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November 7, 2024

फ्रांस में दंगा रोकने के लिए योगी आदित्यनाथ को फ्रांस भेजने का ट्विट करने वाले प्रोफेसर निकले नकली, किया जा रहा है ये दावा

फ्रांस दंगों की आग में झुलस रहा है। वहीं, एक ऐसा ट्विट सोशल मीडिया में तेजी से वायरल होने लगा, जिसमें फांस में दंगों को रोकने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फ्रांस भेजने को कहा गया था। यही नहीं, इस ट्वीट को करने वाले प्रोफेसर की सच्चाई को जाने बगैर ही ट्विट को रिट्वीट करते हुए योगी आदित्यनाथ ऑफिस ने लिखा कि दुनिया को योगी मॉडल की जरूरत है। ट्वीट करने वाले ने अपने बायो में खुद को जर्मनी का प्रफेसर एन जॉन कैन बताया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब सोशल मीडिया पर इसी को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि वो ट्विटर हैंडल वाकई जर्मनी के प्रफेसर का है भी या किसी दूसरे का है। कई यूजर दावा कर रहे हैं कि विदेशी प्रफेसर के नाम वाला यह ट्विटर यूजर फर्जी है। वास्तव में यह हैंडल नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नाम का कोई व्यक्ति चलाता है। कुछ नेता भी ऐसे ट्वीट कर रहे हैं और सीएम योगी पर तंज कस कस रहे हैं। इस बीच, प्रफेसर एन जॉन कैन नाम वाले ट्विटर हैंडल ने अपनी पहचान पर सवाल उठाने को लेकर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

दरअसल, ट्विटर पर एन जॉन कैम नाम के एक विदेश प्रफेसर का ट्वीट वायरल हो गया। लंदन यूनिवर्सिटी में कार्डियोलॉजिस्ट की प्रोफाइल वाले इस यूजर का पता भी जर्मनी लिखा था। इस ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया कि फ्रांस में दंगों की स्थिति को काबू में करने के लिए भारत को योगी आदित्यनाथ को जरूर भेज देना चाहिए और वह 24 घंटे के अंदर इस पर काबू भी कर लेंगे। इस ट्वीट को योगी आदित्यनाथ ऑफिस नाम के हैंडल से रिट्वीट किया गया और कहा गया कि जहां भी उपद्रव की स्थिति है, वहां लोग कानून-व्यवस्था के योगी मॉडल की ओर आशा भरी नजरों से देखने लगे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब दावा किया जा रहा है कि जिन प्रफेसर साहब के ट्वीट को विदेशों में भी ‘योगी मॉडल’ की चर्चा बताकर सरकार की पीठ थपथपाई जा रही थी, वह अकाउंट ही फर्जी है और उसे कोई नरेंद्र विक्रमादित्य नाम का शख्स चलाता है। आरोपी को पहले भी धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। ट्विटर के ही एक अन्य यूजर रोहिण फ्रांसिस ने इस अकाउंट का ‘भंडाफोड़’ किया है। उन्होंने कई सारे सबूत देते हुए दावा किया कि जिस अकाउंट से यह पोस्ट किया गया है, वह फर्जी अकाउंट है और उसे चलाने वाला धोखाधड़ी के आरोप में भारत में गिरफ्तार भी किया जा चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

फ्रांसिस ने बताया कि आरोपी ने कई बार एलजीबीटीक्यू के खिलाफ, नस्लवादी और स्त्री द्वेष से संबंधित पोस्ट भी किए हैं। उन्होंने बताया कि जिन प्रफेसर एन जॉन कैम के नाम का इस्तेमाल आरोपी ने किया है, वह कार्डियोलॉजी की दुनिया के बड़े नाम हैं। आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य पर धोखाधड़ी के आरोप लगे थे, जिस पर उसकी गिरफ्तारी हुई थी। हो सकता है इसी वजह से उसने ट्विटर पर अपना नाम बदला हो। उन्होंने उस पर फर्जी फोटो, फोटोशॉप की हुई तस्वीरें लगाकर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विपक्ष ने किया हमला
तमाम राजनीतिक दलों ने भी इसे लेकर योगी सरकार पर सियासी हमला बोला है। ओवैसी ने लिखा, ‘भाई, भाई, भाई! फिरंगियों की तारीफ़ के इतने भूखे हैं की किसी फर्जी अकाउंट के ट्वीट से खुश हो रहे हैं? झूठे एनकाउंटर, ग़ैर-क़ानूनी बुलडोज़र कार्यवाही और कमज़ोरों को निशाना बनाना कोई परिवर्तनकारी नीति नहीं है, ये जम्हूरियत का विनाश है। “योगी माडल” का सच तो हमने लखीमपुर खीरी और हाथरस में देखा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

वहीं, यूपी कांग्रेस ने ट्वीट किया कि ये तो 420 का अल्ट्रा प्रो मैक्स वर्जन है भाई! जिस एन जॉन कैम की ट्वीट के सहारे बाबा का डंका यूरोप तक पीटने का दावा किया जा रहा था। वो तो नरेंद्र विक्रमादित्य यादव निकला। ऐसा नरेंद्र जो धोखाधड़ी के मामले में तेलंगाना पुलिस से दबोचा जा चुका है। बाबा के ऑफिस वाले भी तुरन्त कोट ट्वीट करके वाहवाही लूटने लगे। स्टूल पर चढ़कर ऊंचा होने चले थे लेकिन पब्लिक ने स्टूल खींचकर मुंह के बल गिरा दिया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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