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November 8, 2024

भ्रामक विज्ञापन मामले को लेकर रामदेव को फिर नहीं मिली माफी, बोले- हमें कानून का ज्ञान कम, अब 23 अप्रैल को पेशी

भ्रामक विज्ञापन मामले पर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना पर सप्रीम कोर्ट में योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी आचार्य बालकृष्ण को आज भी माफी नहीं मिली। उनको 23 अप्रैल को अदालत में फिर से पेश होना होगा। आज मंगलवार 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच ने सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि आपकी बहुत गरिमा है। आपने काफी कुछ किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वहीं, दोनों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम सार्वजनिक माफी के लिए तैयार हैं। ताकि लोगों को भी जानकारी मिले कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन को लेकर गंभीर हैं। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि इसके लिए आपको हमारे सलाह की ज़रूरत नहीं। जस्टिस कोहली ने बाबा रामदेव से पूछा कि आपने जो कोर्ट के खिलाफ किया है क्या वो सही है? इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि जज साहिबा, हमें इतना कहना है कि जो भी हमसे भूल हुई है उसके लिए हमने बिना शर्त माफी स्वीकार कर ली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को एक हफ्ते का और समय दिया है। योगगुरु रामदेव (Ramdev) और उनके सहयोगी बालकृष्ण आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। यह मामला भ्रामक विज्ञापनों और कोरोना के इलाज के दावों के संबंध में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानन से जुड़ा है। जस्टिस हिमा कोहली ने रामदेव से पूछा कि जो कुछ आपने किया है, क्या उसके लिए आपको माफी दें। इस पर रामदेव ने कहा कि मैं इतना कहना चाहूंगा कि जो भी हमसे भूल हुई उसके लिए हमने बिना शर्त माफी मांगी है। जिस पर अदालत ने कहा कि लेकिन आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और विज्ञापन भी दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अदालत ने रामदेव से कहा कि हमने आपको अभी माफी नहीं दी है। हम इसके बारे में सोचेंगे। आपका इतिहास इसी तरह का है। कंपनी इतने करोड़ की हो तो ऐसा नहीं करते। इस पर रामदेव ने कहा कि अब पुनरावृत्ति नहीं होगी। इस पर अदालत ने कहा कि अभी हमने मन नहीं बनाया कि आपको माफ करें कि नही। आपने एक नहीं, बल्कि तीन बार उल्लंघन किया है। रामदेव ने कहा कि हम इसको नहीं दोहराएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

लाइलाज बीमीरियों की दवा की पब्लिसिटी वर्जित
अदालत ने कहा कि आपने क्या सोचा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आपने एडवरटाइजिंग छापा और भाषण दिया महर्षि चरक के समय से आयुर्वेद चल रहा है। अपनी पद्धति के लिए दूसरे की पद्दति को रद्द करने की बात क्यों कही। इस पर रामदेव ने कहा कि हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है। हमने 5000 से ज्यादा रिसर्च किए। आयुर्वेद में हमने मेडिसिन के स्तर पर रिसर्च की है। इस पर जज ने कहा कि हम आपके रवैए की बात कर रहे हैं। आपको इसलिए बुलाया है कि आपने हमारे आदेश की अवहेलना की है और आपने दूसरी दवा को खराब बताया। लाइलाज बीमीरियों की दवा की पब्लिसिटी वर्जित है। इस पर रामदेव ने कहा कि हमें ये नहीं कहना चाहिए था, आगे से ध्यान रखेंगे। कोर्ट ने कहा कि आपने गैर जिम्मेदाराना हरकत की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हमें कानून की जानकारी कम हैः रामदेव
इस पर बाबा रामेदव ने कहा कि हमें कानून का ज्ञान कम है। हम सिर्फ अपने रिसर्च की जानकारी लोगों को दे रहे थे। कोर्ट की अवहेलना का उद्देश्य नहीं था। फिर जज ने कहा कि आप लाइलाज बीमारियों की दवा का दावा करते हैं। कानूनन ऐसी बीमारियों की दवा का प्रचार नहीं होता। अगर आपने दवा बनाई तो कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक उसे सरकार को बताते। उस पर आगे काम होता। इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि हम उत्साह में अपनी दवा की लोगों को जानकारी दे रहे थे। यहां कोर्ट में इस तरह खड़ा होना मेरे लिए भी अशोभनीय है। हम भविष्य में पालन करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से पूछा कि क्या मामले में कुछ अतिरिक्त दाखिल किया गया। आपने कहा था कि कुछ और भी दाखिल करना चाहते हैं। इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि अभी कुछ फाइल नहीं किया है, लेकिन हम सार्वजनिक माफी मांगना चाहते हैं। हमने कहा था कि हमारे पास मेडिसिन का विकल्प है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कोर्ट ने दोनों को आगे बुलाया और कहा कि वह रामदेव से सवाल करना चाहते है। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हम दोनों से समझना चाहते हैं कि आपकी बहुत गरिमा है। आपने योग के लिए बहुत कुछ किया है। योग के साथ- साथ आपने बहुत कुछ शुरू किया है। ये आप भी जानते हैं हम भी जानते हैं कि आपने जो शुरू किया है वो कारोबार है। सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से कहा कि योग के लिए जो आपने किया है उसका सम्मान करते हैं। नेटवर्क प्रॉब्लम है ये मत समझिएगा कि ये हमारी तरफ से सेंपरशिप है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

SC ने खारिज की थी रामदेव की माफी
पिछले हफ्ते हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि के संस्थापकों को कड़ी फटकार लगाई थी। साथ ही हरिद्वार में मौजूद कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए उत्तराखंड सरकार की भी खिंचाई की थी. सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण की माफी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ये पत्र पहले मीडिया को भेजे गए थे। जस्टिस हिमा कोहली ने पिछले हफ्ते कहा था कि जब तक मामला अदालत में नहीं पहुंचा, अवमाननाकर्ताओं ने हमें हलफनामा भेजना उचित नहीं समझा, वे साफ तौर पर प्रचार में विश्वास करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से पूछा- क्यों की कोर्ट की अवमानना
जस्टिस कोहली ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि आपने अंडरटेकिंग के अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस क्या सोच कर की। हमारे देश में आयुर्वेद बहुत प्राचीन है। महर्षि चरक के समय से है। दादी नानी भी घरेलू इलाज करती हैं। आप दूसरी पद्धतियों को बुरा क्यों बताते हैं। क्या एक ही पद्धति रहनी चाहिए। इस बाबा रामदेव ने कहा कि हमने आयुर्वेद पर बहुत रिसर्च किया है। तो जज ने कहा कि यह ठीक है। आप अपने रिसर्च के आधार पर कानूनी आधार पर आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि आपने इस कोर्ट की अवहेलना क्यों की? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आईएमए का आरोप
आईएमए ने आरोप लगाया कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए। खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने की संभावना जाहिर की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कोर्ट ने ऐसे विज्ञापन न दिखाने का दिया था आदेश
आरोप हैं कि बाबा रामदेव ने कोविड-19 वैक्सीनेशन और आधुनिक चिकित्सा को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया। इसी मामले में कोर्ट ने फटकार लगाई। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापन पर टंपरेरी रोक भी लगाई थी। साथ ही हर ऐसे विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की बात भी कही थी। कोर्ट ने भविष्य में इस तरह के विज्ञापन न दिखाने का आदेश दिया था।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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