सेवानिवृत्त शिक्षक कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता- शिक्षक
शिक्षक
बच्चों को समझे पौध समान
तब सींचे उसको अपने ज्ञान से
प्यार प्रेम से बच्चों को पढ़ाये
तब वह सच्चा शिक्षक कहलाये।
पद की गरिमा समझनी होगी
तब बच्चों को सीखा पायेगा
तैयारी के साथ जाना होगा
तभी कक्षा में पढ़ा पायेगा।
बच्चों का दिल कोमल होता है
शिक्षक को कोशिश करनी होगी
बच्चों का दिल दुख न पाये
इतना ध्यान रखना ही होगा।
बच्चों की रुचि पहचाननी होगी
किसमें कितनी है प्रतिभा
शिक्षक को करनी होगी पहचान
तब देना बच्चे को विषय ज्ञान।
बदल रहे है तैर तरीके
बदल रही शिक्षण पद्धतियां
बदलना होगा अपना तरीका
तब शिक्षा में होगा बदलाव।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
लाजवाब सीख