सचिन पायलट ने खारिज किए कयास, बोले-रीता बहुगुणा ने सचिन तेंदुलकर से की होगी बात, सिद्धू मामले में कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
राजस्थान कांग्रेस में असंतोष के चलते भले ही सचिन पायलट के पार्टी छोड़ने के कयास लग रहे हैं, लेकिन उन्होंने खुद इन्हें खारिज किया है।
राजस्थान कांग्रेस में असंतोष के चलते भले ही सचिन पायलट के पार्टी छोड़ने के कयास लग रहे हैं, लेकिन उन्होंने खुद इन्हें खारिज किया है। शुक्रवार को अपने पिता की पुण्यतिथि के मौके पर सचिन पायलट ने मीडिया से बात करते हुए साफ संकेत दिए वह अभी कांग्रेस के प्लेन से उतने वाले नहीं है। यही नहीं बीजेपी नेता रीता बहुगुणा जोशी के बयान को लेकर भी उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि उनकी बात सचिन पायलट नहीं, बल्कि सचिन तेंदुलकर से हुई होगी। सचिन पायलट ने कहा-रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि उनकी सचिन से बात हुई है। शायद उनकी सचिन तेंदुलकर से बात हुई होगी। उनके पास मुझसे बात करने का साहस नहीं है।सचिन पायलट ने ये बात कांग्रेस लीडर ने रीता बहुगुणा जोशी के उस बयान को लेकर कही-जिसमें रीता ने कहा था कि उनकी सचिन पायलट से बात हुई है और वह जल्दी ही बीजेपी का हिस्सा हो सकते हैं। इससे पहले भी कई बार सचिन पायलट के बीजेपी में शामिल होने के कयास लगे हैं, लेकिन उन्होंने हर बार इसे खारिज किया है। बुधवार को कांग्रेक के दिग्गज नेता रहे जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद से इन कयासों को और तेजी मिली थी। इसके अलावा राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार से उनकी नाराजगी के चलते भी इसकी अटकलें लगती रही हैं।
इसलिए हैं सचिन नाराज
सुलह कमेटी की रिपोर्ट को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट नाराज हैं। कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को मनाने की कोशिश भी की है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने देर रात सचिन पायलट को फोन किया और समाधान का भरोसा दिया गया है।
पिता को दी श्रद्धांजलि
इस बीच खबर है कि सचिन पायलट इस मामले पर आज चुप रहेंगे और दिल्ली जाएंगे। इस बीच अचानक सचिन पायलट सुबह-सुबह दौसा पहुंच गए। यहां उन्होंने अपने पिता स्व. राजेश पायलट को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनके साथ करीब आधा दर्जन विधायक थे।
हेमाराम चौधरी पहुंचे जयपुर
इस बीच सचिन पायलट गुट के इस्तीफा देने वाले विधायक हेमाराम चौधरी देर रात जयपुर पहुंच गये हैं। वह आज विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मिल सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा था कि व्यक्तिगत मिलने के बाद ही इस्तीफे पर फैसला होगा।
संकट से जूझ रही कांग्रेस
कांग्रेस इन दिनों संकट से जूझ रही है। जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ दी। नवोजत सिंह सिद्धू और सचिन पायलट नाराज चल रहे हैं। कांग्रेस में मंथन और चिंतन का दौर चल रहा है। फिलहाल, सचिन पायलट मौन हैं, लेकिन उनके मौन की वजह असंतोष है। नाराजगी के पीछे वो वादे है जो पूरे नहीं हुए।
सिद्धू और कैप्टन के प्रकरण को लेकर समिति ने सौंपी रिपोर्ट
पंजाब कांग्रेस में आपसी कलह को दूर करने के लिए आलाकमान ने तीन सदस्यों वाली समिति गठित की थी। इस समति के सामने जहां नवजोत सिंह सिद्धू पेश हुए वहीं सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हाजिर हुए। दोनों लोगों ने अपनी अपनी बात रखी। सिद्धू ने जहां यह कहा कि सत्य प्रताणित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा अगले 6 महीने में पार्टी को चुनाव में जाना है, तो हमें तैयारी करनी होगी।
समिति ने कई दिनों मंथन के बाद जो रिपोर्ट सौंपी है, उसके मुताबिक कैप्टन की कुर्सी पर किसी तरह का खतरा नहीं है। इसके साथ ही सिद्धू को डिप्टी सीएम की कुर्सी दी जा सकती है। सवाल यही है कि क्या नवजोत सिंह सिद्धू के लिए यह लड़ाई उनके लिए जीत मानी जा सकती है।
समिति की रिपोर्ट
बताया जा रहा है कि समिति की रिपोर्ट में पंजाब कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव के साथ साथ अध्यक्ष के चेहरे को बदलने का सुझाव है। इसके साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में कहा गया है कि उन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। या तो उन्हें राज्य यूनिट में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए। या डिप्टी सीएम या पोल कैंपेन कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी सौंपी जाए।
अगर समिति की रिपोर्ट की बात करें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को राहत है कि उनकी कुर्सी पर किसी तरह का खतरा नहीं है। सवाल नवजोत सिंह सिद्धू का है, क्या वो समिति की सिफारिशों से संतुष्ट होंगे। अगर उन्हें डिप्टी सीएम बनने का मौका मिलता है तो क्या अमरिंदर सिंह उन्हें काम करने के लिए फ्री हैंड देंगे। जानकार इस मुद्दे पर कहते हैं कि अगर आप पिछले चार वर्ष से अधिक के शासन को देखें तो अमरिंदर को एक के बाद कई चुनौती मिली। इसका वह चतुराई से सामना करते रहे।
पंजाब में कोरोना काल में जब से फतेह किट का मुद्दा गरमाने लगा। उसके बाद सिद्धू को खुद के लिए उम्मीद नजर आने लगी। जिस तरह से आम आदमी पार्टी के विधायकों को तोड़कर अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में मिला लिया, उसका संदेश यह रहा कि वह विरोधी दलों को पस्त करने की माद्दा रखते हैं।





बिश्वास है कि कांग्रेस सब सुलझा लेगी