सही साबित हुई राहुल गांधी की बात, लद्दाख में चीन बसा रहा दो काउंटी, विदेश मंत्रालय ने जताया विरोध

भारत के लद्दाख में चीन की ओर से जमीन कब्जाने का आरोप विपक्ष के नेता राहुल गांधी काफी समय से लगा रहे हैं। उनकी बात को सरकार के मंत्री हों या प्रधानमंत्री, सभी मजाक में उड़ा दिया करते हैं। अब राहुल गांधी की बात सही साबित होती नजर आ रही है। चीन ने दो काउंटी (गांव) में भारत का इलाका दिखाया है। वो उनके नाम तक रख रहा है। इस मामले में मोदी सरकार ठीक से प्रतिक्रिया भी नहीं दे पा रही है। हालांकि भारत ने इस मुद्दे पर राजनयिक चैनलों के जरिये अपनी आपत्ति और विरोध व्यक्त जताया है। भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राहुल ने लगाए थे ये आरोप
कांग्रेस नेता ने राहुल गांधी ने पिछले साल भी इसी तरह का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर लद्दाख में भारत-चीन सीमा की स्थिति पर विपक्ष से झूठ बोलने का आरोप लगाया था। उन्होंने दोहराया था कि चीन ने भारतीय जमीन छीन ली है। इसके अलावा राहुल गांधी ने लद्दाख यात्रा के दौरान कारगिल में एक रैली में कहा था कि चीन ने हजारों किमी जमीन हमसे छीनी है। मगर PM ने इस पर झूठ बोला। वह कह रहे हैं एक इंच जमीन नहीं गई। यह सरासर झूठ है। वहं, भारतीय प्रधानमंत्री ने विपक्ष के साथ बैठक में कहा कि भारत की एक इंच जमीन भी नहीं ली गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम मोदी ने किया था ये दावा
वहीं, चीन द्वारा लद्दाख क्षेत्र में भारतीय जमीन कब्जाने के आरोपों पर पीएम मोदी ने कभी कहा था- हमारी सीमा में न कोई घुसा है और न घुसेगा। न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है। हमारी सेनाएं, सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं। लद्दाख में हमारे 20 जांबाज शहीद हुए, लेकिन जिन्होंने भारत माता की तरफ आंख उठाकर देखा था, उन्हें वो सबक सिखाकर गए। अब मोदी के इस नारे की वास्तविक स्थिति सामने है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है ताजा घटनाक्रम
चीन ने बीते महीने होतान प्रांत में दो नई काउंटी हेआन और हेकांग बनाने का ऐलान किया। इन काउंटियों में मौजूद कुछ इलाके भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं। इस क्षेत्र पर चीन का अवैध कब्जा है और वहीं काउंटी का ऐलान कर स्थिति और बिगाड़ दी है। काउंटी का मतलब शहर या गांव बसाने से है। यह पहली बार नहीं है, जब बीजिंग ने अपने नक्शे में भारतीय क्षेत्रों पर दावा किया है। 2017 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश में छह स्थानों के लिए ‘मानकीकृत’ नामों की प्रारंभिक सूची जारी की थी। 2021 में इसने 15 स्थानों वाली दूसरी सूची जारी की, जिसमें 2023 में 11 अतिरिक्त स्थानों के नाम शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मामले से ऐसे उठा पर्दा
अभी तक पीएम मोदी कहते रहे कि ना कोई घुसा है और ना ही घुसेगा। अब इसके उलट विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इस मामले से पर्दा उठा दिया। विदेश मंत्रालय ने इस क्षेत्र में दो नए ‘काउंटियों’ की स्थापना पर चीन के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इसमें केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र भी शामिल है। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली ने कभी भी बीजिंग के “अवैध कब्जे” को स्वीकार नहीं किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत ने जताया ऐतराज
भारत ने चीन को इस घोषणा के बाद सख्त चेतावनी दी है। दरअसल भारत और चीन के बीच एक विवाद तो लद्दाख के होतान क्षेत्र को लेकर है। लद्दाख में ही दोनों देशों के बीच साढ़े चार साल पहले टकराव की स्थिति आ गई थी। दोनों ओर की सेनाएं आपस में उलझ गई थीं। हाथापाई तक हुई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने चीन के होटन प्रान्त में दो नई काउंटियों की स्थापना से संबंधित घोषणा देखी है। इन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं। हमने इस क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
संबंधों में सुधार का किया गया था दावा
हालांकि, रूस के कजान में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद इस विवाद को सुलझाने का दावा किया गया था। साथ ही दोनों देशों ने अपनी-अपनी सेनाएं पीछे हटाने की बात कही थी। साल 2020 में हुए टकराव के बाद सुधरे हालात अब फिर से चीन की टेढ़ी चाल से बिगड़ने की आशंका गहराने लगी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बांध बनाने के फैसले पर भी जताई चिंता
इसके अलावा भारत ने चीन की ओर से ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाए जाने के फैसले पर भी चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में शुक्रवार को कहा कि नई दिल्ली ने तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी पर पनबिजली बांध बनाने की चीन की योजना के बारे में बीजिंग को अपनी चिंताएं बताई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि यह नदी भारत में भी बहती है। हालांकि, इस पर चीनी अधिकारियों का कहना है कि तिब्बत में पनबिजली परियोजनाओं से पर्यावरण या नीचे की ओर पानी की आपूर्ति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत और बांग्लादेश ने बांध को लेकर अपनी चिंताएं जताई हैं। बता दें कि यारलुंग जांगबो तिब्बत से निकलकर भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों में बहती हुई ब्रह्मपुत्र नदी बन जाती है और अंत में बांग्लादेश में मिल जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निगरानी जारी रखेंगे: भारत
ब्रह्मपुत्र पर विशाल बांध बनाने की चीन की योजना पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी जारी रखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों के राज्यों के हितों को नुकसान न पहुंचे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चीन का प्लान
बता दें कि चीन ने हाल ही में ब्रह्मपुत्र पर बांध को बनाने का एलान किया है। ये बांध तिब्बत में यारलुंग जंग्बो के निचले हिस्से में बनाया जाना है। हिमालयी क्षेत्र में जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल में प्रवेश करती है, वहां एक बड़ा और शार्प यू-टर्न लेती है। इसी जगह पर एक विशाल घाटी मौजूद है। बांध का निर्माण यहीं किया जाना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके निर्माण में 137 बिलियन डॉलर खर्च होने की उम्मीद है। चीन में पहले से ही थ्री गोरजेस बांध मौजूद है, जो वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ा है, लेकिन अगर ब्रह्मपुत्र पर बनने वाला बांध चीन के प्लान मुताबिक तैयार हो गया तो यह थ्री गोरजेस से भी बड़ा होगा। इसका मतलब ये हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा बांध चीन फिर से बनाने वाला है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।