देहरादून के प्रमुख स्थलों पर धरने और प्रदर्शन पर रोक का विरोध, विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने डीएम को दिया ज्ञापन
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के प्रमुख स्थलों और चौराहों पर धरने और प्रदर्शन पर प्रतिबंध संबंधी जिलाधिकारी के आदेश का कड़ा विरोध किया गया। इन स्थलों में एश्लेहाल चौक, गांधी पार्क, घंटाघर, दर्शनलाल चौक, तहसील चौक, बुद्धा चौक और लैंसडाउन चौक है। आज इसके विरोध में विभिन्न राजनैतिक दलों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया। जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में ज्ञापन उप जिलाधिकारी विनोद कुमार को सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दलों और सामाजिक संगठनों के प्रतनिधियों ने प्रमुख स्थानों पर धरने एवं प्रदर्शनों पर रोक लगाने का विरोध करते तत्काल प्रतिबंध के आदेश वापस लेने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया कि वे एकतरफा आदेश से सहमत नहीं हैं। जो भी स्थान प्रतिबन्धित सूची में डाले गये, वे ऐतिहासिक स्थल हैं। जहां हमारे राष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि गांधी पार्क में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के पहले प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर नेहरू, नेताजी सुभाषचंद्र बोस आदि महानुभावों की आदमकद मूर्तियां स्थापित हैं। इसी प्रकार घंटाघर के इर्दगिर्द संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर, देश के प्रथम गृहमंत्री लोहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल, पर्वतीय गांधी इन्द्रमणी बडोनी, हिमाचय पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री तथा स्व हेमवन्ती नन्दन बहुगुणाजी की आदमकद मूर्ति लगी हुई है। इसी प्रकार बुद्धा चौक पर बुद्ध भगवान की आदमकद मूर्ति स्थापित है। इसी प्रकार दीनदयाल पार्क में वर्तमान डबल इन्जन सरकार के प्रेणता पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी की मूर्ति स्थापित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तर्क दिया गया कि इन महापुरूषों के मानने वाले वक्त बेबक्त एवं विशेष अवसरों उन्हें याद करने के लिये सामूहिक रूप से दशकों से एकत्रित होते रहे हैं। आगे भी इकट्ठा होते रहेंगे। जिला मुख्यालय होने वाले सभी प्रदर्शन इन्ही स्थानों से गुजरते रहे हैं। पूर्व में भी देहरादून से दूर जंगल में धरने, प्रदर्शन का स्थान आवंटित किया गया, जिसका सर्वत्र विरोध हुआ था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि भारत एक जनतान्त्रिक देश है। जहां कोई अति महत्वपूर्ण फैसले लेने में चुने हुये जनप्रतिनिधियों, मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों तथा प्रमुख सामाजिक संगठनों के लोगों की बैठक बुलाकर विचार विमर्श कर सोच समझकर फैसला लिया जाना चाहिए था। सर्वदलीय बैठक बुलाकर लिये गये आदेश पर पुर्नविचार किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज ज्ञापन देने वालों सीपीएम के शहर सचिव अनन्त आकाश, आरयूपी के अध्यक्ष नवनीत गुसाईं, कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र सजवाण, महिला समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष इन्दु नौडियाल, सामाजिक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष राकेश्वर पोखरियाल, उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार, नेताजी संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रभात डंडरियाल, एआईएलयू के महान्त्री शम्भू प्रसाद ममगाईं, बार कौंसिल उत्तराखण्ड की पूर्व अध्यक्ष रजिया बेग, पीपुल्स फोरम उत्तराखण्ड के अध्यक्ष जयकृत कण्डवाल, यूकेडी के नेता लताफत हुसैन, राष्ट्रीय उत्तराखण्ड पार्टी के महामंत्री वालेश बवानिया, अमित पंवार आदि शामिल थे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।