पढ़िए कवयित्री रंजना शर्मा की कविता-आंसुओं में डूबी है
आंसुओं मे डूबी है
देखिए कलम अपनी
अपने सद्प्रयासों मे
है कहां कमी अपनी ।
डूबने कहां जाए गहरे गहरे पानी मे
सूख ग ई नदी सारी है कहां कमी अपनी ।
बदले हैं खिलौने अब बालपन के हाथों मे
शौक एयर गन का है_है कहां कमी अपनी
पेड़ सब कलम हो गये पंछी हड़बड़ाते हैं
घोसले नही दिखते है कहां कमी अपनी ।
धस रहे किनारे हैं टूटी तार सांसो की
अपने गस प्रबंधन मे है कहां कमी अपनी ।
कवयित्री का परिचय
नाम- कुमारी रंजना शर्मा
एमकेपी पीजी कालेज से सेवानिवृत्त
अब तक प्रकाशित पुस्तकें-
हस्ताक्षर “कविता संग्रह
“थोजपत्र पर धूप “संस्मरण संग्रह
“ये बतियाते पल “संयुक्त सम्पादन मे संस्मरण
सहसंपादन “वाह रे बचपन “
और युगचरण अविराम आदि ।
बंजारावाला देहरादून में निवास ।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।