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December 13, 2024

राफेल डीलः फ्रेंच न्यूज पोर्टल के खुलासे के बाद कांग्रेस ने पूछे सवाल, आधा रात को सीबीआइ में क्यों किया तख्ता पलट

फ्रेंच न्यूज पोर्टल के चौंकाने वाले खुलासे के बाद एक बार फिर से राफेल विमान की गूंज सुनाई देने लगी है। कांग्रेस इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने राफेल डील मामले पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

फ्रेंच न्यूज पोर्टल के चौंकाने वाले खुलासे के बाद एक बार फिर से राफेल विमान की गूंज सुनाई देने लगी है। कांग्रेस इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने राफेल डील मामले पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में राफेल मामले में ऑपरेशन कवर अप चल रहा है। पूरे मामले को रफादफा करने की कोशिश हो रही है। 2018 में इसी मामले को दबाने के लिए सीबीआइ में तख्ता पलट किया गया। हमारा सवाल है कि आधी रात को ये तख्ता पलट क्यों किया गया? 36 महीने बाद ये मामला क्यों सामने आया? 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस की सरकार ने अटॉर्नी जनरल के जरिए राफेल खरीद से जुड़े कमीशन के भुगतान के दस्तावेज सीबीआइ को दिए थे। 23 अक्टूबर को पीएम की अध्यक्षता वाली समिति ने सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को आधी रात को हटा दिया, जो कि राफेल घोटाले को दफनाने की साजिश थी।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जो घोटाला हुआ, उसमें कमीशन किस को मिला। इसकी जांच कराई जाए ताकि यह सामने आ सके कि सच्चाई क्या है। हमें सीबीआई पर भरोसा नहीं है। क्योंकि वह अपने ही मामलों में काफी उलझी है। पवन खेड़ा ने कहा कि आपने बहुत जल्दी डील कर ली। इतनी जल्दी कर ली की 526 करोड़ की डील 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा बिना टेंडर के कर ली गई।
उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जांच कर ली जाए कि इन्हें कितना पैसा किसने दिया। सुषेण गुप्ता ने दिया या उनकी कंपनियों ने दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद एक क्लॉज हटाकर इस डील को आगे बढ़ाया। इसकी जांच होनी चाहिए। देश के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया। पवन खेड़ा ने कहा कि यह देश का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है, जिसे मोदी सरकार द्वारा किया गया है।
राफेल सबसे बड़ा रक्षा घोटाला
उन्होंने कहा कि राफेल घोटाला तथाकथित 60 से 80 करोड़ रुपये का कमीशन भुगतान नहीं है। यह सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है और केवल एक स्वतंत्र जांच ही घोटाले का खुलासा करने में सक्षम है। कांग्रेस- यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526.10 करोड़ रुपये में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित एक राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी। मोदी सरकार ने वही राफेल लड़ाकू विमान (बिना किसी निविदा के) 1670 करोड़ रुपये में खरीदा और भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना 36 जेट की लागत में अंतर लगभग 41205 करोड़ है। क्या मोदी सरकार जवाब देगी कि हम भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना उन्हीं 36 विमानों के लिए 41205 करोड़ अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं? किसने पैसा कमाया और कितनी रिश्वत दी? जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान ‘ऑफ द शेल्फ’ कैसे खरीद सकते थे?
ये चार सवाल पूछना जरूरी
उन्होंने भारतीय वायु सेना से परामर्श किए बिना राफेल विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 कैसे व क्यो कर दिया?
उन्होंने भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एचएएल द्वारा राफेल के निर्माण से इनकार क्यों किया?
उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी खंड को क्यों निरस्त कर दिया जो रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार किसी भी निविदा के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है और यूपीए द्वारा जारी निविदा का हिस्सा था?
राफेल घोटाले में अपनी भूमिका की जांच के आदेश न देकर उन्होंने सुशेन गुप्ता की रक्षा क्यों की?
फ्रेंच न्यूज पोर्टल ने किए हैं चौंकाने वाले खुलासे
उन्होंने कहा कि फ्रेंच न्यूज पोर्टल/एजेंसी – मिडियापार्ट एफआर ने चौंकाने वाले खुलासे के ताजा सेट में उजागर किया है कि कैसे बिचौलिए सुशेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था। वार्ताकारों से बातचीत के अंतिम चरण के दौरान और विशेष रूप से उन्होंने विमान की कीमत की गणना कैसे की। इससे डसॉल्ट एविएशन (राफेल) को साफ और सीधे तौर पर फायदा हुआ।
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि पीएम मोदी ने ‘भ्रष्टाचार विरोधी खंड’ यानी “कोई रिश्वत नहीं, कोई उपहार नहीं, कोई प्रभाव नहीं, कोई कमीशन नहीं, कोई बिचौलिया नहीं” को निरस्त कर दिया, जो ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ के अनुसार रक्षा अनुबंधों में अनिवार्य नीति है। क्या यह सही नहीं है कि ‘भ्रष्टाचार विरोधी खंड’ यूपीए द्वारा 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए जारी निविदा का हिस्सा थे? क्या राफेल सौदे में रिश्वत और कमीशन की जिम्मेदारी से बचने के लिए ‘भ्रष्टाचार विरोधी खंड’ हटा दिए गए थे? जुलाई 2015 में अंतर-सरकारी समझौते में रक्षा मंत्रालय के जोर देने के बावजूद, सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री और मोदी सरकार द्वारा ‘भ्रष्टाचार विरोधी खंड’ को हटाने की मंजूरी क्यों दी गई थी? क्या यही कारण है कि सीबीआई-ईडी ने 11 अक्टूबर 2018 से आज तक राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच से इनकार कर दिया?
अगस्ता वेटलैंड को लेकर भी लगाए आरोप
बता दें कि सोमवार को भी कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने और देश को भ्रम में रखने का आरोप लगाया था। पार्टी के प्रवक्‍ता गौरव वल्‍लभ ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था कि पीएम ने इटली की कम्पनी अगस्ता वेस्टलैंड को लेकर कहा था कि यह भष्ट्राचारी कम्पनी है। उसके बाद मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत इस कम्पनी को हिस्सा लेने की अनुमति दी। अब मोदी सरकार ने इस कम्पनी से सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं। गौरव वल्‍लभ ने कहा था कि पीएम मोदी अभी इटली गए थे। वहां एक बैठक में अगस्ता वेस्टलैंड कम्पनी को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक में अजित डोवाल और विदेश मंत्री जयशंकर भी शामिल हुए थे। पीएम के भारत आने के तुरंत इस कम्पनी पर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए गए।
कांग्रेस प्रवक्‍ता ने सवाल किया था कि प्रधानमंत्री जी देश को बताएं कि अब यह कंपनी भ्रष्ट है या नहीं? क्या मोदी झूठ बोलने के लिए माफी मांगेंगे? कांग्रेस सरकार ने इस कंपनी के खिलाफ ने जो जांच शुरू करवाई थी क्या वो जारी रहेगी या बन्द कर दी जाएगी। हम पूछना चाहते हैं कि इस सीक्रेट डील में क्‍या बात हुई, देश यह जानना चाहता है। उन्‍होंने कहा, ‘हमने पहले कहा था-चोर मचाए शोर। आज यह साबित हो गया।
बीजेपी ने कांग्रेस पर ही लगा दिए आरोप
बीजेपी प्रवक्‍ता संबित पात्रा ने मंगलवार को कहा कि INC (इंडियन नेशनल कांग्रेस) का मतलब है-आई नीड कमीशन। यहअतिशयोक्तिपूर्ण बात नहीं है कि यूपीए के कार्यकाल के दौरान हर डील में एक ‘डील’ थी और वे इसके बाद भी डील नहीं कर सके। उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी को इटली से जवाब देनेा चाहिए कि आपने और आपकी पार्टी ने इतने सालों से राफेल को बारे में झूठ फैलाने की कोशिश क्‍यों की। अब यह खुलासा हो गया है कि वर्ष 2007 से 2012 तक उनकी अपनी सरकार सत्‍ता में थी जब कमीशन दिया गया। इसमें बिचौलिये का नाम भी सामने आ गया है।
दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है, ‘ऑपरेशन कवरअप के मौजूदा खुलासे से मोदी सरकार और सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय के बीच राफेल भ्रष्‍टाचार को दबाने के लिए संदिग्‍ध साठगांठ का पता चलता है। गौरतलब है कि Mediapart ने कथित Invoices प्रकाशित किए हैं जो बताते हैं कि दसॉ ने कथित बिचौलिये सुशेन गुप्‍ता को गुप्‍त रूप से कमीशन का भुगतान किया। पोर्टल कहता है कि इन दस्‍तावेजों की मौजूदगी के बावजूद भारतीय संघीय एजेंसी ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया और जांच शुरू नहीं की।
दोबारा ऐसे उठा मामला
गौरतलब है कि फ्रेंच पोर्टल ‘Mediapart’ ने रिपोर्ट में दावा किया कि फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी दसॉ ने भारत को 36 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा हासिल करने के लिए मिडिलमैन (बिचौलिये) को करीब 7.5मिलियन यूरो (लगभग 650 मिलियन या 65 करोड़ रुपये ) का भुगतान किया और भारतीय एजेंसियां दस्‍तावेज होने के बावजूद इसकी जांच करने में नाकाम रहीं। फ्रेंच पोर्टल ‘Mediapart’ ने अपनी नई रिपोर्ट में यह आरोप लगाया है। यह ऑनलाइन जर्नल 59000 करोड़ रुपये के राफेल सौदे में भ्रष्‍टाचार के आरोपों की जांच कर रहा है।
Mediapart ने कथित झूठे Invoices प्रकाशित किए हैं, जो बताते हैं कि दसॉ ने कथित बिचौलिये सुशेन गुप्‍ता को गुप्‍त रूप से कमीशन का भुगतान किया। पोर्टल कहता है इन दस्‍तावेजों की मौजूदगी के बावजूद भारतीय संघीय एजेंसी ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया और जांच शुरू नहीं की। रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के पास अक्‍टूबर 2018 से सबूत हैं कि दसॉ ने राफेल जेट के बिक्री सौदे को हासिल करने के लिए सुशेन गुप्‍ता को घूस दी। रिपोर्ट में कहा गया है, सबूत गोपनीय दस्‍तावेजो में मौजूद हैं, जो दोनों एजेंसियों की ओर से एक अन्‍य भ्रष्‍टाचार मामले-अगस्‍तावेस्‍टलैंड की ओर से वीवीआईपी हेलीकॉप्‍टर्स की सप्लाई का घोटाला की जांच में सामने आए हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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