सेवानिवृत्त शिक्षक कालिका प्रसाद सेमवाल की कविता – जय -जय मारुति नन्दन
जय -जय मारुति नन्दन
हे प्रभु तुम्हीं दया निधान हो
सकल गुणों की तुम खान हो
तेज तपस्वी महावीर तुम
जय -जय मारुति नन्दन।
घर -घर पूजे जाते हो प्रभु
विद्या विनय सिद्धि दायक
रुद्र अशं हनुमन्त महान
जय -जय मारुति नन्दन।
अरुण रंग और तरुण अंग
अंजनी सुत अभिनन्दन है
हर पल राम भक्ति में डूबे हो
जय -जय मारुति नन्दन।
कष्ट निवारक करुणा नायक
भक्तों की सुनते हो तुम पुकार
ज्ञान ध्यान के योगी हनुमन्ता
जय -जय मारुति नन्दन।
चरण शरण तुम्हारे आया हूँ
संकट को हर लो श्री हनुमान
हाथ जोड़ कर करता हूँ विनती
जय- जय मारुति नन्दन।
अंजनी सुत हम शरण तुम्हारे
तुम्हें कोटि -कोटि वन्दन
बल बुद्धि विद्या के दाता
जय-जय मारुति नन्दन।
कवि का परिचय
कालिका प्रसाद सेमवाल
अवकाश प्राप्त प्रवक्ता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा।
निवास- मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
जय हनुमान, मारुति नंदन