पढ़िए कवयित्री प्रियंका शर्मा की शानदार रचना ‘दोस्ती’, पढ़कर आप जानेंगे दोस्ती के मायने और कहेंगे वाह-वाह
दोस्ती
दोस्ती कोई कली नहीं गुलाब की
जो खिले और मुरझा जाए!
दोस्ती कोई बूंद नहीं शराब की
जो चढ़े और उतर जाए !
दोस्ती कोई ख्वाब भी नहीं
जो खुले आंख तो टूट जाए !
दोस्ती एक नाम है जो लिखा गया अरसे बरी पर!
दोस्ती एक एहसास है जो ले आया कोई फरिश्ता जमीन पर!
महल लफ्ज़ नहीं जज्बात है दोस्ती
टूटे हुए दिलों की आस है दोस्ती!
कट जाएगी गमे जिंदगी खुशी खुशी तुम जैसे दोस्तों की अगर साथ है दोस्ती
सब ने कहा दोस्ती एक दर्द है
हमने कहा यह दर्द कबूल है
सब ने कहा इस दर्द के साथ जी नहीं पाओगे
हमने कहा तेरी दोस्ती की खातिर मरना भी कबूल है
कभी दोस्ती तो कभी दुश्मनी रास ना आई
जिंदगी दूर निकली कभी पास ना आई !
पल भर की सोच ने जगाया रातों में
जेहन में कोई बात खास नहीं आई!
दोस्तों ने दुश्मनी और दुश्मनों ने दोस्ती को निभाया
दुश्मनों को अपनी हालत पर तरस ना आया!
राह दिखाई तुम्हें हमने जल कर
पर उसे जलने की बांस ना में आई! खयालो मे ढूंढ कर हकीकत में पाया था कहीं
दूर रहकर भी दिल में रहते हो यहीं!
दोस्ती चिराग हैं इसे जलाए रखना!
दोस्ती गुल है इसे खिलाए रखना !
हम रहे ना रहे इस दुनिया में,
हमारी याद दिल में बसाए रखना!
तेरी दोस्ती में हम खुद को महफूज मानते हैं !
दोस्तों में हम तुम्हें सबसे अजीज मानते हैं ! दोस्ती वो साया है,
जिसे हम खुदा का दिया हुआ ताबीज मानते हैं!
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रियंका शर्मा
शिक्षा-स्नातक 2005
स्नातककोतर-2007
निवासी-गणपति विहार निकट माहिपुरा चौक जनता रोड जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश।
(कवयित्री प्रियंका शर्मा बचपन से कविताएं, गजल व शायरी लिखती हैं। उन्होंने अब तक कई डायरियों के सैकड़ों पेज अपनी रचनाओं से भर दिए। अभी तक उन्हें कहीं प्रकाशन का मौका नहीं मिला। लोकसाक्ष्य ने उन्हें रचनाओं के लिए आमंत्रित किया। आप भी पढ़िए और साथियों को भी पढ़ाइए। )
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।