Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 28, 2025

एसआरएचयू में रामलीलाः साधु का भेष बदलकर सीता को उठा ले गया रावण, जटायु ने दिया बलिदान राम हनुमान के मिलन से बंधी आस

नवरात्र के दिनों में देशभर के जिलों, शहरों और गांवों में रामलीला का मंचन हो रहा है। खास बात ये है कि धीरे धीरे रामलीला कमेटियां भी प्रयोग कर रही हैं। ऐसे में रामलीला पंडालों में दर्शक फिर से लौटने लगे हैं। देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के प्रांगण में हिमालयन रिक्रेएशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट (एचआरडब्लूटी) की ओर से भी पहली बार रामलीला का मंचन किया जा रहा है। ये रामलीला महोत्सव अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक साबित हो रहा है। शनिवार को रामलीला के मंचन में सीता हरण, जटायु उद्धार और राम-हनुमान मिलन जैसे महत्वपूर्ण प्रसंगों का सजीव चित्रण किया गया। राम हनुमान के मिलने से लोगों को आस बंधी कि अब सीता को वापस लाया जाएगा और रावण का अंत होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रामलीला का शुभारंभ में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने श्रद्धापूर्वक हनुमान जी की आरती की। इससे पूरे वातावरण में भक्ति और ऊर्जा का संचार हुआ। इसी कड़ी में दर्शकों ने उस क्षण को सांसें थामकर देखा जब रावण, मारीच की सहायता से सीता माता का हरण करता है। हालांकि मारीच रावण को पहले समझाने का प्रयास करता है, लेकिन रावण उसकी बात सुनने को तैयार नहीं होता है। मारीज कहता है कि अब बूढ़ापा सर पर आ गया है। मेरी हिम्मत भेष बदलने की नहीं है और मैं हिम्मत हार चुका हूं। रावण मारीच को कहता है कि यदि तू नहीं गया तो तेरा सिर धड़ से अलग कर दूंगा। इस पर मारीच ये निर्णय लेता है कि जब मौत ही आनी है तो भगवान के हाथों से ही आए और वह हिरन का रूप धारण करने को तैयार हो जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

मारीच स्वर्ण हिरन का रूप धारण करता है। स्वर्ण हिरन को देख कर सीता राम को उसका शिकार करने को विवश करती है। मारीच मौत से पहले राम की आवाज में लक्ष्मण से मदद मांगता है। इस पर सीता उसे मदद के लिए जाने को विवश करती है। लक्ष्मण माता सीता को लक्ष्मण रेखा के भीतर रहने की हिदायत देता है। वहीं, रावण साधु के भेष में आकर सीता का हरण कर लेता है। रास्ते में गिद्धराज जटायु सीता को बचाने के प्रयास में अपना बलिदान देता है। सीता हरण के बाद भगवान राम जब सीता की खोज में निकलते हैं तो उनकी मुलाकात अपने सबसे बड़े भक्त हनुमान जी से होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीता हरण का दृश्य न केवल नाट्य दृष्टि से प्रभावशाली रहा, बल्कि यह दर्शकों के मन को भी झकझोर गया। माता सीता की करूण पुकार, रावण का छल और जटायु का बलिदान, सभी ने वातावरण को भावविभोर कर दिया। इसके पश्चात प्रस्तुत हुआ “राम-हनुमान मिलन” का अद्भुत प्रसंग। इसने सभा में जोश और श्रद्धा का संचार कर दिया। हनुमान जी की भक्ति, समर्पण और उनकी पहली भेंट में प्रभु श्रीराम के प्रति उनका प्रेम भाव दर्शकों के हृदय को छू गया। इस दृश्य में हनुमान जी का संवाद, उनकी विनम्रता और श्रीराम की करुणा का सुंदर संगम देखने को मिला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रामलीला के इस आयोजन में विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं, अभिभावकगण एवं स्थानीय जनता की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। समूचा परिसर “जय श्रीराम” और “बोलो रघुकुल शिरोमणि भगवान श्रीरामचंद्र की जय” जैसे जयघोषों से गूंजता रहा। एचआरडब्लूटी द्वारा प्रस्तुत यह रामलीला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बनी हुई है, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के संरक्षण का भी सशक्त माध्यम बन रही है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। यदि आप अपनी पसंद की खबर शेयर करोगे तो ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी। बस इतना ख्याल रखिए।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *