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April 13, 2025

बगैर घुंडी वाली घंटी को बजाइए और इस तरह से चमत्कार करके दिखाइए

जो समझ न आए वो जादू है या चमत्कार है। जो समझ आ जाए वो विज्ञान है या फिर हाथ की सफाई। हम आपको यहां ऐसी ही हाथ की सफाई का एक खेल बताने जा रहे हैं। इस खेल को करके आप बगैर घुंडी वाली घंटी को भी बजा दोगे। इसे देखने वाला यही समझेगा कि आप कोई चमत्कार कर रहे हो। ये चमत्कार नहीं, बल्कि हमारी पहले से की गई तैयारी और हाथ की सफाई का खेल है।
सामग्री और खेल दिखाने की विधि
इस खेल के लिए हमें सिर्फ दो तरह की घंटी चाहिए। एक घंटी जो सामान्य घंटी हो और बजती हो। दूसरी घंटी में घुंडी नहीं होगी। यानी इसे हिलाओगे तो बजेगी नहीं। फिर हम खेल दिखाने की पहले से तैयारी करेंगे। इसके बाद ही दर्शकों के सामने आएंगे। सबसे पहले हम बजने वाली घंटी को दायें कंधे के नीचे पहले से ही बांध लेते हैं। हमारा पहनावा ऐसा हो कि वह किसी को दिखाई न दे। साथ ही उसका आकार भी छोटा हो। प्रयास रहे कि घंटी हमारे हाथ और कंधे के जोड़ में नीचे की ओर दबी कांख में दबी हो।


फिर हम बगैर घुंडी वाली घंटी को लोगों को दिखाते हैं। कुछ को कहेंगे कि इसे बजाकर दिखाओ। लोग हिलाएंगे, पर आवाज नहीं आएगी। अब उस घंटी को हम दायें हाथ में लेकर मंत्र पढ़ने का ढोंग करेंगे। फिर कांख (बगल) में दबी घंटी को ढीला छोड़ देंगे। तब हम हाथ में ली गई घंटी को बजाने के लिए हिलाएंगे और आवाज दूसरी घंटी के हिलने की सुनाई देगी।
तथ्य और सावधानियां
इस काम को करने के लिए अभ्यास होना चाहिए। साथ ही विशेष उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। ध्यान रहे कि कांख में दबी घंटी छोटी हो। जिसे छिपाने में कोई परेशानी न हो। घंटी बजाते समय हाथ को धीरे धीरे हिलाएं। साथ ही दर्शकों से दूरी बनाकर रखें। ये भी ध्यान रहे कि बगैर घुंडी वाली घंटी जब हिलाएं तभी कांख में छिपी घंटी को हिलाएं। ताकि किसी को ये आभास न हो कि आवाज दूसरी घंटी की है। ऐसा न करें कि हाथ की घंटी को हम हिला नहीं रहे, लेकिन कांख की घंटी बज रही हो।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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