Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 21, 2024

पढ़िए युवा कवयित्री किरन पुरोहित की खूबसूरत रचना, मैं खोल कर बंधन चली

मैं खोल कर बंधन चली

मैं खोल कर बंधन चली ,
मैं तोड़ हर बंधन चली ।
दम है तो आओ रोकने ,
मेरी प्रगति को टोकने ।

पग मे पड़ी हैं बेडियां ,
कांटो भरे हैं रास्ते ।
चलती रहूँ बढ़तीे रहूं मै ,
मंजिलों के वास्ते ।

यदि शक्ति है तो रोक लो ,
छूने गगन को मैं चली ।
मैं खोल हर बंधन चली ,
मैं तोड़ हर बंधन चली ।।

मुझको न रोके भावना ,
करने चलूं जो साधना ।
प्रतिपल सदा होता रहा ,
मेरा शत्रुओं से सामना ।

संकल्प है तो रोक लो ,
बदलाव लाने मैं चली ।
मैं खोल हर बंधन चली ,
मैं तोड हर बंधन चली ।

तुम प्रश्न लिख दो सामने ,
प्रतिभा को मेरी मापने ।
देख लो अंकुश लगा ,
दुनिया लगे तब कांपने ।

चुप्पी मेरी उत्तर बनी ,
नव काव्य रचने मैं चली ।
मैं खोल हर बंधन चली ,
मैं तोड़ हर बंधन चली ।।

….किरन पुरोहित हिमपुत्री

लेखिका का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता – श्री दीपेंद्र पुरोहित
माता – श्रीमती दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
आयु – 17 वर्ष
अध्ययनरत – कक्षा 12वीं उत्तीर्ण
निवास, कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड

1 thought on “पढ़िए युवा कवयित्री किरन पुरोहित की खूबसूरत रचना, मैं खोल कर बंधन चली

  1. मेरे भाव को अपना मंच प्रदान करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद लोक साक्ष्य

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *