स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में रामलीला महोत्सव, पहले दिन कैलाश लीला, श्रवण कुमार प्रसंग का मंचन

देहरादून में हिमालयन रिक्रेएशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट (एचआरडब्लूटी) की ओर से स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट प्रांगण में पहली बार रामलीला का भव्य आयोजन किया जा रहा है। भूमि-पूजन, ध्वज स्थापना एवं गणेश पूजन के साथ रामलीला महोत्सव का शुभारंभ हुआ। पहले दिन कैलाश लीला और श्रवण कुमार प्रसंग का मंचन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नवरात्र के शुभारंभ के साथ ही यह सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन 22 सितम्बर से प्रारंभ हो गया है और आगामी दो अक्टूबर 2025 तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से मंचित होगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के स्टाफ, छात्र-छात्राएं, उनके अभिभावक एवं स्थानीय जनसमुदाय ने बड़ी संख्या में दिव्य वातावरण का अनुभव किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कैलाश लीला में दर्शाया गया कि रावण, कुंभकर्ण और विभीषण ब्रह्माजी से अपने अपने हिसाब से वरदान मांगते हैं। रावण अमर होने का, कुंभकर्ण छह माह जागने और छह माह सोने का वरदान मांगता है। वहीं, विभीषण प्रभु की भक्ति मांगते हैं। वरदान मिलने पर रावण अपनी ताकत को आजमाने के लिए कैलाश पर्वत को उखाड़ने पहुंच जाता है। इस पर्वत में शिव और पार्वती थे। तब भगवान शिव रावण को सबक सिखाते हैं और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, माता पिता की सेवा करने वाले श्रवण लीला बहुत की मार्मिक थी। वह अपने कंधे पर लादकर माता पिता को तीर्थ यात्रा को ले जाते हैं। रास्ते में बूढ़े और दृष्टिहीन माता पिता को प्यास लगती है तो श्रवण कुमार पानी लेने जाते हैं। उसे क्षेत्र में नदी किनारे राजा दशरथ शिकार के लिए बैठे रहते हैं। जब श्रवण पानी बर्तन में भरते हैं तो ऐसी आवाज आती है, जैसे कोई जानवर हो। बगैर देखे ही दशरथ शब्दभेदी वाण चलाते हैं, जो श्रवण के लगता है। इसकी जानकारी जब बूढ़े माता पिता को मिलती है तो वह प्राण त्यागने से पहले दशरथ को श्राप देते हैं कि जैसे हम अपने पुत्र के व्योग में तड़प तड़प कर जान दे रहे हैं, वैसे ही तू भी अपने पुत्र के व्योग में तड़प तड़प कर मरेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एचआरडब्लूटी के अध्यक्ष डॉ. हर्ष बहादुर व सचिव रुपेश महरोत्रा ने बताया कि यह संभवतः उत्तराखंड का पहला विश्वविद्यालय है, जहाँ पर रामलीला का इतना भव्य आयोजन किया जा रहा है। रामलीला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रूप में प्रस्तुत करेगी। रामलीला की विशेषता यह है कि इसके सभी पात्र स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के स्टाफ और छात्र-छात्राएं हैं। मंगलवार को दूसरे दिन रामलीला का मख्य आकर्षण भगवान राम जन्म व तड़का वध का मंचन होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कलाकारों के नाम
गणेश- आदित्य
सूत्रधार- अविलाश
रावण- मनीष गौड़
कुम्भकरण- अमरिंदर
विभीषण- डॉ. अंकित
शिव- डॉ. विनीश
पार्वती- मानसी
श्रवण कुमार- विजेंद्र
श्रवण कुमार की माता जी- मंजुला
श्रवण कुमार के पिताजी- विजय
राजा जनक- सुधीर जोशी
ऋषि मुनि- समीर और आयुष
विष्णु- दीपक जोशी
लक्ष्मी- सुशील
राजा दशरथ- सुनील खंडूरी
कैकयी- आराधना
सुमित्रा- प्रिया
कौशल्या- नैंसी
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।