बस दुर्घटना में मृतकों को श्रंद्धाजलि स्वरूप आरपी जोशी की कविता- हादसों का दर्द
हादसों का दर्द
यूं तो हररोज ही होते हैं हादसे हमारे आसपास
रोज ही अखबारों की सुर्खियां होते हैं कुछ हादसे
लेकिन जब कोई हादसा हमारे अपनों के साथ होता है
तभी महसूस होता है हमें दर्द उस हादसे की गहराई का
हादसा होते ही उठती हैं आवाजें हादसे के जिम्मेदारों के लिए
धीरे धीरे समय के साथ लंबी खामोशी की चादर ओढ़ लेती हैं
फिर इंतजार करती हैं वो आवाजें उठने के लिए नए हादसे का
ये हादसे दे जाते हैं दर्द जीवन भर का उन अपनों को
जिनके लिए सजाए थे न जाने कितने ही सपने
सपने ऐसा करने के, वैसा करने के, घर बनाने के
बच्चों को पढ़ाने लिखाने कुछ काबिल बनाने के
लेकिन ये हादसे सब सपने चकनाचूर कर जाते हैं (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
ख्वाबों के महल ख्वाब बनकर ही रह जाते हैं
लोग देते हैं सांत्वना इन हादसों से उबरने की
जीवन में आगे बढ़ने, हौसला बनाए रखने की
क्या करें हौसला रखना भी पड़ता है उनके लिए जो पीछे छूट गए
जीना पड़ता है उनके लिए जिनके सपने उनसे रूठ गए
लेकिन मन में हमेशा यही ख्याल आता है
जीवन में कभी किसी के साथ कोई बुरा हादसा न हो
हादसे का दर्द झेलने वालों जैसा किसी का जीवन हो।
कवि का परिचय
आर पी जोशी “उत्तराखंडी”
अनुदेशक, राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान टांडी (नैनीताल)
मूल निवासी – तल्ली मिरई, द्वाराहाट, जिला अल्मोड़ा, उत्तराखंड। (जारी अगले पैरे में देखिए)
कविता के बारे में- उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिले के मार्चुला में सोमवार चार नवंबर 2024 को बस खाई में गिर गई थी। इस हादसे में 36 लोगों की जान चली गई थी और 26 लोग घायल हो गए थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।