देशभर में समान कानून पर सवाल, बीजेपी ने भी की आदिवासियों को यूसीसी से अलग रखने की पैरवी
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देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर जितना प्रचार किया जा रहा है, वहीं इसका विरोध भी हो रहा है। आदिवासी समुदाय तो इसमें शामिल होना ही नहीं चाहता है। साथ ही ये समुदाय बीजेपी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। वहीं, आदिवासियों को बीजेपी नाराज नहीं करना चाहती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या समान नागरिक सहिंता देश भर में एक समान रूप से लागू होगी, या फिर इसे भी वोट के नफा नुकसान के लिहाज से लागू किया जाएगा। पीएम नरैंद्र मोदी भी हाल ही में समान नागरिक संहिता की पैरवी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि एक घर में अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग कानून नहीं हो सकते हैं। ऐसे में यदि आदिवासी समाज को इससे अलग रखा जाता है तो फिर पीएम मोदीजी की बात का उल्टा ही होगा। क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार पर वार करते हुए एनसीपी से इसकी शुरूआत की थी। उन्होंने एनसीपी पर 70 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया था। उनके कथन के एक सप्ताह के भीतर ही एनसीपी के कई विधायक महाराष्ट्र में बीजेपी और एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए। इनमें अजीत पवार डिप्टी सीएम बने और उनके साथ अन्य आठ मंत्री बनाए गए। देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर छिड़ी बहस के बीच सोमवार को कानून व व्यवस्था मामलों की संसदीय समिति की बैठक हुई। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुशील मोदी ने बैठक में उत्तर-पूर्व और अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को किसी भी संभावित समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखने की वकालत की है। वहीं, कांग्रेस और डीएमके समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आम चुनाव के मद्देनजर यूसीसी को लेकर सरकार की टाइमिंग पर सवाल उठाए। सूत्रों ने कहा कि उम्मीद के मुताबिक बीजेपी नेताओं ने यूसीसी का समर्थन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आदिवासी संगठन दे चुके हैं आंदोलन की चेतावनी
हाल ही में झारखंड के रांची में 30 से अधिक आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि समान नागरिक संहिता (UCC) पर चर्चा के लिए एकत्रित हुए। बैठक में फैसला हुआ कि वे विधि आयोग से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विचार को वापस लेने का आग्रह करेंगे। उनका मामला है कि इससे देश में आदिवासी पहचान खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने विधि आयोग द्वारा यूसीसी पर नये विचार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने का भी निर्णय लिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस और डीएमके सांसद ने पेश किया लिखित बयान
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा और डीएमके सांसद पी विल्सन ने बैठक में लिखित बयान पेश किए। उन्होंने यूसीसी को अगले साल होने वाली लोकसभा चुनाव से जोड़ा। वहीं, शिवसेना और बीएसपी ने यूसीसी का विरोध नही किया, लेकिन इसे सशर्त समर्थन दिया। दोनों पार्टियों का कहना था कि आम चुनाव को ध्यान में रखकर यूसीसी को नहीं लाया जाना चाहिए। केसीआर की पार्टी टीआरएस (TRS) ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है। पीएम मोदी के बयान के बाद आम आदमी पार्टी ने भी यूसीसी का समर्थन किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
NCP-NC ने किया विरोध
मीटिंग में डिटेल सुझाव रिपोर्ट पेश किए गए. शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) ने न तो यूसीसी का समर्थन किया है और न ही सपोर्ट किया है। यानी वो न्यूट्रल है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस लीडर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि सरकार को यूसीसी लागू करने के नतीजों पर बार-बार विचार कर लेना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कई विपक्षी नेताओं की राय
विपक्ष के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यूसीसी संविधान के खिलाफ है। यह संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत कुछ पूर्वोत्तर और अन्य राज्यों को दी गई कुछ गारंटी को नुकसान पहुंचाएगा। छठीं अनुसूची नामित आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्त संस्थाओं के रूप में सशक्त बनाती है। विपक्षी नेताओं की इस दलील के जवाब में सुशील मोदी ने कहा कि आदिवासियों को छूट देने पर विचार किया जा सकता है। बैठक में बताया गया कि कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में उनकी सहमति के बिना केंद्रीय कानून लागू नहीं होते हैं। हालांकि, बीजेपी के महेश जेठमलानी ने यूसीसी का जोरदार बचाव किया और संविधान सभा में हुई बहस का हवाला देते हुए कहा कि इसे हमेशा अनिवार्य माना गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम मोदी ने की थी यूसीसी की वकालत
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 जून को भोपाल में बीजेपी के 10 लाख बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड जल्द लागू करने की वकालत की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लोगों को भड़काया जा रहा है। एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकते। BJP यह भ्रम दूर करेगी। अब सवाल उठता है आदिवासी समुदाय इस घर का हिस्सा नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है यूसीसी
समान नागरिक संहिता का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 44 में है. अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्यों को कई सुझाव दिए गए हैं। इसी में से एक है समान नागरिक संहिता। यह देश के हर नागरिक को विवाह, तलाक, गोद और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समान अधिकार देता है। चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म या समुदाय से हो, देश का कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा। अभी अलग-अलग धर्म और समुदायों के व्यक्तिगत कानून हैं। आपराधिक कानून एक ही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
13 जुलाई तक दिए जा सकेंगे सुझाव
विधि आयोग ने 13 जून को सार्वजनिक नोटिस जारी कर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सुझाव मांगे थे। अब तक 19 लाख सुझाव मिले हुए हैं। यह प्रक्रिया 13 जुलाई तक जारी रहेगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।