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December 23, 2024

आपदा में बेटे सहित करीब 25 लोगों की जान बचाने वाली मां को भले ही उत्तराखंड ने नहीं पूछा, यूपी के पूर्व सीएम देंगे पांच लाख

चमोली आपदा में अपने बेटे और करीब 25 लोगों की जान बचाने वाली तपोवन निवासी मंगश्री को भले ही उत्तराखंड के नेताओं और सरकार ने न पूछा हो, लेकिन यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने सम्मानित करने की घोषणा की।

चमोली आपदा में अपने बेटे और करीब 25 लोगों की जान बचाने वाली तपोवन निवासी मंगश्री को भले ही उत्तराखंड के नेताओं और सरकार ने न पूछा हो, लेकिन यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने सम्मानित करने की घोषणा की। उन्होंने उसे पांच लाख रुपये देने के संबंध में ट्विट किया है।
अखिलेश यादव ने आज ट्विट कर लिखा कि-उत्तराखंड की जिस जागरूक मां ने उत्तराखंड हादसे में अपने बेटे ही नहीं, बल्कि 25 लोगों की जान बचाई, उन्हें समाजवादी पार्टी पांच लाख रुपये से सम्मानित करेगी। साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकर से मांग की है कि चमोली हादसे में लापता यूपी के निवासियों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।


तपोवन में एनटीसीपी की जलविद्युत परियोजना में भारी मोटर वाहन चालक का काम करने वाले 27 वर्षीय विपुल कैरेनी रविवार 7 फरवरी को तपोवन बैराज पर काम कर रहे थे। ऋषि गंगा में सैलाब आने से ठीक पहले विपुल की मां मंगश्री देवी ने उन्हें कई फोन कॉल करने की कोशिश की। वे फोन करके विपुल और उसके साथियों को बैराज से दूर भागने के लिए कहती रही। विपुल उस वक्त अपनी मां की चेतावनी को नजरअंदाज कर काम करता रहा। विपुल के नजरअंदाज करने पर उनकी मां दोबारा अपने बेटे को फोन किया और तब तक कॉल करती रही जब तक कि उनका बेटा वहां से सुरक्षित बाहर न निकल गया। बकौल विपुल मां ने धौलीगंगा में आए सैलाब की जानकारी दी। इसके बाद विपुल और उसके साथी जिंदगी बचाने के लिए वहां से भागे और किसी तरह बच निकले।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया। आपदा में अब तक कुल 204 लोगों में 62 शव बरामद हुए हैं। 34 की शिनाख्त हो चुकी है। 28 की शिनाख्त नहीं हुई। 142 लोग लापता हैं। वहीं, 184 पशु हानि भी हुई।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार 10 फरवरी की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। अब इसी टनल में लापता को खोजने का काम चल रहा है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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