विकास कार्य के प्रस्ताव सिर्फ प्रदेश में गिरती हुई साख बचाने की कवायदः गरिमा माहरा दसौनी

दसौनी ने कहा कि मुख्यमंत्रीजी बताएं जो राज्य 90 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा हुआ हो, जिसे रोज अपने कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन देने के लिए तक आए दिन बाजार से कर्ज उठाना पड़ रहा हो, वह 700 विकास योजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान कैसे करेगा ? आखिर कौन से मद से इन विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जाएगा? दसौनी ने कहा कि आखिर ऐसी कौन सी जादू की छड़ी मुख्यमंत्री के हाथ लग गई है कि वह ऐसा झूठा और बरगलाने वाला आश्वासन विधायकों को दे रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने यह भी कहा कि सिंचाई विभाग के 228 पद समाप्त करने पर चयनित अभ्यर्थियों को कारण ये बताया जा रहा है कि सरकार के पास वित्त की कमी है। ऐसे में प्रदेश के भीतर अपनी गिरती साख को बचाने के लिए मुख्यमंत्री रोज अपने तरकश में से एक नया तीर निकाल रहे हैं। गरिमा ने कहा की प्रदेश के चुने हुए विधायक विवेकशील हैं। उन्हें पता है कि राज्य सरकार का कोश खाली हो चुका है। ऐसे में विकास योजना की यह बातें सिर्फ और सिर्फ जुमलेबाजी और शिगूफे के अलावा और कुछ नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने याद दिलाते हुए कहा कि इससे पहले भी भाजपा की ही सरकार ने 13 जिले और 13 डेस्टिनेशन की बात कही थी। इसी सरकार ने 2019 तक ऑल वेदर रोड की कार्य की समाप्ति की बात कही थी। इसी सरकार ने 2022 के चुनाव तक कर्णप्रयाग रेल लाइन के कार्य संपूर्ण होने की बात कही थी। इसी सरकार ने उत्तराखंड की जनता को मेट्रो और बुलेट ट्रेन के सपने दिखाए थे, लेकिन अपनी इन सभी बातों पर आज तक भारतीय जनता पार्टी की सरकारें खरी नहीं उतर पाई है। दसौनी ने कहा कि राज्य में लगातार गिरती कानून व्यवस्था, रोजगार के नाम पर युवाओं से धोखा, महिला सुरक्षा के नाम पर राज्य में लगातार मातृशक्ति के साथ हो रहे जघन्य अपराधों से सरकार की साख गिर चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि इसी 1 महीने में प्रदेश की कानून व्यवस्था की कलई खुल चुकी है। चाहे अल्मोड़ा के सल्ट में अंतरजातीय विवाह करने पर जगदीश की निर्मम हत्या का मामला हो या ऋषिकेश से केदार भंडारी के गायब होने की वारदात, अंकिता हत्याकांड से तो जैसे पूरा उत्तराखंड ही सहम गया और अब ताजा मामला विगत दिवस काशीपुर गोलीकांड का है। जिसने उत्तराखंड राज्य में धामी सरकार के कुशासन को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। दसौनी ने कहा कि यह विकास योजनाएं और उन पर प्रस्ताव मांगना झुनझुने के अलावा मुद्दों से ध्यान भटकाने की एक सोची समझी रणनीति है।

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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।