, लक्ष्मी पन्त, अषाढ़ सिंह, दौलत सिंह रावत, जयसिंह नेगी, अनन्त आकाश, अतुल, कुलदीप, निहारिका, संजीव घिल्डियाल, नैनसिंह कौरंगा, विकास, पुरूषोत्तम शर्मा, कुलदीप राणा, अरविंद राजपूत, मोहन माया, शंकर गोपाल, अजय शर्मा, रणबीर सिंह, आनन्द सिंह नेगी, हरबीर सिंह, जगमोहन मेहंदीरता, अम्बुज मलि, आरती, भावना, सुमित्रा, बेबी रानी, मधु मिश्रा, कमला गुरूंग, सुनीता चौहान, मिनाक्षी, रामेश्वरी, अन्जू भण्डारी, राजलिलक, पीडी लौहनी, सरिता, मीना चौधरी, शूरवीर चौहान, किशौर राणा, मनोज प्रधान, जितेन्द्र पुंडीर, निहारिका, उदय सिंह पुंडीर, संजय तोमर, मोनिका, इमरत सिंह, अशोक चौधरी, आर पी जौशी, जितेन्द्र भारती, विजय पाहवा, देवानन्द नौटियाल, संजू कुमार, चित्रा, चम्पा देवी, उषा, मोनिका आदि उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।