लोकसभा चुनाव 2024 में पुरानी पेंशन बहाली बनेगा बड़ा मुद्दा, जानिए पुरानी और नई स्कीम में अंतर
पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की मांग को लेकर एक बार फिर से आंदोलन गरमाने लगा है। ऐसा माना जाने लगा है कि जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण के साथ यदि पुरानी पेंशन बहाली 2024 के चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेगा। क्योंकि देशभर से हजारों सरकारी कर्मचारी रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में जुटे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के तत्वावधान में कर्मचारियों ने केंद्र के समक्ष अपनी मांग उठाने के लिए एक रैली का आयोजन किया। ‘पेंशन शंखनाद महारैली’ का आयोजन मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के बजाय पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के उद्देश्य से किया गया। दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार एक अक्टूबर को OPS (पुरानी पेंशन स्कीम) की मांग को लेकर लगभग 20 से अधिक राज्यों के सरकारी कर्मचारी लाखों की संख्या में एकत्रित हुए। हालांकि, सोशल मीडिया में ये भी खूब लिखा जा रहा है कि भले ही कर्मचारियों के अधिकारों में कितनी कटौती हो जाए, जब वोट देने की बात आएगी तो वो सब भूलकर हिंदू और मुसलमान में बंटकर वोट जाने लगेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस समय देश के 5 राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम लागू है, जिसमें कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़ व हिमाचल और महागठबंधन सरकार झारखंड शामिल है। वहीं 2022 में पंजाब में भी OPS लागू है। कांग्रेस पार्टी भी इसे वापस लाने की मांग कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2024 के चुनाव में रहेगा प्रमुख मुद्दा
दिल्ली के रामलीला मैदान मैं कर्मचारियों की इतनी भीड़ थी कि ऐसी भीड़ चुनावी जनसभा में भी देखने को नहीं मिलती है। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े संगठन इस रैली में शामिल हुए थे। वहीं दिल्ली पुलिस ने मैदान में टेंट लगाने की अनुमति नहीं दी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में जातिगत जनगणना और पुरानी पेंशन योजना की मांग प्रमुख मुद्दा बन चुका है। लाखों की संख्या में मौजूद किसान, कर्मचारी मोदी सरकार के ओल्ड पेंशन स्कीम के बहाली की मांग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुरानी पेंशन योजना
नई और पुरानी, दोनों पेंशन के कुछ फायदे और नुकसान हैं। पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। पुरानी स्कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है। पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नई पेंशन स्कीम में क्या है खास
NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है। अब खुद ही समझ जाएं कि चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना को लागू किया गया। वहीं, पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।