पढ़िए युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-तभी तो तेरी जीत है….
ज़िंदगी इतनी भी आसान नही है…
थोडी मुश्किल है थोडा सन्घर्ष है…..
हर मुश्किलो को पार कर जाओ…
तभी तो तुम्हारी जीत है…..
राह मे हर कदम पर धूप बहुत है….
छाव की तालाश छोड कर तप सको…
तभी तो तुम्हारी जीत है…..
हर डगर तुम्हे थोडा सताया तो जाएगा..
दुख मे डालकर तुम्हे थोडा रुलाया तो जाएगा..
पर तुम हर हालात मे मुस्करा सको….
तभी तो तुम्हारी जीत है…..
यू तो काफिला बहुत है जमाने मे…
मगर तुम्हे चलना अकेला है….
चल कर मन्जिल की ओर तुम नया मुकाम पा सको…
तभी तो तुम्हारी जीत है…..
तुम्हे निचे गिराने के लिए लोग बहुत है….
लोगो के पास बाते बहुत है….
पर तु अपने होंसलो को मजबूत कर…
एक नई उडान भर सके…
तभी तो तेरी जीत है…..
ये जिंदगी का दौर है कुछ अपने आयेंगे कुछ अपने जायेंगे….
तुम आते-जाते रिश्तो का अहसास समझ सको….
तभी तो तुम्हारी जीत है…..
और जो सपना देखा है तुमने अपने लिए..
हर हालात मे उसे पाने का …
होंसला, लगन, जुनुन है तो…
तभी तो तुम्हारी जीत है…..
रोज सुबह से शाम ज़िंदगी तमाम हो जाएगी…
बिते पल की याद और आते हुए वक्त के…
इंतजार मे मुस्करा सको…
तभी तो तेरी जीत है……..
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (द्वितीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।