कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को लेकर स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा, फिलहाल राज्य में अधिक प्रभाव वाला बैरिएंट नहीं
उत्तराखंड में कोविड-19 संक्रमण की तीसरी सम्भावित लहर से संबंधी तैयारियों के बारे में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक में राज्य के विभिन्न हिस्सों में सैंपलिंग और उसकी रिपोर्ट की समीक्षा की गई।
सिक्वेसिंग का कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 वायरस द्वारा निरन्तर स्वरूप को बदलते रहना इसकी अंतर्निहित प्रवृति है। इसके कारण वायरस के स्वरूप में परिवर्तन से नये उप-वंश बनते रहते हैं। इन नये उप-वंशों का प्रभाव मूल वायरस से कम भी हो सकता है और अधिक घातक भी हो सकता है।
डॉ बहुगुणा ने जानकारी दी कि विगत दिनों जनपद उधमसिंह नगर के अंतर्गत एवाई .1 नाम का डेल्टा प्लस उप-वंश दो रोगियों के सैंपल में पाया गया था। दोनो ही मरीजों में कोविड-19 संक्रमण के हल्के लक्षण पाए गए थे। महानिदेशक के अनुसार भारत सरकार की ओर से भी जिनोम सीक्वेंस लेबोरेटरी टेस्टिंग नेटवर्क के अंतर्गत देखा गया है कि डेल्टा प्लस बहुत ही कम सैंम्पल मे पाया गया है। इससे यह प्रतीत होता है की डेल्टा प्लस उप-वंश अधिक संक्रामक नहीं है एवं इसके खतरनाक होने के भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं पाए गए हैं।
समीक्षा के दौरान आइडीएसपी के प्रभारी अधिकारी डॉ पंकज सिंह ने बताया कि जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए 42 सैम्पल्स की रिपोर्ट अनुसार कोविड-19 विषाणु के अन्य उप-वंश डेल्टा ए वाई .4 एवं ए वाई .12 देखे गए हैं। इनसे प्रभावित रोगियों में से अधिकांश रोगी संक्रमण के दौरान हल्के लक्षणों के साथ ठीक हो गए। अथवा लक्षण विहीन पाए गए हैं। जिससे यह स्पष्ट होता है कि वायरस के यह दोनों उप-वंश हल्के प्रभाव वाले हैं। भारत सरकार द्वारा भी इन उप-वंशों के घातक प्रभाव देने सबंधित जानकारी अन्य किसी भी राज्य से प्राप्त नही हुई है।
आइडीएसपी यूनिट के राज्य प्रभारी अधिकारी डॉ पंकज सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में कोविड-19 वायरस के रिपोर्ट/खोजे गए सभी उप-वंशों की सक्रिय निगरानी की जा रही है। जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल निरन्तर भारत सरकार को भेजे जा रहे हैं। डॉ पंकज के अनुसार वर्तमान तक उत्तराखंड राज्य में अधिक प्रभाव वाला कोई भी उपवंश रिपोर्ट नहीं हुआ है। स्थिति पर पूर्ण रूप से निगरानी रखी जा रही है एवं गहनता से अध्ययन भी किया जा रहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।