भजन संध्या- मैली मैली झीनी, प्रस्तुतकर्ता-ललित मोहन गहतोड़ी

मैली मैली झीनी
चकर ने छीनी रे छीनी…
मैली मैली झीनी ये झीनी…
काल ने छीनी रे छीनी…
मैली मैली झीनी ये झीनी…
सदा ना संग सहेलियां,
सदा ना राजा देश…
सदा ना जुग में जीवणा,
सदा ना कालो केश…
चकर ने छीनी रे छीनी…
मैली मैली झीनी ये झीनी…
सदा ना फूले केतकी,
सदा ना सावन होय…
सदा ना दुखी रह सके,
सदा ना सुख को कोय…
चकर ने छीनी रे छीनी…
मैली मैली झीनी ये झीनी…
सदा ना मौजा वसंत री,
सदा ना ग्रीष्म रैण…
सदा ना जोवन थिर रहे,
सदा ना संपत मैण…
चकर ने छीनी रे छीनी…
मैली मैली झीनी ये झीनी…
सदा ना काहू की रही,
गल प्रीतम की बांह…
ढ़लते ढ़लते ढ़ल गई,
तरवर की सी छांह…
चकर ने छीनी रे छीनी…
मैली मैली झीनी ये झीनी…
कवि का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा : हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।