राधा रतूड़ी बनी उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव, खुखरी डांस को लेकर हमसे हो गई थी नाराज

उत्तराखंड को आज पहली महिला मुख्य सचिव मिल गई है। सरकार ने आईएएस राधा रतूड़ी को प्रदेश का नया मुख्य सचिव बनाया है। बुधवार सुबह इसके आदेश जारी हो गए हैं। बता दें कि 1988 बैच के आईएएस अधिकारी मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु का कार्यकाल आज समाप्त हो गया है। संधु को सेवानिवृत्ति के बाद छह महीने का एक्सटेंशन दिया गया था, जो आज पूरा हो गया। ऐसे में आज राधा रतूड़ी को मुख्य सचिव बनाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। राधा रतूड़ी राज्य में ऐसी अधिकारी हैं, जिन्हें लेकर कभी कोई विवाद नहीं हुआ। ऐसा सब का मानना है। फिर भी हम यहां एक ऐसी घटना का रहस्य खोल रहे हैं, जिसके कारण वह मुझसे नाराज हो गई थी। या फिर कहें तो अमर उजाला से नाराज हो गई थीं। इस खबर में हम खुखरी डांस का जिक्र करेंगे, लेकिन इससे पहले मूल खबर में जरूर जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ईमानदार अफसरों में होती है गिनती
राधा रतूड़ी साल 1988 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी हैं। वह एक ईमानदार और सख्त अफसर मानी जाती हैं। वो अब मुख्य सचिव सुखबीर सिंह सन्धु की जगह लेंगी। संधु का बुधवार को कार्यकाल ख़त्म हो रहा है। राधा रतूड़ी के कार्यभार संभालने के बाद वो प्रदेश के इस शीर्ष पद पर पहुँचने वाली पहली महिला अधिकारी होंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड राज्य का अस्तित्व नवंबर 2000 में आया था। तब से आज तक इस पद पर कोई महिला अधिकारी इस शीर्ष प्रशासनिक पद पर नहीं पहुंच पाई हैं। ये ज़िम्मेदारी सँभालने वाली वो पहली महिला अधिकारी होंगी। अपने लंबे प्रशासनिक करियर के दौरान रतूड़ी ने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं। इन दिनों वो अतिरिक्त मुख्य सचिव का प्रभार संभाल रही थी। वह सीएम धामी के पसंदीदा अफ़सरों में आतीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कई जिलों मे रह चुकी हैं डीएम
राधा रतूड़ी देहरादून, टिहरी जैसे जिलों के जिलाधिकारी का पद भी सँभाल चुकी हैं। उत्तराखंड राज्य के शीर्षस्थ पद पर पहली महिला अधिकारी होने के साथ-साथ राज्य के इतिहास में ऐसा भी पहली बार हुआ है जब पति—पत्नी दोनों शीर्ष पदों तक पहुंचे हों। आपको बता दें कि उनके पति अनिल रतूड़ी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे हैं। वह प्रदेश में पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी सँभालने के बाद नवंबर 2020 को सेवानिवृत्त हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्रकारिता से शुरू किया सफर
पत्रकारिता से सफर शुरू करने वाली राधा रतूड़ी आज उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में सबसे ऊंचे पद पर पहुंच गई हैं। मध्य प्रदेश की बेटी और उत्तराखंड की बहू राधा रतूड़ी अपनी सादगी और सौम्यता के लिए जानी जाती हैं। राधा रतूड़ी महिलाओं को लेकर हमेशा संजीदा रही हैं। पत्रकारिता से शुरू हुआ सफर इंडियन इनफॉरमेशन सर्विस (आईआईएस) और इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस) के बाद इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आईएएस) तक पहुंचा है। बता दें कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने पहली महिला मुख्य सचिव के तौर पर राधा रतूड़ी को नियुक्त किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट मास कम्युनिकेशन करने के बाद राधा रतूड़ी ने इंडियन एक्सप्रेस मुंबई में ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन में भी काम किया। 1985 में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन करने के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के साथ ही उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने की तैयारी भी की। राधा रतूड़ी के पिता बीके श्रीवास्तव सिविल सर्विस में थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पिता की सलाह पर की यूपीएससी की तैयारी
अपने पिता की सलाह पर राधा रतूड़ी ने यूपीएससी की तैयारी की। उन्हें इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस में सफलता मिली। 1985-86 में नियुक्ति के लिए राधा रतूड़ी दिल्ली गईं, लेकिन उनको दिल्ली रास नहीं आई। उन्होंने एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया। यहां अगले ही प्रयास में राधा रतूड़ी को इंडियन पुलिस सर्विस में जगह बनाने में कामयाबी मिली। 1987 में राधा रतूड़ी आईपीएस में चयनित होने के बाद हैदराबाद में ट्रेनिंग के लिए गई थीं, जहां उनकी मुलाकात 1987 बैच के ही आईपीएस अनिल रतूड़ी से हुई। यहां से दोस्ती का सफर शुरू हुआ तो बात शादी तक पहुंच गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपनाया उत्तराखंड का कलचर, लोकगीत के प्रति खास लगाव
राधा रतूड़ी घर के कामकाज खुद भी करती हैं। आम गढ़वाली महिला की भांति वह पहले ऊन से सिलाई चलाते हुए स्वेटर या अन्य सामग्री भी बुनती नजर आती थीं। वर्ष 2003 में जब देहरादून में मेयर के चुनाव की मतगणना हो रही थी तो वह पूरी रात मतगणना स्थल पर ही मौजूद रहीं। इस दौरान वह अपनी बेटी को स्कूल का होमवर्क कराती नजर आईं। मतगणना तड़के करीब चार बजे तक चली। उनकी बेटी गोद में ही सो गई। तत्कालीन उद्यान अधिकारी रात को गीत और कविताएं सुनाकर अधिकारियों का तब टाइम पास करते भी नजर आए। तो तब भी वह ऊन और सिलाई से कुछ बुनती नजर आईं। पति के साथ उनकी लोकगीतों की वाडियो भी सोशल मीडिया में देखी जा सकती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खुखरी डांस को लेकर हमसे हुई थी नाराज
बात करीब 20 साल पुरानी है। परेड मैदान में समारोह था। ये मुझे याद नहीं कि ये समारोह 15 अगस्त का था या फिर गणतंत्र दिवस का। तब मैं अमर उजाला में कार्यरत था। समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम की चर्चा के दौरान एडीएम एनके जोशी ने तत्कालीन डीएम राधा रतूड़ी से कहा कि मैडम गोर्खाली समाज इस दिन खुखरी डांस करना चाहता है। ये डांस बच्चों का होना था। कहीं खुखरी किसी को लग गई तो क्या होगा। डांस का प्रस्ताव गोर्खाली समाज के कैप्टन जेबी कार्की की ओर से दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डांस ना कराने का लिया निर्णय
तब मैं जिला प्रशासन को कवर करता था। इस दौरान मै कई घंटों को डीएम के कैंप कार्यालय में ही बैठ जाता था। डीएम और सब अधिकारियों की बातें सुनता था। काम की खबर को खबरों में तब्दील कर देता था। डीएम ने कहा कि खुखरी डांस को ना कराया जाए। ये खबर लेकर मैं संपादक प्रताप सोमवंशी के पास लेकर पहुंचा। इस पर सहयोगी चेतन गुरुंग ने कहा कि खुखरी डांस में तो पांच ईंची की खुखरी ऐसी होती है, जो प्रतीकात्मक होती है। इससे किसी को क्या डर। ये तो गोर्खाली समाज की वीरता का प्रतीक डांस है। इस पर संपादक जी ने इस पर स्टोरी करने को कहा। गुरुंग जी ने भी स्टोरी की। अगले दिन अमर उजाला में हैडलाइन छपती है कि- पांच ईंच की खुखरी से डरी सरकार। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मच गया हंगामा
इस खबर के छपते ही हंगामा मच गया। गुरुंग की खबर में पहले भी हंगामा मच चुका था। उन्होंने एक बार तत्कालीन सीएम नित्यानंद स्वामी का इंटरव्यू प्रकाशित किया और बीजेपी ने ठीक दो दिन के भीतर सीएम ही बदल दिया था। परेड मैदान में खुखरी डांस करने वाले छात्रों की टीम को बुलाया गया। उनका डांस देखा गया। फिर उसे कार्यक्रम में शामिल किया गया। इस दौरान तत्कालीन डीएम मुझसे नाराज दिखीं। उन्होंने मुझसे सवाल किए। मैने जो जवाब दिए, शायद वह उससे संतुष्ट नहीं दिखीं। खैर, ये एक खबर और उसकी प्रतिक्रिया थी। इस पर हमें कोई शिकायत नहीं है, लेकिन इस घटना के बाद से डीएम के कैंप कार्यालय में डीएम के सामने हर वक्त बैठने वाली मेरी आदत पर रोक लगा दी गई। इस घटना के बाद मैं वहां मौजूद अधिकारियों की बार्ता नहीं सुन सकता था। ना ही ज्यादा देर तक बैठ सकता था। हालांकि, राधा रतूड़ी का व्यवहार मेरे प्रति पहले जैसा ही रहा। हो सकता है कि उस खबर के बाद उनकी नाराजगी खत्म ना हुई तो, लेकिन मैने पत्रकारिता का धर्म निभाया। ना ही मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पहले परखा, फिर कराया गया डांस
डीएम के रूप में राधा रतूड़ी का कार्यकाल भी संतोषजनक रहा। तब खुखरी डांस की खबर भले ही हमने प्रकाशित की, लेकिन उन्होंने एडीएम की सलाह के बावजूद पहले खुद खुखरी डांस देखने का निर्णय किया। डांस देखने के बाद जब उसमें कोई ऐसी बात नहीं नई आई, जिसे कोई दुर्नघटना की संभावना हो, तो उन्होंने इसे कार्यक्रम में शामिल करने की अनुमति दे दी। लोकसाक्ष्य की ओर से राधा रतूड़ी को मुख्य सचिव बनने की बधाई।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।