समान कार्य समान वेतन के खिलाफ राज्य सरकार की अपील को एससी ने किया खारिज, उत्तराखंड में अब जल्द लागू करे सरकार
राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड पंजीकृत के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. डीसी पसबोला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय ऐतिहासिक है। साथ ही देश के सभी आयुष चिकित्सकों के लिए एक नजीर का काम भी करेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण देश के आयुष चिकित्सकों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने आयुष चिकित्सकों के लिए एलोपैथिक चिकित्सकों के समान ही वेतन देने के आदेश पारित कर दिए थे, लेकिन राज्य सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज़ कर दिया है। साथ ही आयुष चिकित्सकों को एलोपैथिक चिकित्सकों के समान वेतन देने के नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय को सही करार दिया है।
डॉ. पसबोला ने प्रदेश सरकार से सुप्रीम कोर्ट का निर्णय को जल्द ही लागू करने की पुरजोर मांग की है। इससे कि आयुष प्रदेश अविलंब ही आयुष चिकित्सकों को एलोपैथिक चिकित्सकों की तरह ही समान कार्य समान वेतन का लाभ मिल सके। क्योंकि पैथी के आधार पर डॉक्टरों के बीच कोई भेदभाव करना संविधान के अनुच्छेद 14 का स्पष्ट उल्लंघन है। इसलिए सरकार को विधि द्वारा स्थापित संविधान का सम्मान करते हुए एलोपैथिक चिकित्सकों की तरह आयुष चिकित्सकों को भी समान कार्य के आधार पर समान वेतन देना चाहिए।
संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. केएस नपलच्याल, महासचिव डॉ. हरदेव सिंह रावत, प्रान्तीय उपाध्यक्ष डॉ. अजय चमोला ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए इस निर्णय की सराहना की है तथा साथ ही इस निर्णय को अभूतपूर्व बताया है। साथ ही उम्मीद जतायी है कि चुनाव पूर्व पिछली सरकार द्वारा कैबिनेट में पारित आयुष चिकित्सकों के डीएसीपी के प्रकरण पर भी नवनिर्वाचित सरकार जल्द ही कार्यवाही करेगी जिससे कि आयुष चिकित्सकों को एलोपैथिक चिकित्सकों के समान ही डीएसीपी का लाभ भी शीघ्र ही मिल सके।