उत्तराखंड में सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में शीघ्र शुरू हो पदोन्नति प्रक्रिया, तीन शिक्षक संगठनों ने उठाई संयुक्त मांग
उत्तराखंड में उच्च शिक्षा के तीन शिक्षक संगठनों ने संयुक्त रूप से पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा के तीन शिक्षक संगठनों ने संयुक्त रूप से पदोन्नति प्रक्रिया शुरू करने की मांग की। इस संबंध में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत को ज्ञापन प्रेषित किया। इसमें कहा गया कि अब पदोन्नति पर लगी रोक को हटा दिया गया है। इस आदेश में कई बिंदु स्पष्ट नहीं हैं। संगठनों ने इसे स्पष्ट करने और पदोन्नति प्रक्रिया को शुरू करने की मांग की।
संयुक्त ज्ञापन में बताया गया कि उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड की ओर से 24 मार्च 2021 के पत्र में प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में तत्काल प्रभाव से कैरियर एडवांसमेंट योजना 2010 तथा 2018 के अंतर्गत समस्त प्रकार की (एजीपी 7000, 8000, 9000 व 10,000) की शिक्षकों की प्रोन्नति प्रक्रिया पर अगले आदेश निर्गत होने तक रोक लगा दी गई थी। इसके कारण प्रदेश के सभी अशासकीय महाविद्यालयों में पदोन्नतिओं की प्रक्रिया पूर्णतया बाधित हो गई। यह रोक सभी स्तरों चयन वेतनमान, एसोसिएट प्रोफेसर वेतनमान तथा प्रोफेसर पदनाम वेतनमान पर लगी हुई है। इससे शिक्षकों को अत्यंत मानसिक वेदना तथा प्रोन्नति से जुड़े आर्थिक नुकसानों को झेलने के लिए विवश होना पड़ रहा है। कोविड-19 माहवारी के लंबे दौर ने इस वेदना व चिंता को और ज्यादा बढ़ा दिया है तथा सभी शिक्षक प्रदेश सरकार के नए मुख्यमंत्री के रूप में आपसे प्रदेश की उच्च शिक्षा व शिक्षकों के हितों के लिए बहुत आशा रखते हैं।
शिक्षक संगठनों के अनुसार प्रदेश के उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से 7 अप्रैल 2021 और नवंबर 2020 जारी पत्रों में महिला महाविद्यालय, हरिद्वार में हुए पदोन्नतिओं के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की संस्तुति के पश्चात वेतन निर्धारण के संबंध में उपरोक्त पत्र दिनांक 24 मार्च 2021 को संदर्भित करते हुए अंतिम पंक्ति में लिखा कि-यह भी अवगत कराना है कि वर्तमान में कैरियर एडवांसमेंट स्कीम योजना 2010 व 2018 पर रोक है, अतः तक विषयक वित्तीय लाभ रोक हटने के पश्चात दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे में निदेशालय की ओर से प्रोन्नति पर लगी रोक को पूर्वव्यापी प्रभाव (Retrospective Effect) से मार्च 2021 में जारी पत्र के आधार पर नवंबर 2020 में हुई प्रक्रिया पर भी अप्रैल 2021 में रोक लगा दी। जो कि सही नहीं है। निदेशालय का 24 मार्च 2021 का पत्र सिर्फ भविष्य में होने वाली पदोन्नतिओं पर ही उत्तरव्यापी प्रभाव (Prospective Effect) से लागू किया जाना चाहिए था।
इसी तरह निदेशालय के मूल रूप से पदोन्नतिओं पर रोक लगाने वाले पत्र दिनांक 24 मार्च 2021 के अनुसार संभावित व भविष्य में होने वाली पदोन्नतिओं पर रोक परिलक्षित हो रही थी, किंतु निदेशालय के ही पत्रांक दिनांक 7 अप्रैल 2021 के अनुसार कैरियर एडवांसमेंट योजना 2010 व 2018 दोनों के ही द्वारा भविष्य में तथा इसके साथ पूर्व में हुई पदोन्नतिओं पर भी रोक लगा दी गई। इस प्रकार मूल आदेश से भी आगे जाकर पदोन्नतिओं पर रोक की व्याख्या कर दी गई।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि उपरोक्त दोनों तथ्यों से स्पष्ट है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा निदेशालय ने बिना किसी पूर्व सूचना के 3 माह से पहले हुए प्रोन्नति प्रक्रिया/ प्रस्तावों पर भी रोक लगा दी। उत्तरव्यापी प्रभाव के स्थान पर पूर्वव्यापी प्रभाव से सभी पदोन्नतिओं पर रोक लगाई गई, जो कि संबंधित शिक्षकों के प्रति पूर्वाग्रह को प्रदर्शित करता है।
बताया कि उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखंड की ओर से अपने नवीनतम पत्रांक दिनांक 22 मई 2021 (संलग्नक-3) द्वारा डी.ए.वी. महाविद्यालय, देहरादून के शिक्षकों के प्रोन्नति प्रस्तावों, जिनको अंतिम रूप से अप्रैल 2021 में प्रेक्षित किया गया था। इनकी स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक दिनांक 26 दिसंबर 2020 से 28 दिसंबर 2020 तक महाविद्यालय की ओर से आयोजित की गई थी। इसके प्रोन्नति प्रस्तावों को अनुमन्य करते हुए स्वीकृति प्रदान कर दी है, जो कि एक प्रशंसनीय कदम व सराहनीय शुरुआत है।
इस पत्र के बिंदु
-प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों के प्रमोशन पर लगी रोक शिक्षा निदेशालय द्वारा हटा ली गई है।
-क्योंकि दिसंबर 2020 में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक को मई 2021 में अनुमन्य कर दिया गया है अतः स्पष्ट है कि निदेशालय द्वारा आंतरिक रूप से (नोट शीट आदि द्वारा) पूर्व में निर्गत अपने दो पत्रों दिनांक 24 मार्च 2021 तथा 7 अप्रैल 2021 में वर्णित सभी प्रकार की पदोन्नतिओं पर कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के अंतर्गत रोक/ स्थगन को वापस लेकर पदोन्नतिओं को नियम अनुसार मूल्यांकन कर स्वीकृति प्रदान किया जाना शुरू कर दिया गया है।
शिक्षक संगठनों ने सीएम ने अनुरोध किया कि सभी बिंदुओं को देखते हुए हुए मुख्य रूप से उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड हल्द्वानी के स्तर पर लंबित, प्रोन्नति प्रकरणों पर तत्कालीन शीघ्र कार्रवाई के लिए समुचित आदेश निर्गत करने का कष्ट करें।
ये की गई मांग
यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार, 1 जनवरी 2006 से 17 जुलाई 2018 तक की यूजीसी करियर एडवांसमेंट स्कीम 2010 की अवधि के आतिथि तक लंबित प्रस्तावों पर तत्काल प्रभाव से से प्रोन्नति प्रक्रिया शुरू करने के लिए समुचित निर्देश निर्गत करने का कष्ट करें।
इसलिए है जरूरी
क्योंकि उत्तराखंड शासन के शासनादेशों 28 मई 2013 तथा 6 सितंबर 2019 के अनुसार यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अंतर्गत शिक्षकों के प्रमोशन की अधिकतम अवधि 17 जुलाई 2021 को समाप्त हो जाएगी। प्रदेश के सभी अशासकीय महाविद्यालयों के साथ-साथ शासकीय महाविद्यालयों के वे सभी सैकड़ों शिक्षक, जो विभिन्न एजीपी (छठे वेतनमान) के अंतर्गत अपने प्रोन्नति का 16 वर्षों से भी अधिक अवधि से आज तक इंतजार कर रहे हैं। उनकी पदोन्नति प्रक्रिया तत्काल शुरू करने तथा निर्धारित अंतिम तिथि 17 जुलाई 2021 से पूर्व संपादित कराकर निदेशालय प्रेषित करने के आदेशों से, न सिर्फ मानसिक रूप से बेहतर शिक्षण व शोध कार्य कर सकेंगे वरन अपने लंबे समय से प्रोन्नति से जुड़े वित्तीय लाभ भी प्राप्त कर सकेंगे। यह आदेश प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा शिक्षण में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2021 को उत्तराखंड में बेहतर तरीके से लागू करने में भी महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
इंतजार कर रहे हैं शिक्षक
कैरियर एडवांसमेंट स्कीम 2018, संपूर्ण उत्तराखंड में शासनादेश 6 सितंबर 2019 के अनुसार दिनांक 18 जुलाई 2018 से लागू है तथा प्रदेश के शासकीय व अशासकीय महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में शिक्षक इसके अंतर्गत अपनी प्रोन्नति के प्रस्तावों पर कार्यवाही शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। हाल ही में हुए इसके शासनादेश में संशोधन के पश्चात संबंधित सभी अह शिक्षकों को उनके प्रोन्नति लाभों को यथाशीघ्र मिलने से सभी शिक्षकों के ऊर्जा व कार्यकुशलता में और अधिक वृद्धि दृष्टिगोचर होगी तथा आपके द्वारा समुचित निर्देशों के क्रम में लगी रोक हटने के कारण उच्च शिक्षा में नई वह बेहतर शिक्षा के संप्रेषण का प्रदेश सरकार का सपना भी साकार हो सकेगा।
लंबित प्रकरणों पर हो कार्यवाही
डीएवी महाविद्यालय, देहरादून समेत डीबीएस महाविद्यालय, देहरादून तथा महिला महाविद्यालय, हरिद्वार व के एलडीएवी (पीजी) कॉलेज, रुड़की आदि के उक्त प्रोन्नति प्रस्तावों पर रोक के आदेशों के निदेशालय द्वारा पत्रांक 22 मई 2021 द्वारा समाप्त किए जाने को दृष्टिगत रखते हुए मांग की गई है कि लंबे समय से निदेशालय में लंबित पड़े उपरोक्त तथा अन्य सभी प्रमोशन प्रस्तावों के मूल्यांकन व यथाशीघ्र अनुमन्य स्वीकृत कराने हेतु समुचित आदेश निर्गत करने हेतु निर्देशित करने की कृपा करें।
ये की गई अपेक्षा
डीएवी महाविद्यालय, देहरादून में यू.जी.सी. रेगुलेशन 2001 के अनुसार भी कुछ शिक्षकों के प्रमोशन की स्वीकृति की प्रक्रिया को तीव्रता से गतिमान करने के लिए आवश्यक निर्देश निर्गत करने का कष्ट करें। ताकि उन सभी शिक्षकों को बहुत लंबे समय से वंचित लाभ मिलने के साथ-साथ अपने कैरियर के आगे के अन्य प्रोन्नति प्रक्रिया पूरा करने की अभी यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार यूजीसी रेगुलेशन 2010 की अवधि के अंतर्गत अंतिम तिथि 17 जुलाई 2001 से पहले ही अवसर मिल सके।
महाविद्यालयों की देरी से शिक्षकों को नुकसान
कहा गया कि कुछ महाविद्यालयों में प्रोन्नति प्रक्रिया में अपने स्तर से भी देर हो रही है। इसका खामियाजा व नुकसान संबंधित शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। इसी प्रकार कुछ प्रकरणों में प्रोन्नति प्रस्तावों पर निदेशालय से स्वीकृति मिलने में भी कई बार अधिक समय लग जाता है। अतः प्रोन्नति प्रक्रिया, जिससे संबंधित शासनादेश उपलब्ध हैं, के विषयक प्रोन्नति लाभों को एक निश्चित अवधि (अधिकतम 1 वर्ष) के भीतर उपलब्ध हो सके। इस संबंध में समुचित दिशा निर्देश के साथ शासनादेश जारी करने की मांग की गई।
शिक्षकों ने अपना संकल्प बताया
कहा गया कि उत्तराखंड के उच्च शिक्षा से संबंधित तीनों शिक्षक संगठनों की ओर से विश्वास दिलाया जाता है कि सभी शिक्षक प्रदेश सरकार में आप की अगुवाई में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत बेहतर व गुणवत्ता परक शिक्षा द्वारा प्रदेश के महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के चहुंमुखी विकास द्वारा उन्हें सक्षम व योग्य नागरिक बनाने में तथा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2021 में वर्णित अवधारणाओं को सही अर्थों में लागू करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। ज्ञापन देने वालों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कौशल कुमार, गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (ग्रूटा) के सचिव डॉ. डीके त्यागी, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड (रा.शै.म.उ.) के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह शामिल हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।