एसजीआरआर कॉलेज में मनाया गया सदभावना सप्ताह, छात्रों ने ली समाजिक सदभाव की शपथ, वक्ताओं ने बताया-क्यों जरूरी

सप्ताह के अंतिम दिन आयोजित सेमीनार में मुख्य वक्ता एवं डीएवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. डॉ रवि शरण दीक्षित ने कहा कि ऐतिहासिक दृष्टि से प्राचीन काल से ही भारत में समाज कई संप्रदायों में बंटा था, किंतु उसमे जड़ता नहीं थी। मध्यकाल में जड़ता आनी शुरू हुई और अंग्रेजो ने तो इस जड़ता को बढ़ाकर ही 200 वर्षों तक भारत पर शासन किया। उनकी बांटों और राज करो की नीति ने सांप्रदायिकता की खाई को इतना गहरा किया कि आजादी के 75वर्ष पूर्ण होने के बाद भी हम सांप्रदायिकता की जड़ का नाश करने में सफल नहीं हुए। यही कारण है कि आज हमे सांप्रदायिक सदभाव बढ़ाने की बात करनी पड़ रही है।
एसजीआरआर स्नातकोत्तर महाविद्यालय की अंग्रेजी विभाग की अध्यक्षा प्रो मधु डी सिंह ने सदभावना सप्ताह की उपादेयता को छात्र छात्राओं के सम्मुख रखी। इतिहास विभागाध्यक्ष डा एम एस गुसाईं ने साप्रदायिकता को खत्म करने के विभिन्न मार्गों की चर्चा की। छात्रों की और से भी सुझाव आया कि इस बीमारी का वास्तविक समाधान तब ही संभव है जब हम वोट की राजनीति से इसे पूर्णतः विलग करें। यदि वास्तविकता में सांप्रदायिक सदभाव हमे चाहिए तो एक कानून बने, जिसके तहत धर्म और संप्रदायों का राजनीतिक प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंधित लगे।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र डा अनुराधा वर्मा ने सांप्रदायिकता के समाजशास्त्रीय पहलू की और ध्यान आकृष्ट किया। इस अवसर पर चीफ प्रॉक्टर डॉ हर्षवर्धन पंत, डॉ राकेश ढौंडियाल, डा अनुपम सैनी आदि शिक्षक उपस्थित रहें। अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डा आनंद सिंह राणा ने सांप्रदायिकता को देश और समाज के विकास में बाधक बताया और इस प्रकार के प्रयासों को अधिक प्रभावी ढंग से आयोजित करने की आवश्यकता बताया।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।