शोध छात्रा श्वेता खंडूरी की कविता-नारी को अपना मान चाहिए

नारी को अपना मान चाहिए
दया नहीं अधिकार चाहिए
नहीं प्रेम की भीख माँगती
उसको सच्चा प्यार चाहिए ।
नारी सृष्टि की सृष्टा खुद
पुरुषों की जननी माता है
उसको फिर इज्जत देने में
तुमको क्यों घाटा आता है
महिला दिवस या महिला
सशक्तीकरण वर्ष मनाने से
क्या नारी की दशा सुधरती
नारी ही खुद अपनी दुश्मन है
जब नारी ही न समझे नारी
मन की सुख दु:ख की बात
पुरुष तब भला क्यों लगा
समझने फिर उसके जज़्बात
जब नारी ही जागृत होगी
दूजी नारी का दुःख समझेगी
तब ही थोड़ी सी बात बनेगी
नारी ही नारी का करती शोषन
सास कभी तो कभी ननद बन
और वही सास जब हो जाए
अशक्त बूढ़ी और असहाय
तो बहु को करें तंग तब
भेजे ओल्ड होम के पास
यदि नारी को मान चाहिए
दया नहीं अधिकार चाहिए
नहीं प्रेम की भीख चाहिए
जो उसको सच्चा प्यार चाहिए
पहले खुद नारी को नारी की
हिफ़ाज़त कर नी होगी
निर्बल की बाँह पकड़नी होगी
तब ही अबला सबला होगी
नर नारी में कोई जंग नहीं है
नारी पुरुष से तंग नहीं है
आगे पीछे का प्रश्न कहाँ है
एक सिक्के के ये दो पहलू है
एक गाड़ी के दो पहिए हैं
साथ साथ जब दोनों होगें
पथ में आगे सदा बढेगें
होड़ नहीं ये दौड़ साथ की
बात कहाँ आगे पीछे की।
ये दोनों जब जब संग चलेंगे
सुख दुःख इक दूजे के लेकर
सृष्टि के परचम संग निश्चित
ही मंजिल को पा जाएंगे।
कवयित्री का परिचय
श्वेता खंडूरी
शोध छात्रा, अर्थशास्त्र
डीबीएस (पीजी ) कालेज
करनपुर, देहरादून





