सेवानिवृत्त शिक्षक कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता- आओ हम सब मिलकर वृक्ष लगायें
आओ हम सब मिलकर वृक्ष लगायें
प्रगति के नाम पर आज
प्राकृतिक संसाधन नष्ट कर रहे है
बनाये जा रहे कंक्रीट के जंगल
दूषित हो रहा सारा पर्यावरण ।
सारे पहाड़ों को तोड़ कर
नदियों को कर दिया है प्रदूषित
नदियां झरने सब सूख गये है
शहर सारे दूषित हो गये है।
आओ हम सब मिलकर पेड़ लगायें
धरती मां को हरी भरी बनाये
वसुधा पर जो बढ़ा है प्रदूषण
उससे सबको मुक्ति दिलाये।
आसमान में जहर घुल रहा
हो गया है प्रदूषित तन मन सारा
मिटाना होगा प्रदूषण इस बसुन्धरा का
आओ धरती मां को स्वच्छ बनायें।
ग्लेशियर सारे पिघल गये है
गांवों से सारे पलायन कर गये है
पालीथिनों से पटा हुआ शहर है
वृक्ष लगाकर धरती मां को बचाये।
पेड -पौधों से हम संबन्ध बनायें
प्राण वायु न हो प्रदूषित
कैसे यह पर्यावरण रहे स्वच्छ
इस पर मिलकर एक राय बनायें।
धरती मां का श्रृंगार करो
पेड़ लगाना इस वसुधा पर
हर मानव का ये कर्तव्य है
अगर बचानी है धरती को
धरती मां का श्रृंगार करो।
प्राण वायु की कमी हो गई
वृक्ष सारे काट दिये
मानव जीवन खतरे में है
धरती मां का श्रृंगार करो।
अन्तस में द्वेष -दुराव न हो
मन कोमल हो फूलों जैसा
प्रकृति हमें ये सिखाती है
धरती मां का श्रृंगार करो।
वायुमंडल में जहर घुल रहा
तन-मन सब दूषित हो गया
मिटाना है प्रदूषण वसुन्धरा से
धरती मां का श्रृंगार करो।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर रचना