फिर गिरा रुपया, अपने पुराने बयानों को याद करके कुछ तो कर लो शर्म

रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिरावट जारी है। आज सोमवार 10 फरवरी 2025 को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 तक कमजोर हो गया, जो पिछले सप्ताह के 87.5825 के अपने पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर को पार कर गया। खैर रुपया गिरना या चढ़ना अलग बात है, लेकिन यदि कोई रुपये के गिरने को देश की प्रतिष्ठा से जोड़ता रहा हो, रुपये की डॉलर के मुकाबले गिरावट को देश की तरक्की से जोड़ता रहा हो, उसे यदि ये गिरावट नहीं दिखाई दे रही है तो हम कुछ नहीं कह सकते हैं। क्योंकि अब अपने बयान के उलट यदि कोई बात हो रही है और उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं है तो हम यही कहेंगे कि कुछ तो शर्म कर लो। अपने पुराने बयानों को याद कर लीजिए। खैर महान विश्वगुरु जो भी बोलते हैं, वो सारी बातें उन पर ही लागू होती हैं। इसे कुपढ़ आज तक नहीं समझ पाए। अनपढ़ का मतलब है कि जो किसी स्कूल में नहीं गया और कूपढ़ का मतलब तो यही है कि पढ़ा लिखा होने के बावजूद जो दूसरों के फैलाए भ्रम में जीता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत का भी नहीं पड़ा असर
दिल्ली में विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बंपर जीत भी शेयर मार्केट में जान नहीं फूंक पाई। समझा जा रहा था कि यदि भाजपा जीतेगी तो शेयर बाजार में लगातार आ रही गिरावट थम सकती है और मार्केट भाजपा की जीत के जश्न में अच्छी-खासी उछल सकती है। वहीं, इसके उलट सोमवार 10 फरवरी को जब भारतीय शेयर बाजार खुला तो उसमें भाजपा की जीत का उत्साह नजर नहीं आया, उलट मार्केट में तगड़ी गिरावट देखने को मिली। हालांकि, कई लोगों में ऐसी खबरों को पढ़ने की हिम्मत तक नहीं बची है। उनका भगवान ही मालिक है। या उनका भगवान वो है, जिस पर वे आंख मूंदकर विश्वास करते हैं। चाहे उन्हें कितने की रसातल में वह पहुंचा दे। क्योंकि देश के सवाल महंगाई, गरीबी, बेरोजगार, स्वास्थ्य सुविधा, सबको शिक्षा आदि भी हैं। ऐसे सवालों से कूपढ़ लोगों को कोई लेना देना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बाजार में गिरा रुपया
सोमवार को रुपया एक नए ऑल-टाइम लो पर पहुंच गया। इसके कारण कई माने जा रहे हैं। हर बार ऐसे ही कारणों से अपना बचाव भी किया जाता है। अब बताया जा रहा है कि अमेरिकी ट्रेड टैरिफ की आशंकाओं ने ज्यादातर एशियन करेंसीज़ को कमजोर करने का काम किया। ट्रेडर्स ने रॉयटर्स को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से करेंसी को स्थिर करने के लिए हस्तक्षेप करने की संभावना है। आज सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.95 तक कमजोर हो गया, जो पिछले सप्ताह के 87.5825 के अपने पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर को पार कर गया। यह दिन के लिए 0.6% की गिरावट के साथ 87.9325 पर कारोबार कर रहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
याद करो पीएम मोदी के पूर्व के बयान
नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पर अर्थव्यवस्था और नीतियों को लेकर तीखे हमले बोलते थे। वह डालर के मुकाबले रुपये के गिरते स्तर को देश के पतन से जोड़ते रहे। मोदी कहते थे कि इस सरकार में अनिर्णय की स्थिति है। वो भारतीय मुद्रा रुपए में डॉलर की तुलना में गिरावट को भी सरकार की कमज़ोरी बताते थे। अब जब केंद्र में मोदी की मजबूत सरकार है तो रुपया कमज़ोर क्यों है? इसका जवाब भी उन्हें देना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मनमोहन सिंह की उम्र से जोड़कर उड़ाया मजाक
नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2013 में रुपए में गिरावट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर तंज कसते हुए कहा था कि गिरता रुपया मनमोहन सिंह की उम्र से होड़ कर रहा है। आज जब 68 साल के मोदी पीएम हैं, तो रुपया उनकी उम्र से भी आगे निकल चुका है। यही नहीं पीएम मोदी के तत्कालीन बयानों को देखोगे तो वह रुपये के गिरने को देश की प्रतिष्ठा से जोड़ते थे। वह कहते रहे कि रुपया गिरने का मतलब देश का पतन है। अब कुछ शर्म हो तो एक बार इस पर भी बोल सकते हैं कि उनके पहले वाले बयान गलत थे। मतलब कुछ भी बोलोगे और जनता याद नहीं रखेगी। वैसे कूपढ़ कभी याद नहीं रखते हैं, ये भी सच्चाई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी दिया था बयान
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तो उनके कई वीडियो हैं। इनमें एक वीडियो में उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है कि-ये ऐसे नहीं होता मित्रों। मैं शासन में बैठा हूं। मुझे मालूम है कि इस तरह से रुपया तेजी से नहीं गिर सकता है। नेपाल का रुपया नहीं गिरता है। बंगलादेश की करेंसी नहीं गिरती है। पाकिस्तान की करेंसी नहीं गिरती है। श्रीलंका की करेंसी नहीं गिरती। फिर नरेंद्र मोदीजी ताली बजाते हैं और जोर देकर कहते हैं कि-क्या कारण है हिंदुस्तान का रुपया पतला होता जा रहा है। ये जवाब देना पड़ेगा आपको। देश आपसे जवाब मांग रहा है। इस तरह के ढेरों बयान है। उनमें हर एक में नया जुमला भी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब तो आपकी है सरकार
जब रुपये के गिरने को लेकर नरेंद्र मोदी मजाक उड़ाते थे, तब केंद्र में मनमोहन सिंह की गठबंधन की सरकार थी। कहा जाता है कि गठबंधन की सरकार में कड़े फ़ैसले लेना आसान नहीं होता। इसलिए अनिर्णय की स्थिति रहती है। अब केंद्र में मोदी की भी गठबंधन की सरकार है। हालांकि, रुपया अब भी डॉलर के मुकाबले गिरता जा रहा है। सवाल ये है कि अब वह बताएं कि किसी देश की मुद्रा का कमज़ोर या मज़बूत होना वहां की सरकार से कितना नियंत्रित होता है? क्योंकि अब तो केंद्र में मोदी की सरकार है। रुपया गिरना और चढ़ना हो सकता है एक प्रक्रिया का हिस्सा हो, लेकिन जब ऐसे मामलों में मजाक उड़ाते रहे तो अब जवाब भी देना जरूरी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शेयर बाजार में भी गिरावट
आज सुबह 10:35 बजे तक मुख्य सूचकांक बीएसई सेंसेक्स 603.97 अंकों (0.78 फीसदी) की गिरावट 77256.22 पर था, जबकि निफ्टी-फिफ्टी 189.10 अंकों (0.80 फीसदी) गिरकर 23370.85 तक आ चुकी थी। एक बार फिर से 23500 का अहम लेवल तोड़ना निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। इसी समय निफ्टी बैंक में 389.65 अंकों (0.78 फीसदी) की गिरावट आई, और इसे 49769.20 पर देखा गया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।