एसआरएचयू में रामलीलाः साधु का भेष बदलकर सीता को उठा ले गया रावण, जटायु ने दिया बलिदान राम हनुमान के मिलन से बंधी आस

नवरात्र के दिनों में देशभर के जिलों, शहरों और गांवों में रामलीला का मंचन हो रहा है। खास बात ये है कि धीरे धीरे रामलीला कमेटियां भी प्रयोग कर रही हैं। ऐसे में रामलीला पंडालों में दर्शक फिर से लौटने लगे हैं। देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के प्रांगण में हिमालयन रिक्रेएशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट (एचआरडब्लूटी) की ओर से भी पहली बार रामलीला का मंचन किया जा रहा है। ये रामलीला महोत्सव अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक साबित हो रहा है। शनिवार को रामलीला के मंचन में सीता हरण, जटायु उद्धार और राम-हनुमान मिलन जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों का सजीव चित्रण किया गया। राम हनुमान के मिलने से लोगों को आस बंधी कि अब सीता को वापस लाया जाएगा और रावण का अंत होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामलीला का शुभारंभ में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने श्रद्धापूर्वक हनुमान जी की आरती की। इससे पूरे वातावरण में भक्ति और ऊर्जा का संचार हुआ। इसी कड़ी में दर्शकों ने उस क्षण को सांसें थामकर देखा जब रावण, मारीच की सहायता से सीता माता का हरण करता है। हालांकि मारीच रावण को पहले समझाने का प्रयास करता है, लेकिन रावण उसकी बात सुनने को तैयार नहीं होता है। मारीज कहता है कि अब बूढ़ापा सर पर आ गया है। मेरी हिम्मत भेष बदलने की नहीं है और मैं हिम्मत हार चुका हूं। रावण मारीच को कहता है कि यदि तू नहीं गया तो तेरा सिर धड़ से अलग कर दूंगा। इस पर मारीच ये निर्णय लेता है कि जब मौत ही आनी है तो भगवान के हाथों से ही आए और वह हिरन का रूप धारण करने को तैयार हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीता हरण का दृश्य न केवल नाट्य दृष्टि से प्रभावशाली रहा, बल्कि यह दर्शकों के मन को भी झकझोर गया। माता सीता की करूण पुकार, रावण का छल और जटायु का बलिदान, सभी ने वातावरण को भावविभोर कर दिया। इसके पश्चात प्रस्तुत हुआ “राम-हनुमान मिलन” का अद्भुत प्रसंग। इसने सभा में जोश और श्रद्धा का संचार कर दिया। हनुमान जी की भक्ति, समर्पण और उनकी पहली भेंट में प्रभु श्रीराम के प्रति उनका प्रेम भाव दर्शकों के हृदय को छू गया। इस दृश्य में हनुमान जी का संवाद, उनकी विनम्रता और श्रीराम की करुणा का सुंदर संगम देखने को मिला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामलीला के इस आयोजन में विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं, अभिभावकगण एवं स्थानीय जनता की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। समूचा परिसर “जय श्रीराम” और “बोलो रघुकुल शिरोमणि भगवान श्रीरामचंद्र की जय” जैसे जयघोषों से गूंजता रहा। एचआरडब्लूटी द्वारा प्रस्तुत यह रामलीला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनी हुई है, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के संरक्षण का भी सशक्त माध्यम बन रही है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।